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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६५८ मैया-मोड़ना मैया-स्त्री० माता। मोची (चिन्)-पु० [सं०] मुक्त करनेवाला, छुड़ानेवाला । मैर-स्त्री० सर्प-विषकी लहर। मोच्छ*-पु० दे० 'मोक्ष'। मैल-पु० शरीर, कपड़े आदिसे चिपका हुआ मल, गर्द | मोज़ा-पु०[फा०] पाँवमें पहननेका एक बुना हुआ कपड़ा, इ० मैला करनेवाली चीज, मल; विकार; किसीकी ओरसे | पायताबा पाँवका टखने और पिंडलीके बीचका भाग । मनमें संचित दुःख-दुर्भाव । -खोरा-वि० जो मैलको मोट-स्त्री० गठरी । पु० पुर, चरसा । * वि० दे० मोटा' । छिपा सके, गर्दखोरा (रंग)। पु. वह कपड़ा जो दूसरे मोटक-पु० [सं०] पितृतर्पणमें व्यवहृत दुहरा किया हुआ कपड़ोंको मैला होनेसे बचानेके लिए नीचे पहना जाय; कुशत्रय । नमदा । मु०-काटना-मैल दूर करना। मोटर-स्त्री० [अं०] गतिशक्ति देनेवाला यंत्र; ऐसे यंत्र मैला-वि० मैलवाला, समल, गंदा । पु० कूड़ा; गू। | (आंतरिक दहनसे परिचालित इंजन) द्वारा चालित सवारी -कुचैला-वि० बहुत मैला।। गाड़ी, मोटरकार । -कार-स्त्री० मोटर, हवागाड़ी। मैहर*-पु० मायका। -खाना-पु० मोटरकार रखनेका स्थान (मोटर गैरेज)। मौ*-प्र० दे० 'में' । सर्व० दे० 'मो'। -ड्राइवर-पु० मोटर चलानेवाला। -बस-लारीमाँगरा-पु० दे० 'अँगरा' तथा 'मोगरा' । स्त्री० आदमी या माल ढोनेवाली गाड़ी जो मोटर-इंजनसे माँछ-स्त्री० दे० 'मूंछ'। परिचालित हो । बोट-स्त्री० मोटर-इंजनसे चालित नाव । मोड़ा-+ पु० लड़का, बालक । -साइकिल-स्त्री० मोटर-इंजनसे चलनेवाली साइकिल, मौदा-पु० बाँस, बेंत आदिका तिपाई जैसा गोलाकार 'फटफटिया। आसन । मोटा-वि०जिसकी देहमें मांस-मेद अधिक हो, स्थूलकाय; मो*-सर्व० 'मैं'का एक रूप जो व्रज और अवधीमें विभक्ति मांसल बड़े घेरेवाला; गाढ़ा, दबीज (कपड़ा, कागज); जो लगनेसे हो जाता है, मेरा । पतला या बारीक न हो (सूत, अक्षर, आटा); भारी मोक-पु० [सं०] केंचुल । घटिया; सूक्ष्मका उलटा, स्थूल (बुद्धि, बात); भद्दा; * मोकना-स० क्रि० छोड़ना; फेंकना-'रोक्यो तही जोर | बलवान् , जबर्दस्त । -असामी-पु० मालदार असामी। नाराच मोक्यो'-राम। -काम-पु० जिसमें अधिक बुद्धि या कुशलताकी आवमोकळ*-वि० बंधनरहित, स्वच्छंद । श्यकता न हो। -झोटा-वि० घटिया, मामूली (अनाज, मोकला*-वि० दे० 'मोकल'। कपड़ा)।-ताजा-वि० हृष्ट-पुष्ट, तगड़ा।-(टी)अकल,मोक्ष-पु०[सं०] तुलना, बंधनसे छूटना, छुटकारा जीवका समझ-स्त्री० सूक्ष्म, पेचदार बातोंको समझने में असमर्थ जन्म-मरणके बंधनसे छूटना, मुक्तिः गिरना, झड़ना वुद्धि । -आवाज़-स्त्री० भारी, भद्दी आवाज ।-बात(आँसू , पत्ते); फेंकना (बाण); पाटलिका पेड़ । -दा- स्त्री०सुली, सबकी समझमें आने लायक बात ।-(टे)मलवि० स्त्री० मोक्ष देनेवाली। स्त्री. मार्गशीर्ष-शुका एका. पु० अधिक मोटा, ढीले बदनवाला आदमी। -हिसाबदशी। -दात्री-दायिनी-वि० स्त्री० मोक्ष देनेवाली। अ० अंदाजन, लगभग, कुछ कमोबेश । -तौरपरमोक्षक-पु० [सं०] मुक्ति या छुटकारा देनेवाला । साधारण या स्थूल रूपसे । मु०-(टा)खाना-पहननामोक्षण-पु० [सं०] खोलना, छोड़ना; गिराना; फेंकना। सस्ता, घटिया अन्न-वस्त्र खाना-पहनना। मोक्ष्य-वि० [सं०] मोक्षके योग्य, मुक्तिका अधिकारी। | मोटाई-स्त्री० मोटा होना, स्थूलता; धन या बलका गर्व । मोखा-पु० रोशनदान, झरोखा; एक वृक्ष, मुस्कक । मु०-चढ़ना-घमंडी, शरारती हो जाना। -झड़नामोगरा-पु० बड़े और अधिक सुगंधित फूलवाला बेला । घमंड या शरारत दूर होना। मोगल-पु० दे० 'मुगल'। | मोटाना-अ० क्रि० मोटा होना; पैसेवाला होना; घमंडी मोघ-वि० [सं०] निरर्थक, व्यर्थ जानेवाला । पु० बाड़ा। हो जाना। मोच-स्त्री० हाथ-पाँवके किसी जोड़की नसमें चोट आदिसे मोटापा-पु० मोटाई, स्थूलता; घमंड । शोथ और पीड़ा होना या उसका अपनी जगहसे हट मोटिया-पु० बोझ ढोनेवाला, कुली; गाढ़ा, गजी । जाना (आना)। मोहायित-पु. [सं०] एक हाव-प्रियकी चर्चा चलनेपर मोचक-वि० [सं०] छुटकारा दिलानेवाला, मुक्तिकारक । | नायिकाके अनुरागका, छिपानेकी चेष्टा करते हुए भी, पु० विरागी; मोक्ष केला; सहिजन । प्रकट हो जाना। मोचन-पु० [सं०] बंधन, कष्ट आदिसे छुड़ाना, छुटकारा | मोठ-पु० दालके काम आनेवाला एक मोटा अन्न, बनमूंग । देना, दिलाना; हरण (वस्त्र-मोचन) । वि० (समासमें) मोठस*-वि० चुप ।। छुड़ानेवाला (संकटमोचन)। मांड़-पु० मुड़नेका भाव, घुमाव; रास्तेका घुमाव, वह मोचना-* सक्रि० गिराना (आँसू); छुड़ाना । पु० वह जगह जहाँसे रास्ता दूसरी दिशाकी ओर गया हो; कागज औजार जिससे नाई मूंछ आदिके पके बाल उखाड़ता है। आदिका मुड़ा हुआ कोना या वह लकीर जहाँसे वह लुहारोंका एक औजार । मोड़ा गया हो। -तोड़-पु० घुमाव । मोचयिता (त)-वि० [सं०] छुटकारा दिलानेवाला । मोड़ना-स० क्रि० घुमाना; झुकाना टेढ़ा करना; दिशा मोचरस-पु० [सं०] सेमलका गोंद । बदलना; लौटाना, पीछेकी ओर फिराना कागज इत्यादिमोची-पु० जूते सीनेवाला, चमड़ेका काम करनेवाला । को किसी स्थानपर उलटकर दबा देना या दोहरा कर देना। For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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