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मुँहाचही-मुक्त
६४४ होना, मनमें अति लोभ होना। -से लाल उगलना- मुकरर-वि० [अ०] ठहराया हुआ, ते किया हुआ, नियत; मुँहसे बहुत मीठे शब्द निकलना, फूल झड़ना। -स्याह| नियुक्त। होना-दे० 'मुँह काला होना'। -ही मुंहमें-चुपके- मुकलाना*-स० कि० खोलना। चुपके (-कहना, बातें करना)।
| मुकाबला-पु० [अ०] बराबरी करना; बराबरी; आमनामहाचही -स्त्री० डींग मारना-'महाचही सेनापति सामना; मुठभेड़; लड़ाई; विरोध; मिलाकर जाँचना, कीन्हीं सकटासुर मन गर्ब बढ़ायो'-सू० ।
मिलाना । मु०-(ले) पर (मे ) आना-लड़नेके मुँहामुंह-पु० मुँहतक, बिलकुल ऊपरतक ।
लिए सामने आना; सामना करना। महासा-पु० युवावस्थामें चेहरेपर निकलनेवाली एक मकाबिल-वि० [अ०] मुकाबला, बराबरी करनेवाला; तरहकी फुसी।
प्रतिस्पर्धी सामनेका । अ० आमने-सामने । मुअज्ज़म-वि० [अ०] पूज्य, बुजुर्ग; महान् ।
मुक्राम-पु० [अ० 'मकाम'] ठहरने, खड़ा होनेकी जगह, मुअज्ज़िन-पु० [अ०] अजाँ देनेवाला, नमाजके लिए स्थान पड़ाव ठहराव बासस्थान, घर, मौका । आह्वान करनेवाला।
मुकामी-वि० [अ० ] स्थानीय, स्थानविशेषसे संबद्ध मुअत्तल-वि० [अ०] खाली, बेकार, काम न देनेवाला (लोकल)। -अफसर-पु० स्थानीय अधिकारी। खबर( अंग); कामसे कुछ अरसेके लिए अलग किया हुआ, स्त्री० स्थानीय समाचार । अस्थायी रूपसे पदच्युत (कर्मचारी)।
मुकियाना -स० क्रि० मुक्की लगाकर शरीरको मालिश मुअत्तली-स्त्री० [अ०] मुअत्तल होनेका भाव ।
करना; (हलके) चूंसे लगाना । मुमल्लिम-पु० [अ०] इल्म देनेवाला, शिक्षक । मुकुंद-पु० [सं०] विष्णु; कृष्ण। . मुआ-वि० मरा हुआ, मृत निगोड़ा।
मुकुंदक-पु० [सं०] प्याज; साठी धान । मुआइना, मुआयना-पु० [अ०] अबलोकन, निरीक्षण
मुकुट-पु० [सं०] एक प्रसिद्ध शिरोभूषण जो ताजकी जाँच-पड़ताल ।
तरह धारण किया जाता था, किरीट । -धर-धारीमुआत-वि० [अ०] दे० 'माफ'।
(रिन)-वि० मुकुट धारण करनेवाला (राजा)। मुआफ्रिक-वि० दे० 'मुवाफ्रिक'।।
मुकुताहल*-पु० मोती। मुआफ्रिक्रत-स्त्री० अनुकूलता; मेल-जोल ।
मुकुर-पु० [सं०] दर्पण, आईना; मौलसिरी । मुआमला-पु० [अ०] दे० 'मामला।
मुकुल-पु० [सं०] कली; वह कली जिसका मुँह जरा-जरा मुआवजा-पु० [अ०] वह चीज जो किसीके बदले में दी ।
। बदलभ दी खुल रहा हो; शरीर; आत्मा । जाय, बदला, पलटा; वरतुका मूल्य; तावान, हर्जाना। मुकलित-वि० [सं०] मुकुलविशिष्ट; अधखिला; अधमुँदा। मुकट-पु० दे० 'मुकुट'।
मुक्का-पु० चूंसा, मारनेके लिए. बाँधी हुई मुट्ठी। -(के) मुकतई*-स्त्री० मुक्ति, मोक्षपद ।
बाजी-स्त्री० सेबाजी, घूसोंकी लड़ाई। मुकता-* पु०, स्त्री० दे० 'मुक्ता'। वि० बहुत (बुंदेल०) मुक्की-स्त्री० घुसेवाजी; मालिशके लिए शरीरपर धीरे-धीरे -'मुकती साँठि गाँठि जो करै'-प० ।
मुक्के लगाना। मुकतालि*-स्त्री० मोतियोंकी लड़ी, मुक्तावली । मुक्केस*-पु० दे० 'मुबकैश' । मुकति*-स्त्री० मुक्ति।
मुक्तश--पु० सोने-चाँदीका तार, बादला; सोने-चाँदीके मुकदमा-पु० [अ० 'मुकद्दमा'] अदालत में गया हुआ तारोंका बना कपड़ा, ताश । मामला, व्यवहार; दावा, नालिश। -(मे)बाज़-वि० मक्तशी-वि. सोने चाँदीके तारोंका बना, जरी या मुकदमा लड़नेवाला, जिसे मुकदमा लड़नेका शौक हो। ताशका बना हुआ। -गोखरू-पु० तारोंका बना -बाज़ी-स्त्री० मुकदमा लड़ना ।
महीन गोखरू । मुकद्दम--वि० [अ०] पहला, आला; जो पहले हो चुका मक्त-वि० [सं०] मोक्षप्राप्त, भवबंधनसे मुक्त; बंधनरहित,
हो, पुराना; फर्ज, अवश्य कर्तव्य । पु० गाँवका चौधरी। खुला हुआ; छूटा हुआ; क्षिप्त, फेंका हुआ। -कंचुकमुक़दमा-पु०[अ०] आरंभ, प्रस्तावना; सिरनामा; घटना; वि० (वह साँप) जिसने केंचुल उतार दी हो। -केशअदालतमें गया हुआ मामला, व्यवहार ।
वि. जिसके बाल बैंधे, गुथे न हों। -केशी-स्त्री० मुकहर-पु० [अ०] भाग्यलेख, भाग्य, तकदीर । -आज- काली । वि० स्त्री० खुले बालोंवाली। -चेता(तस)माई-स्त्री० भाग्यकी परीक्षा करना।
वि० जिसका चित्त संसारकी आसक्तिसे, जिसकी आत्मा मुकना-अ० क्रि० मुक्ति, छुटकारा पाना; चुकना। भवबंधनसे, मुक्त हो चुकी हो। -द्वार-वि० जिसका मुकम्मल--वि० [अ०] समाप्त; संपूर्ण, अखंड । दरवाजा खुला हो, निर्बाध । -द्वारनीति-स्त्री. देसा। मुकरना-अ०क्रि० कही हुई बातसे हटना, नटना, इनकार वरसे आनेवाले मालपर बाधक कर न लगानेवाली करना।
वाणिज्यनीति । -वसन-वि० निर्वस्त्र। पु० दिगंबर मुकरामा*-सक्रि० मुक्त कराना: मुकरने में प्रवृत्त करना। जैन । -वाणिज्य,-व्यापार-पु० (फ्री ट्रेड) विदेशोंके मुकरी-स्त्री० वह कविता जिसमें पहले कही हुई बातका साथ होनेवाले आयात-
निर्यात-संबंधी बाधाओं या करोंसे अंतमें खंडन-सा किया जाय, पहेली जैसी कविता। मुक्त व्यापार ।-व्यापारनीति-स्त्री० (फ्री ट्रेड पॉलिसी) मुकर्रम-वि० [अ०] सम्मानित; पूज्य । [स्त्री मुकरमा'।] | बाहरसे आनेवाले मालपर बाधक कर न लगाने, किसी
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