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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir राठ-राय ६८४ अभिषेक कराया जाता है); राजसूय यज्ञके बाद राजाका स्त्री० रेणुका, कौशल्या; रोहिणी । -जना-पु० [हिं०] तीर्थजलादिसे अभिषेक । जिस व्यक्तिके पिताका पता न हो; वर्णसंकर; जातिविशेष राठ*-पु० राज्य राजा। (इस जातिकी लड़कियाँ वेश्यावृत्ति करती है)। -जनीराठवर*-पु० दे० 'राठौर'। स्त्री० [हिं०] रामजना जातिकी स्त्री; जिस स्त्रीके पिताका राठौर-पु० राजस्थानका एक प्रसिद्ध राजवंश; राजपूतोंकी पता न हो; वेश्या । -जमनी-पु० [हिं०] एक बारीक एक उपजाति। चावल । -तरोई-स्त्री० भिंडी। -तारक-पु० रामोराणा-पु० राजा (राजपूतानाके कुछ राजाओं तथा नेपाल- पासकोंका मंत्र, रां रामाय नमः। -दल-पु० रामकी के सरदारोंके लिए प्रयुक्त)। बानरी सेना; बड़ी और अजेय सेना ।-दाना-पु०[हिं०] रात-स्त्री० संध्यासे सबेरेतकका समय जब सूर्यका प्रकाश बड़े सफेद दानोंवाला मरसेकी जातिका पौधा उसके बीज; नहीं मिलता, रात्रि, रजनी । -दिन-अ० सदा, सर्वदा । एक धान । -दास-पु. हनूमान् ; समर्थ रामदास, रातना*-अ० क्रि० अनुरक्त होना, मुग्ध होना; रँगा शिवाजीके गुरु । -दूत-पु० हनूमान् । -धाम(न)जाना; लाल हो जाना; लाल रंगसे रँगा जाना। पु० साकेत लोक । -नवमी-स्त्री० चैत्र-शुशा नवमी, राता-वि० रँगा हुआ; लाल, सूर्ख, किरमिजी। रामका जन्म-दिवस । -नामी-स्त्री० [हिं०] चादर, राति*-स्त्री० दे० 'रात'। -चर-पु० राक्षस, निशाचर । दुपट्टा जिसमें राम-नामकी छाप लगी हो सोनेका कंठहार। रातिब-पु० [अ०] पशुओंका दैनिक आहार हाथियोंका -पुर-पु० अयोध्या; स्वर्ग । -फटाका-पु० रामानंदी खाद्य (विशेषतः अन्न)। तिलक । -फल-पु० सीताफल, शरीफा । -बॉसरात्रिंचर-वि० [सं०] रातमें घूमनेवाला । पु० राक्षस, पु० [हिं०] एक मोटा बाँस ( इससे नालकीका डंडा निशाचर। बनाते है) । -बान-पु० [हिं०] दे० 'रामवाण' । रात्रि-स्त्री० [सं०] रात, निशा। -कर-कार-पु० -भोग-पु० [हिं०] एक तरहका आम; एक तरह का चंद्रमा कपूर । -चर-चारी(रिन)-वि०, पु० दे० चावल । -मंत्र-पु० दे० 'रामतारक'। -रज-स्त्री० 'रात्रिंचर'। -पाठशाला-स्त्री. वह विद्यालय जहाँ [हिं०] एक प्रकारकी पीली मिट्टी। -रस-पु० [हिं०] दिनमें काम करनेवालोंके लिए रातमें पढ़ाईका प्रबंध हो। नमक । -राज्य-पु० रामका शासन; सुशासन, रामका-पुष्प-पु० रातमें खिलनेवाला पुष्प, कुंई। -मणि- सा प्रजा-सुखकारी शासन ।-राम-पु० [हिं०] नमस्कार, पु० चंद्रमा। प्रणाम । स्त्री० भेंट, मुलाकात । अ० घृणा, आश्चर्य आदि राध्यंध-पु० [सं०] रतौंधीका रोगी; रातको देख सकने में सूचक शब्द, छिः, वाह ।-रौला-पु० [हिं०] व्यर्थका असमर्थ पशु-पक्षी (बंदर, कौआ आदि)। शोरगुल । -लवण-पु० साँभर नमक । -लीला-स्त्री० राधना*-स० क्रि० पूजा, आराधना करना; पूरा, सिद्ध रामके चरित्रका अभिनय, रामके चरित्रके अभिनयके करना; साधना, काम निकालना। लिए होनेवाला समारोह । -वाण-पु० अजीर्णके लिए राधा-स्त्री० [सं०] वैशाखकी पूर्णिमा, अनुराग, प्रीति उपयोगी एक रसौषध । वि० शीघ्र गुणकारी, उपयोगी, वृषभानुकन्या, कृष्णकी प्रेमिका; विद्युत् ; विशाखा नक्षत्र; अमोघ (औषध)। -शर-पु० ईखके आकार-प्रकारका एक आँवला; एक वर्णवृत्तः अधिरथकी पत्नी जिसने कर्णका | नीरस पौधा। -शिला-स्त्री० गयाकी एक पहाड़ी। पालन किया था।-कांत,-वल्लभ-पु० कृष्ण। -वल्लभी -सखा-पु० सुग्रीव । -पु० [हिं०] एक वैष्णव संप्रदाय । -स्वामी-पु० एक रामचंगी-स्त्री० एक तरहकी तोप (हिम्मत०)। मतप्रवर्तक आचार्य; एक संप्रदाय । रामति*-स्त्री० भिक्षाके लिए धूमना-फिरना । राधाष्टमी-स्त्री० [सं०] भाद्रपद-शुक्ला अष्टमी। रामना*-अ० क्रि० बिचरना, घूमना-फिरना । राधिका-स्त्री० [सं०] राधा, वृषभानुकन्या । रामा-स्त्री० [सं०] सुंदरी बाला, सी; गान कलाकुशल राधेय-पु०[सं०] कर्ण (राधा-अधिरथकी पत्नीका अपत्य)। स्त्री रुक्मिणी; राधा; सीता; लक्ष्मी। -तुलसी-स्त्री० राध्य-वि० [सं०] आराधनाके योग्य । सफेद डंठलवाली तुलसी। रान-स्त्री० [फा०] जाँध । रामायण-स्त्री० [सं०] रामचरित्र-संबंधी वाल्मीकि मुनिराना-पु० दे० 'राणा' । अ० कि० अनुरक्त होना-'कौन | रचित आदि काव्यग्रंथ र अन्य कई ग्रंथ भी इसी नामसे कली जो भौर न राई'-प० । परिचित है-जैसे अध्यात्म रामायण, अग्निवेश रामायण, रानी-स्त्री० राजाकी स्त्री स्वामिनी प्रेमिकाके लिए आदर- तुलसीदासका रामचरितमानस इ०)। युक्त संबोधन; स्त्रियों के लिए सम्मानसूचक शब्द ।-काजर रामायणी-वि० रामायण-संबंधी; रामायणका । पु० रामा-पु० एक धान । यणका पाठ करनेवाला; रामायणका पंडित । राब-स्त्री० खाँड़, सीरेसे गाढ़ी चीज । रामायन-पु० दे० 'रामायण' । राबड़ी-स्त्री० रबड़ी, बसौंधी। रामायुध-पु० [सं०] धनुष । राम-पु० [सं०] परशुराम; बलराम; दाशरथि राम (दे० राय-पु० राजा; सरदार; मुस्लिम कालमें हिंदुओंको दी 'रामचंद्र'); तीनकी संख्या ईश्वर ।-कजरा-पु० [हिं०] जानेवाली एक उपाधि; भाट । -करौंदा-पु. बड़ा एक धान । -चंगी-स्त्री० दे० क्रममें। -चंद्र-पु० करौदा। -भोग-पु० राजभोग धान । -मुनिया,कौशल्याक गर्भसे उत्पन्न राजा दशरथके पुत्र ।-जननी- मुनी-स्त्री० लाल पक्षीकी माँदा ।-रासि*-स्त्री० राज For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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