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पानी जल जानेके बाद पकनेवाले पदार्थका तहमें सटकर जल जाना; मिलना; में लोगोंका उपस्थित होना; देयका निश्चित होना; आरोप किया जाना; जलना; रोशनी होना; ठीक बैठना (कुंजी ) ; हिसाब होना; का ठहराव करना; ताक में रहना; जानवरोंका जोड़ा लगना; प्रवृत्त होना । लगती बात-चुभने, अखरनेवाली बात, चुटीली बात । लगे हाथ, हाथों-साथ ही, इसी सिलसिले में । लगनि* - स्त्री० दे० 'लगन' ।
लगभग - अ० करीब-करीब ।
लगर* - पु० एक शिकारी चिड़िया, बाज |
लगलग * - वि० कमजोर, दुबला-पतला, लकलक | लगव* - वि० बेकार, झूठ ।
लगवाना - स० क्रि० लगानेका काम दूसरे से कराना । लगवार* - पु० यार, उपपति ।
लगातार - अ० निरंतर, बराबर, बिना रुके हुए, सिलसिले से । लगान - पु० राजा, सरकार, जमींदारको मिलनेवाला भूमिकर, पोत, राजस्व, वह स्थान जहाँ वोझिया बोझ रखकर सुस्ताये; नावोंके ठहरनेका स्थान; लगने, लगानेकी क्रिया । लगाना - स० क्रि० जोड़ना, दो चीजोंको जोड़ना; एकमें करना, संलग्न करना; सजाना, सिलसिले से रखना; रोपना; सटाना; कोई चीज पोतना, मलना; कायम करना, व्यवस्था करना; अनुभव करना; किसीमें नयी आदत डालना; सड़ाना; भीड़, मजमा कर लेना; अपराधी बनाना; दातव्य ठहराना; गाड़ना, ठोकना; नियुक्त करना; दूध दुहना; अपने साथ पीछे किसीको ले चलना; हिसाब करना; संबद्ध करना; चुगली करना; बंद करना; बाजी, दाँवपर रखना; अपने आपको किसी विषयमें बढ़ चढ़कर समझना; धारण करना, ओढ़ना; छुलाना, संपर्क कराना; ध्यान देना; पास पहुँचाना; नियत स्थानपर पहुँचाना; धार तेज करना, सान धरना; दाम कूतना, तय करना, ठहराना; बदले में देना, करना; चिह्नित करना; फैलाना, बिछाना; करना; खर्च करना; विचार करना । - (ने) वाला - वि० चुगलखोर, इधर की उधर करनेवाला |
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या उलझनेकी क्रिया । लगाव-पु० संबंध, ताल्लुक । लगावट - स्त्री० संबंध, प्रेम, प्यार; रब्त जब्त । लगावन - स्त्री० रोटी के साथ खायी जानेवाली चीज, सालन; * लगाव, संबंध |
लगि* - अ० दे० 'लग' । स्त्री० लगनः दे० 'लग्गी' | लगी- स्त्री० मेल, प्रेम; ख्वाहिश; भूख; आग; *दे० 'लग्गी'। लगुड, लगुर, लगुल- पु० [सं०] लाठी; दंड । लगूर, लगूल* - स्त्री० दुम ।
लगाँहाँ - वि० लगनेवाला, रिझवार ।
लग्गा - पु० अंकसीदार लंबा-पतला बाँस; नाव चलानेका बाँस; काम शुरू करना, काममें हाथ डालना । लग्गी-स्त्री० छोटा लग्गा ।
लग्घड़-पु० बाज; एक तरहका चीता, लकड़बग्घा । लग्घी - स्त्री० दे० 'लग्गी' |
लग्न - पु० [सं०] राशिविशेषके उदयकालका दिनांश (ज्यो० ); किसी कामको करनेका शुभ मुहूर्त ( ज्यो०); विवाहका समय; व्याह । वि० लगा हुआ, जुड़ा हुआ । - कुंडली - स्त्री० जन्मपत्री, जन्मकुंडली । - पत्र - पु०, - पत्रिका - स्त्री० वह पत्र जिसमें विवाहकर्म और उसकी तिथि आदिका उल्लेख हो । लग्नक - पु० [सं०] प्रतिभू, जामिनः रागविशेष । लग्नेश- पु० [सं०] लग्नका स्वामी ग्रह (ज्यो० ) । लघिमा ( मन ) - स्त्री० [सं०] एक सिद्धि जिसके प्रभाव से सिद्ध पुरुष यथेष्ट छोटा, हलका हो सकता है; लघुत्व । लघु - वि० [सं०] फुर्तीला हलका; छोटा; निर्बल; तुच्छ, क्षुद्र; कम, अल्प; निस्सार; अस्थिरचित्त; स्वस्थ; हस्व, एक मात्रावाला | पु० एक मात्रा के स्वर - अ, इ, उ, ऋ ( व्या० ); एक मात्रा (छंद) । - काय - पु० बकरा । वि० छोटे शरीरवाला । - गति - वि० तेज चलनेवाला । - चेता (तस् ) - वि० नीच, नीचाशय। -पाक-वि० सुपाच्य; जल्द पकनेवाला । - लिपि-स्त्री० ( शार्ट हैंड ) दे० 'शीघ्रलिपि' । - वाद न्यायालय - पु० (स्माल कॉज़ कोर्ट) छोटे वादों ( मामलों, मुकदमों ) पर विचार कानेवाली लगाम - स्त्री० [फा०] लोहेका दाँतेदार छड़ जो घोड़े के अदालत । - शंका - स्त्री० पेशाब करना । - हस्त - वि० मुँह में लगा रहता है; इस छड़के सिरोंपर बँधी रस्सी, तेजीसे बाण चलानेवाला । पु० अच्छा धनुर्धर । रास, बाग। मु० - कड़ी करना - घोड़ेकी चाल धीमी लघुतम - वि० [सं०] सबसे छोटा । - समापवर्त्य - पु० करना; कार्यादिका नियंत्रण करना । - ढीली करना- वह सबसे छोटी संख्या जो दो या अधिक संख्याओंसे घोड़ेको मनचाही चाल चलने देना; कार्यादिका नियंत्रण पूरी-पूरी बँट जाय । न रखना । (किसी चीज़ की ) - हाथमें लेना -संचालन- लघूकरण- पु० (कम्यूटिंग) कड़ी सजा घटाकर इलकी कर सूत्र हाथ में लेना । देना, दंडादेशको कुछ मुलायम कर देना । लगाय * - स्त्री० प्रेम, लगन- 'तिनसों क्यों कीजिये लध्वी स्त्री० [सं०] बेर नामक फल; असबरग; छोटा रथ; लगाय' - सू० । कोमल अंगोंवाली पतली स्त्री । लगायत - अ० [अ०] अंततक ( वाक्य में 'से', 'तक' का अर्थ | लच - स्त्री० लचकन, लचन; किसी वस्तुके दबने, झुकनेका देता है) । गुण ।
लचक, लचकन- स्त्री० लचकनेका भाव या क्रिया । लचकना - अ० क्रि० लंबी चीजका दवाव आदि से झुकना; स्त्रियोंकी कमरका नखरे - नजाकत से झुकना; चलते समय स्त्रियोंका प्रायः झुक-झुककर चलना ।
लगार* - स्त्री० सिलसिला, क्रम; लगन, प्रेम; घनिष्ठ संबंधी; भेद लेनेवाला; लगाव, संबंध; बराबर कोई काम करते जाना, बँधेज; वह स्थान जहाँ जुआरियोंको निश्चित ठिकानेका पता मिले । लगालगी- स्त्री०लाग, प्यार; मेल-जोल; लगने, लगाने | लचकनि* - स्त्री० लचक; लचीलापन ।
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लगनि - लचकनि