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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मानना - माया मानना - स० क्रि० स्वीकार, कबूल करना; आदर, मान करना; गुण, योग्यताका कायल होना; ( किसीपर) श्रद्धा करना; तिथि, पर्व आदि स्वीकार और उस दिनके विशेष कर्तव्योंका पालन करना, मनाना; मन्नत करना; समझना, खयाल करना । अ० क्रि समझना, फर्ज करना; राजी होना । माननीय - वि० [सं०] मान करने योग्य, आदरणीय । मानव - पु० [सं०] मनुष्यकी संतान, मनुष्य । वि० मनुसंबंधी; मनुष्योचित । - धर्मशास्त्र- पु० मनुस्मृति । - पणन, व्यापार - पु० ( ट्रैफिक इन ह्यूमन बीइंग्ज़) मनुष्यों को बेचने खरीदनेका काम । - विज्ञान - पु० (एनथ्रोपॉलॉजी) दे० 'नृवंशविज्ञान' | मानवता - स्त्री० [सं०] मनुष्यता । मानवती - वि० स्त्री०, स्त्री० [सं०] मानिनी (नायिका) । मानवी - वि० मानवका; मनुष्य-संबंधी । स्त्री० [सं० ] नारी, स्त्री । मानवीय - वि० [सं०] मानव-संबंधी, इनसानी । मानवेंद्र - पु० [सं०] राजा; नरश्रेष्ठ । मानस-पु० * मनुष्य - 'मनु अनेक मानस उपजाये'छ० [सं०] मन, चित्त; मानसरोवर; रामचरितमानस । वि० मनसे उत्पन्न; मनःकृत । - चारी ( रिन्) - वि० मानसरोवर में रहनेवाला | पु० हंस । - जन्मा (न्मन्) - पु० कामदेव । - देव* - पु० मानवेंद्र, राजा । - पुत्रपु० (ब्रह्माके) संकल्पमात्र से उत्पन्न पुत्र । - पूजा-स्त्री० बाह्योपचारके बिना मनसे की जानेवाली पूजा । -शास्त्रपु० मनकी प्रकृति, क्रियाओं, वृत्तियों आदिका विवेचन करनेवाला शास्त्र, मनोविज्ञान । - शास्त्री (त्रिन्) - पु० मानसशास्त्रका पंडित । मानसिक - वि० [सं०] मन-संबंधी । मानसी - स्त्री० [सं०] एक विद्यादेवी । वि० स्त्री० मनसे उत्पन्न, मनःकृत ( - सृष्टि, - पूजा ) । * - अ० दे० 'मानो' । अटना, समाना । मानिंद - वि० [फा०] सदृश, समान । मानिक- पु० एक प्रसिद्ध रत्न, माणिक्य, लाल । - चंदी -स्त्री० साधारण सुपारी । - रेत स्त्री० मानिकका चूरा । मानित - वि० [सं०] सम्मानित | मानिता - स्त्री०, मानित्व - पु० [सं०] मानी होनेका भाव, अभिमान, गौरव । मानिनी - वि० स्त्री० [सं०] मान, अभिमान करनेवाली, मानवती । स्त्री० नायकके किसी अपराधसे रूठी हुई नायिका (सा० ) । मानी - पु० [अ०] अर्थ, मतलब, अभिप्राय; हेतु (बहुवचन में) । मानी (निन्) - वि० [सं०] मान करनेवाला; मानयुक्त, प्रतिष्ठित; स्वाभिमानी; रूठा हुआ (नायक) । मानुख* - पु० दे० 'मनुष्य' । मानुष - वि० [सं०] मनुष्य-संबंधी, मानव । पु० मनुष्य । मानुषिक - वि० [सं०] मनुष्य-संबंधी । मानुषी - वि० मनुष्यका । स्त्री० [सं०] स्त्री, नारी; Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६३४ विकित्सा के तीन भेदों- आसुरी, मानुषी, देवी-मेंसे एक । मानुष्य, मानुष्यक - पु० [सं०] मनुष्यताः मानवदेह; मनुष्य जाति । वि० मनुष्य संबंधी; मनुष्यका । मानुस* - पु० मनुष्य, आदमी । माने- पु० मानी, मनलब, अर्थ । मानौँ, मानो - अ० जैसे, गोया । मानौं * - अ० दे० 'मानोँ' । मामा पु० माँका बाई, मातुल । स्त्री० [फा०] माता; वृद्धा; खाना पकानेवाली, पाचिका; सेविका, नौकरानी । मान हुँ* माना* - स० क्रि० मापना, नाप-तौल करना । अ० क्रि० मामी - स्त्री० मामाकी पत्नी, मातुलानी; अपना दोष न मान्य - वि० [सं०] मानने योग्य, आदरणीय, पूज्य । मान्यता- स्त्री० (किसी सिद्धान्त आदिका) मान्य होना; किसी संस्थाको स्वीकृति देना, प्रामाणिक मान लेना । माप-स्त्री० मापनेकी क्रिया या भाव; नाप; परिमाण । मापक - पु० [सं०] मापनेवाला; पैमाना; बाट; अनाज तौलनेवाला, वया (कौ० ) । मापन - पु० [सं०] नापना; तराजू । मापना-स० क्रि० वस्तुका विस्तार, घनत्व या वजन मालूम करना, नापना, पैमाइश करना। * अ० क्रि० मत्त, मतवाला होना, मातना । माफ़ - वि० [अ० ' मुआफ'] क्षमा किया हुआ, बख्शा गया । - करो - क्षमा करो; रास्ता लो; जान छोड़ो । माफिक - वि० अनुकूल, अनुसार । माफी - स्त्री० क्षमा, माफ किया जाना; वह जमीन जिसकी मालगुजारी या लगान माफ हो; लाखिराज जमीन । - दार - वि० जिसके पास माफी जमीन हो । माम* - पु० ममता, अहंता । मामलत - स्त्री० [अ० ' मुआमिलत' ] मामला; झगड़ा, विवाद । - दार - पु० तहसीलदार (म० प्र० ) । मामला, मामिला - पु० [अ०] काम-काज, धंधा; देन-लेन, खरीद-बेची; काम; घटना, बात; विवाद, मुकदमा । मु० - करना - तै करना, समझौता करना । -पटाना-सौदा करना । मानना । मु० - पीना-अपनी गलती पर ध्यान न देना । मामूँ - पु० मामा, भातुल । मासूर - वि० [अ०] भरा हुआ; आबाद; समृद्ध मामूल - वि० [अ०] अमल किया हुआ; जिसपर अ किया जाय । पु० वह बात जो रोज की जाय, नित्य नियम; अभ्यास; रीति, दस्तूर; दस्तूरी । -के दिनरजोधर्मका समय । मामूली- वि० [अ०] रोज होनेवाला, साधारण । माय* - अ०मध्य, बीच । स्त्री० विवाह-समयका छोटा पुआ । माय - स्त्री० माता, माँ; दे० 'माया' । अ० दे० 'मह' | मायक* -- पु० माया करनेवाला । मायका - पु० पीहर | मायन* - पु० विवाह में मातृकापूजनका दिन; उस दिनका कृत्य । मायनी * - स्त्री० मायाविनी । माया - स्त्री० [सं०] धोखा, कपट; इंद्रजाल, जादू; परमेश्वरको अव्यक्त बीजरूप शक्ति जो प्रपंचकी कारणभूता For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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