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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ६९९ - " (चाँदनी) लगे चोर चितमें लटी घटि रद्दीम मन आई' - रहीम | टापटी - स्त्री० लटपटाना; लड़ाई-झगड़ा; भिड़ंत; मिश्रण । लटापोट* - वि० 'लहालोट', मुग्ध, आसक्त लटिया - स्त्री० लच्छी, आँटी । लटी - स्त्री० गप, झूठी बात - 'अरु झूठनके बदन निहारत भारत फिरत लटी' - सू०; बुरी बात; वेश्या; साधुनी । लटुआ*-पु० दे० 'लट्टू' । लटुरी* - स्त्री० दे० 'लटूरी' । लहू* - पु० दे० 'लट्टू' । लदूरी* - स्त्री० सिरके बालोंका लटकनेवाला गुच्छा, अलक । लट्टू - पु० लकड़ीका चढ़ाव उतारदार एक प्रकारका गोल बट्टा जिसे जमीनपर फेंककर नचाते हैं; बिजलीका बल्ब । मु० - होना- मोहित, मुग्ध होना । लट्ठ - पु० मोटी लाठी | बंद-पु० लठैत, लाठी बाँधनेवाला आदमी । - बाज़-वि० लाठी चलानेवाला; लाठी बाँधनेवाला । - मार - वि० कठोर, कड़ी (वात) । मु०लिये फिरना - लाठी लेकर चलना; किसी वस्तु, सिद्धांत, व्यक्तिका बराबर विरोध करना; विरुद्ध आचरण करना (जैसे- अक्ल के पीछे लट्ठ लिये फिरना) । लट्ठा - पु० जमीन नापनेका बाँस जो साढ़े पाँच हाथ लंबा होता है; लकड़ीका लंबा टुकड़ा, शहतीर; लकड़ी का खंभा; छाजन, पाटन में लगा बला; गाढ़ा मोटा कपड़ा, गफ मारकीन । लठिया । - स्त्री० लाठी, डंडा । लठैत - वि० लाठी चलाने में कुशल, लट्ठबाज । लड़ंत - स्त्री० भिड़ंत; मुकाबला । लड़-स्त्री० किसी वस्तुकी क्रमबद्ध - गोल, लंबाई में संलग्न पंक्ति; रस्सी के एक में मिलाकर बटे हुए तारों में से कोई एक; पंक्ति, कतार, क्रम; फूलों, बौरोंका छड़ीके ढंगका गुच्छा । लड़क- पु० 'लड़का' का समासमें व्यवहृत रूप । -खेल, - खेलवाड़ - पु० बच्चोंका खेल; मामूली बात, आसान काम । -पन-पु० बालावस्था; बच्चोंकीसी चंचलता । - बुद्धिस्त्री० बच्चों जैसी बुद्धि, अपरिपक्क मति । लड़कई+ - स्त्री० लड़कपन; नादानी; चिलबिलापन । लड़का - पु० बालक ( जो सोलह वर्ष से कम वयका हो ); पुत्र । - बाला - पु० संतान, औलाद, परिवार, पुत्र-कलत्रादि । - (काँ) का खेल - आसान या महत्त्वहीन काम । लड़काई + - स्त्री० दे० 'लड़कई' । लड़किनी । - स्त्री० दे० 'लड़की' । लड़की-स्त्री०बालिका (जिसकी अवस्था १६ वर्ष से कम हो); पुत्री, बेटी । - वाला - पु० कन्याका पिता; कन्यापक्ष । लड़कोर, लड़कौरी - वि० स्त्री० ( वह स्त्री) जिसकी गोद में बच्चा हो । लड़कैयाँ । - स्त्री० लड़कपन | लड़खड़ाना - अ० क्रि० डगमगाना, हिलना-डुलना; झोंका खाकर गिर पड़ना; विचलित होना; चूक जाना । लड़खड़ी - स्त्री० लड़खड़ाहट, डगमगाहट । लड़ना - अ०क्रि० एक पदार्थ, व्यक्तिका दूसरे पदार्थ व्यक्तिसे टक्कर खाना, भिड़ जाना; कुश्ती करना, एक दूसरेको Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लटापटी - लताड़ना पटकनेका प्रयत्न करना; एक दूसरेपर प्रहार करना; झगड़ा, वाग्युद्ध करना; बहस करना; प्रतिपक्षकी चालोंको बेकार करनेके लिए कानूनी कोशिश करना; मेल खाना, पूरा पड़ना, अनुकूल पड़ जाना; संयुक्त होना । लड़बावरा (ला) - वि० दुर्ललित, दुलरुआ; उजड्डु और नासमझ लड़कपन (बुरे अर्थ में) से भरा हुआ; गँवार । लड़बौरा - वि० दे० 'लड़बावरा' । लड़ाई - स्त्री० प्रहार, चोट करनेवालेपर प्रहार, चोट करना, युद्ध; दो सेनाओं, राज्योंका एक दूसरेपर आक्रमण, संग्राम; कुश्ती, मल्लयुद्ध; झगड़ा, कलह; बहस; टक्कर; कानूनी दाँव-पेच करना; वैर, अनबन । - बंदी - स्त्री० युद्ध या लड़ाईका आपसके समझौते से बंद कर दिया जाना । लड़का - वि० लड़नेवाला, झगड़ालू, पु० सैनिक, योद्धा । लड़ाना - स० क्रि० एक दूसरेमें लड़ाई कराना; झगड़े, कलह में लगाना; फेंकना, डालना; फँसाना, उलझाना; सफलता के लिए सोच-विचार करना; एक चीजको दूसरी चीज से सवेग भिड़ाना; प्यार, दुलार करना; * प्रेमसे देना । लड़ायता * - वि० लड़ैता, प्यारा । लड़ी - स्त्री० कतार, पंक्ति; छड़ी के रूपका गुच्छा; एक साथ मिलाकर बटे हुए रस्सी, गुच्छेके तार; एक सीध में गुँथी, लगी हुई किसी चीज की माला, पंक्ति । लड़ीला - वि० लाड़ला, प्यारा । ल. डुआ, लडुवा - पु० लड्डू | लड़ैता - वि० लड़नेवाला, लड़ाका; लाड़ला । लड्डु, लड्डुक-पु० [सं०] दे० 'लड्डू | लड्डू - पु० पिंडीके आकारको बनी हुई एक मिठाई, मोदक | मु० ( मन ) - खाना - ऐसे लाभकी कल्पना करना जिसका होना कठिन हो । लड्याना * - स० क्रि० अधिक लाड़-प्यार करना । लगा* - पु० बैलगाड़ी - 'जातहिं देहैं लदाय लढ़ा भरि'सुदामा । लढ़िया । - स्त्री० छोटी बैलगाड़ी । लत - स्त्री० बुरी आदत, बान, टेब; 'लात' का समास में व्यवहृत रूप । - खोर.-खोरा - वि० हमेशा लात खानेवाला, नीच । पु० दास; चौखट, देहली; पायंदाज, दरवाजेपर रखा हुआ पैर पोंछनेका कपड़ा आदि । -हावि० लात मारनेवाला (घोड़ा, बैल आदि ) । लतड़ी - स्त्री० दे० 'लतरी' । लतरी - स्त्री० मोट, केसारी; एक तरहकी चप्पल । लता - स्त्री० [सं०] जमीन या किसी आधारपर फैलनेवाला पौधा, बेल; कोमल शाखा, कांड, माधवी, जूही, जाती; इ० । - कुंज-पु० लतासे घिरा, छायामय स्थान | - गृह, - भवन - पु० लताओंसे मंडपकी तरह निर्मित स्थान - पता - पु० [हिं० ] लता और पत्ते, पेड़-पौधे; हरियाली; जड़ी-बूटी । - मंडप पु० लताओंको सघन करके बनाया हुआ घर, स्थान । - वितान - पु० लताओंसे बना हुआ मंडप | लताड़ - स्त्री० दे० 'लधाड़' । लताड़ना - स० क्रि० रौंदना, कुचलना; लातसे मारना; For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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