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मोल - मौजूँ
मोल - पु० मूल्य, दाम । - तोल, -भाव-पु० दाम ठह राने, सौदा पटानेकी बातचीत (करना, होना) । मु० - करना - चीजके दाम तै करना; उचितसे अधिक दाम माँगना । - बढ़ाना - दाम चढ़ाना । —लेना - खरीद लेना मनुष्यको धन देकर खरीदना, दास बनाना । मोलना * - पु० मौलाना, मौलवी । मोलवी - पु० दे० 'मौलवी' ।
मोलाई * - स्त्री० मोल- तोल ।
मोवना - स० क्रि० दे० 'मोना' ।
मोष - पु० [सं०] चोरी; लूट; चोरीका माल; चोर; * मोक्ष - 'मोहूँ दीजै मोष, ज्यों अनेक अधमन दयो' - बि० । मोषक - पु० [सं०] चोर; वध करनेवाला |
मोषण - पु० [सं०] चुराना; लूटना; काटना; वध । मोषयिता (तृ) - पु० [सं०] चोरी या लूट करानेवाला । मोह-पु० [सं०] मूर्च्छा; अज्ञान; अविद्या; देहादिमें आत्मबुद्धि; ममता; भ्रांति; (मोहजनित) दुःख; ३३ संचारी भावों में से एक; * स्नेह । -निद्रा-स्त्री० अज्ञान और अंधविश्वास में डूबा रहना । - निशा - स्त्री० मोहरात्रि । -भंग - पु० भ्रांति-निवारण, अज्ञानका तिरोभाव । - मंत्र - पु० मोह में डालनेवाला मंत्र । - रात्रि-स्त्री० ब्रह्माके ५० वर्ष बीतनेपर होनेवाला प्रलय; भाद्र कृष्णा अष्टमीको रात ।
मोहक - वि० [सं०] मोहजनक; मुग्ध कर लेनेवाला । मोहड़ा - पु० बरतन आदिका मुहँ; वस्तुका अगला या ऊपरका भाग; दे० 'मोहरा' |
मोहताज - वि० दे० 'मुहताज' ।
मोहन - वि० [सं०] मोहनेवाला; मोहकारक | पु० मोहना, लुभाना; कामदेव के पाँच बाणों में से एक; कृष्णका एक नाम; सुरत, संभोग; ( शत्रुको) बेसुध कर देनेवाला मंत्र, एक अभिचार; धतूरेका पौधा । - भोग- पु० [हिं०] एक तरहका हलवा | माला - स्त्री० सोनेके दानोंकी बनी हुई माला ।
मोहना - स० क्रि० लुभाना; छलना - 'मायापति दूतहिं चह मोहा' - रामा० । अ० क्रि० मुग्ध होना । मोहनात्र- पु० [सं०] मंत्रबलसे चालित एक अस्त्र जो शत्रुको मूच्छित कर देता था ।
मोहनी - स्त्री० [सं०] माया; पोईका साग; मोहक प्रभाव, वशीकरण; एक तरह की जूही । वि० स्त्री० दे० 'मोहिनी' । मु० - डालना - मन मोह लेना, जादू करना । मोहब्बत - स्त्री० दे० 'मुहब्बत' ।
मोहर - स्त्री० दे० 'मुहर' ।
मोहरा - पु० बरतन आदिका मुँह; किसी चीजका ऊपरका या सामनेका हिस्सा; सेनाका बढ़ाव; सेनाका अग्रभाग; पशुओं के मुँहपर बाँधी जानेवाली जाली; अँगियाका बंद या तनी; बाहर निकलनेका छेद या द्वार ; [फा०] शतरंजकी गोटी ।
मोहरी - स्त्री० पाजामेका नीचेकी ओरका मुहँ, पायँचा; बरतन आदिका छोटा मुँह; + वह रस्सी जो मरकडे पशुओं के मुँहपर लगाकर पगहेसे जोड़ दी जाती है । मोहर्रिर - पु० [अ०] दे० 'मुहर्रिर ' ।
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मोहलत स्त्री० [अ०] दे० 'मुहलत' । मोहल्ला - पु० दे० 'मुला' | मोहार- पु० शहदकी मक्खियों का छत्ता; मुहरा, मुँह, द्वार । मोहाल - पु० दे० 'महाल' । वि० दे० 'मुहाल' | मोहिं, मोहि* - सर्व० मुझे, मुझको (ब्रज और अवधी) । मोहित-वि० [सं०] मोहप्राप्त, मुग्ध; लुभाया हुआ । मोहिनी - वि० स्त्री० [सं०] मोहने, मन लुभानेवाली । स्त्री० एक अप्सरा विष्णुका वह नारी रूप जो समुद्रमंथन के समय उन्होंने दैत्योंको छलनेके लिए धारण किया था ।
मोही (हिन्) - वि० [सं०] मोहकारक; मोहयुक्त; स्नेह करनेवाला; लोभी ।
माँगा - वि० पु०, माँगी * - वि० स्त्री० चुप, मौन | मौंज - वि० [सं०] मूँजका बना हुआ । मौंजी- स्त्री० [सं०] मूँजकी बनी हुई तीन लड़ोंकी मेखला। - बंध, - बंधन - पु० मूँजकी करधनी धारण करना,
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उपनयन ।
माँड़ा। - पु० लड़का |
मौक़ा पु० [अ०] घटित होनेका स्थान, घटनास्थल; स्थित होनेका स्थान ( मकानका मौक़ा ); उपयुक्त काल, अवसर । - बेमौका - अ० चाहे जब, अवसर अनवसरका विचार किये बिना । मु० - तकना, देखना- अनुकूल अवसरकी राह देखना, घातमें रहना । - देना - अवसर, अवकाश देना । - (क्रे) पर - ऐन वक्तपर, आवश्यकता के समय । - से - उपयुक्त समयपर, यथावसर । मौकूफ़ - वि० [अ०] रोका, ठहराया हुआ; रद्द किया हुआ; छोड़ा हुआ; नौकरीसे छुड़ाया हुआ; वक्फ किया हुआ; अवलंबित, मुनहसर । पु० वह अक्षर जिसपर और जिसके पहले के अक्षरपर हरकत (जेर, जवर, पेश) न हो । मौकूफ़ी - स्त्री० [अ०] काम या नौकरीसे अलग किया जाना, बरतरफी ।
मौक्तिक - पु० [सं०] मोती । - दाम (न्) - ५० मोतियोंकी लड़ी; एक छंद । - सर-पु० मोतियोंका हार या लड़ी। मौक्य - पु० [सं०] मूकता, मौन ।
मौख - वि० [सं०] मुख-संबंधी । पु० मुखसे होनेवाला पाप (अभक्ष्य भक्षण, अवाच्य कथन इ० ) । मौखर्य - पु० [सं०] मुखरता ।
मौखिक - वि० [सं०] मुख-संबंधी, जबानी। -परीक्षास्त्री० (व्हाइव्हा व्होसी) लिखकर नहीं, जबानी ली जानेवाली छात्रों, पदार्थियों आदि की परीक्षा । मौग्ध्य - पु० [सं०] मुग्धता ।
मौज-स्त्री० [अ०] बहर, हिलोर; मनकी लहर, तरंग; उमंग में दिया हुआ दान - 'जाँचि निराखर हू चलै लै लाखनकी मौज' - वि० सुख, आनंद; समृद्धि । मु०मारना - सुख भोगना, ऐश करना; लहरें उठना । - मेँ आना - मन में उठना, मनमें आना; किसीको कुछ देने आदिकी इच्छा होना । मौजा- पु० [अ०] स्थान, रखनेकी जगह; गाँव । मौजी - वि० जो मनमें आये वह कर बैठनेवाला; आनंदी । मौजूँ - वि० [अ०] वजन किया हुआ, तुला हुआ; ठीक,