________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
६८१
रहनि, रहनी * - स्त्री० रहनेकी क्रिया या ढंग, रहन; चालढाल, आचरण; लगन, प्रेम- 'जो पै रहनि राम सों नाही'- विनय० ।
रहम-पु० [अ०] करुणा, दया, कृपाः बच्चादानी, जरायु । - दिल - वि० दयालु ।
रहमत - स्त्री० [अ०] मेहरबानी, दया ।
रहमान - वि० [अ०] परम कृपालु । पु० परमात्मा । रहर, रहरी + - स्त्री० दे० 'अरहर' |
www.kobatirth.org
रहल - स्त्री० [अ०] रवानगी; सफर; रहनेकी जगह; लकड़ीका बना ढाँचा जिसपर पुस्तक रखकर पढ़ते हैं । रहस* - पु० आमोद-प्रमोद, आनंद । बधावा - पु० विवाहको एक रीति (वर नववधूको जनवासे लाता है, जहाँ गुरुजन मुख देखते और उपहार देते हैं) । रहसना * - अ० क्रि० प्रसन्न, आनंदित होना - 'बोलेउ राउ रहसि मृदुबानी' - रामा० ।
रहसि* - स्त्री० एकांत, गुप्त स्थान ।
रहस्य - पु० [सं०] गुप्त भेद, गोपनीय विषयः मर्म, भेद; निर्जन, एकांत में घटित वृत्त; दुर्योध्य तत्त्व; हँसी-मजाक । -बाद- पु० चिंतन, मनन द्वारा ईश्वरसे प्रत्यक्ष संपर्क स्थापनकी प्रवृत्ति । - वादी ( दिन ) - पु० रहस्यवादका अनुयायी । वि० रहस्यवाद-संबंधी ।
रहा-सहा - वि० बचा-बचाया, बचा खुचा ।
रहाइश - स्त्री० स्थिति, सकूनत; बरदाश्त; गुंजाइश । रहाई* - स्त्री० रहना; आराम, चैन ।
रहाना * - अ० क्रि० होना; रहना ।
रहित- वि० [सं०] हीन, शून्य । रहिला - पु० चना |
रहीम - वि० [अ०] रहम करनेवाला, कृपालु | पु० अब्दुल रहीम खानखानाका काव्यनामः परमात्मा ।
रॉक, रॉकब#* - वि० दे० 'रंक' |
गड़ी+ - पु० एक प्रकारका चावल |
राँगा - पु० एक प्रसिद्ध धातु - रंग, बंग, त्रपु, नाग, चक्र । राँच* - वि० दे० 'रंच' । अ० जरा भी । राँचना * - अ० क्रि० प्रेम करना, अनुरक्त होना, रंग पकड़ना । स० क्रि० रँगना, रंग चढ़ाना । राँजना+ - अ० क्रि० आँखमें काजल लगना । स० क्रि० रँगना; राँगेसे जोड़ना, टाँका लगाना (फूटे बरतन आदि में) । राँert - पु० टिटिहरी, टिट्टिभ; दे० 'रहँटा' |
राँड़ - स्त्री० बेवा, विधवा, जिस स्त्रीका पति मर चुका हो । राँध - अ० पास, निकट - 'राँध न तहवाँ दूसर कोई' - प०; पड़ोस | वि० परिपक्क बुद्धिवाला (प० ) । - पड़ोस - अ० आस-पास, अड़ोस-पड़ोस |
राभा* - पु० राजा ।
राहू - पु० राय, सरदार. छोटा राजा ।
राइता - पु० दे० 'रायता' ।
|
|
रहनि - रचना
राइफल - स्त्री० [अ०] एक तरहकी बंदूक । राई स्त्री० एक छोटी सरसों; अल्प परिमाण; * राजसी, राजा होना। -भर- अ० बहुत थोड़ा। मु०-काई करना या होना - टुकड़े-टुकड़े करना, होना । -नोन उतारना - नजराये बच्चे के सिरके चारों ओर राई- नमक घुमाकर आग में डालने का टोटका । -से पर्वत करनाजरासी बातको बहुत बढ़ाना; हीनको महान् बनाना । राउ* - पु० राजा ।
राउत - पु० राजवंशीय व्यक्तिः क्षत्रिय; वीर पुरुष; सरदार |
राउर* - पु० अंतःपुर, जनानखाना ( राजाओं का ) - 'गे सुमंत तब राउर माहीं' - रामा० + सर्व ० आपका, श्रीमान्का ।
राउल * - पु० राजकुलोत्पन्न पुरुष; राजा । राकस * - पु० राक्षस ।
राकसिन, राकसी* - स्त्री० राक्षसी ।
राका - स्त्री० [सं०] पूर्णिमाकी रात; पूर्णिमा; पहले-पहल रजस्वला होनेवाली स्त्री । - पति-पु० चंद्रमा । राकेश- पु० [सं०] चंद्रमा ।
राक्षस- पु० [सं०] दैत्य, निशाचर; दुष्ट, दुर्वृत्त व्यक्ति; उनचासवाँ संवत्सर । विवाह - पु० वह विवाह जिसमें
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
युद्ध द्वारा कन्या प्राप्त की जाय । राक्षसी - स्त्री० [सं०] राक्षसकी स्त्री; राक्षस स्त्री; दुष्ट, क्रूर स्वभाववाली स्त्री ।
राख - स्त्री० जले पदार्थका शेष, भस्म । राखना* - स० क्रि० बचाना, रक्षा करना; रखवाली करना ( बाग-बगीचे, फसल आदिकी); कपट करना, छिपाना; रोक रखना, जाने न देना, ठहराना; आरोप करना; दे० रखना ।
राखी - स्त्री० रक्षाबंधनका डोरा, रक्षा, मंगलसूत्र (जो ब्राह्मण तथा बहनें श्रावणी पूर्णिमाको बाँधती है); + राख,
भस्म ।
राग - पु० [सं०] रंजन, मनको प्रसन्न करना; प्रीति, अनुराग; आकर्षण (प्रिय वस्तु, सांसारिक सुख-संबंधी ); पंचकेशों में एक (योग); कष्ट, क्लेश; ईर्ष्या, द्वेष, सुगंधित लेप, अंगराग (चंदन, कपूर, कस्तूरी आदिसे निर्मित); अलक्तक, आलता; रंग (विशेषतः लाल); स्वरों, वण, स्वरांगों से युक्त, विशिष्ट ताल-लय-युक्त ध्वनि । रागना * - अ० क्रि० रँग जाना; अनुरक्त होना; निमग्न होना । स० क्रि० गाना, अलापना ।
राँधना - स० क्रि० पकाना (भोजन), पाक करना ।
राँपी । - स्त्री० मोचियोंका चमड़ा छीलने, तराशनेका एक रागी (गिन् ) - पु०
औजार ।
भना - अ० क्रि० बँबाना, बोलना, चिल्लाना (गाय, बैल, आदिका) ।
रागिनी -स्त्री० [सं०] रागकी पत्नी (कुल छत्तीस रागिनियाँ मानी जाती है - संगीत ) ।
रागी* - स्त्री० रानी, राजाकी स्त्री ।
[सं०] प्रेमी; अशोक वृक्ष; मडुआ; मकरा;छ मात्राओंके छंद । वि० रँगा हुआ, रंजित; लाल, अरुण; विषयासक्त; रंजन करने, रँगनेवाला ।
राघव - पु० [सं०] रामः रघुकुलका व्यक्ति; दशरथ; अज; एक बहुत बड़ी समुद्री मछली ।
रचना * - स० क्रि० रचना । अ० क्रि० रचा जाना; रँगा जाना; प्रेम करना, अनुरक्त होना; लीन, मग्न होना;
For Private and Personal Use Only