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अरघान-अराज़ी
पानी निकासके लिए बना हुआ रास्ता । अरघान, अरघानि* - स्त्री० गंध ।
अरचन* - पु०, अरचना* - स्त्री० दे० 'अर्चन', 'अर्चना' । अरवल * - स्त्री० दे० 'अड़चन' ।
अरचि* - स्त्री० ज्योति, प्रकाश ।
अरचित * - वि० दे० 'अर्चित' | अरज- स्त्री० दे० 'अर्ज़' |
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अरदावा- पु० दला हुआ अन्न; भरता ।
अरदास - स्त्री० प्रार्थना; प्रार्थना-पत्र; नानकपंथी ईश्वर
प्रार्थना; भेंट, नजर ।
अरधंग* - पु० दे० 'अर्द्धांग' |
अरधंगी, अरधाँगी - पु० दे० 'अडांगी' ।
अरध-वि० दे० ‘अर्द्ध’। * अ० अंदर, भीतर ।
अरजना * - स० क्रि० अर्ज करना; प्राप्त करना । अरजी- स्त्री० दे० 'अजी' । * वि० अरज करनेवाला, प्रार्थी । अरणि, अरणी - स्त्री० [सं०] एक वृक्ष, गनियार, अँगे; काठका एक यंत्र जिससे ( विशेषतः ) यशके लिए आग उत्पन्न करते हैं; सूर्य; अग्नि; चकमक पत्थर । अरण्य - पु० [सं०] वन, जंगल; कायफल; संन्यासियोंका एक भेद । - रोदन, विलाप - पु० ऐसा रोना जिसे कोई सुननेवाला न हो, निष्फल कथन, निवेदन इ० । -श्वान - पु० भेड़िया; गीदड़ |
अरण्यानि, अरण्यानी-स्त्री० [सं०] बहुत बड़ा जंगल;वनदेवी । अरत - वि० [सं०] सुस्तः विरक्त; अनासक्त; असंतुष्ट । अरति - स्त्री० [सं०] विरक्ति; असंतोष; उचाट । अरथ* - पु० दे० 'अर्थ' ।
अरविंदिनी - स्त्री० [सं०] नलिनी; कमल-लता; कमलसमूह; कमलपूर्ण स्थान
अरवी - स्त्री० एक कंद, घुइयाँ ।
अरथाना * - स० क्रि० समझाकर कहना; व्याख्या करते हुए कहना ।
अरस - वि० [सं०] रसहीन, नीरस, फीका; असभ्य; सुस्त पु० रसका अभाव; * आलस्य; आकाश, 'जाकी तेग अरसमें डूलें' - छत्र०; छत; महल ।
अरथी - स्त्री० एक सीढ़ी जैसी चीज जिसपर मुर्दे को सुलाकर श्मशान ले जाते हैं, टिकठी । वि० दे० 'अथीं' । अरथी (थिन्) - वि० [सं०] जो रथपर सवार न होकर अरसना - परसना - स० क्रि० छूना; आलिंगन करना । लड़े, पैदल |
अरसना* - अ० क्रि० ढीला या सुस्त पड़ना ।
अरद - वि० [सं०] बिना दाँतका; जिसके दाँत टूट गये हों । * पु० कष्ट पहुँचाना; विनाश ।
अरदन - वि० [सं०] दे० 'अरद', पु० दे० 'अर्दन' ।
अरस परस - पु० आँखमिचौनीका एक खेल; दरस-परस । अरसा - पु० [अ०] समय; अवधि; मैदान; देर; बहुत दिन । अरसाना* - अ० क्रि० अलसाना । अरसिक - वि० [सं०] अरसश; काव्य, संगीत आदिका रस लेने में असमर्थ; स्वादहीन, रूखा; रूखे स्वभावका । अरसी* - स्त्री० अलसी, तीसी ।
अरदना * - स० क्रि० मसलना; कुचलना; मसल-कुचलकर भार डालना ।
अरदली - पु० किसी बड़े अफसर के साथ रहनेवाला खास अरसीला, अरसौहा* - वि० अलसाया हुआ । चपरासी ।
अरहंत* - पु० दे० 'अहंत' ।
अरन - पु० एक तरहकी निहाई; * दे० 'अरण्य' । अरना - पु० जंगली भैंसा । * अ० क्रि० दे० 'अड़ना' । अरनि- स्त्री० दे० 'अरणि'; * अड़ना; रुकना; हठ करना । अरनी - स्त्री० अरणि, यशका अग्निमंथन काष्ठ; जलन । अरन्य* - पु० दे० 'अरण्य' ।
अरपन* - पु० दे० 'अर्पण' |
अपना * - स० क्रि० अर्पण करना, भेंट करना ।
अरपित* - वि० दे० 'अर्पित' ।
अरब - वि० सौ करोड़ । पु० सौ करोड़ की संख्या; * घोड़ा; इंद्र [अ०] एक देश या वहाँका निवासी । अरबर* - वि० अंडबंड; कठिन; टेढ़ा ।
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अरबराना* - अ० क्रि० घबड़ाना; लटपटाना ।
अरबरी - स्त्री० हड़बड़ी ।
अरबी - वि० अरब देशका | पु० अरब-निवासी, अरबका या अरबी नस्लका घोड़ा; एक बाजा । स्त्री० अरबकी भाषा । अरबीला* - वि० अंडबंड, निरर्थक; गर्वयुक्त (?) 1 अरभक* - पु० दे० 'अर्भक' |
अरमा* - स्त्री० चमक- 'मैथिली- विलास बीजुरीकी अरमा सो है' - लधिराम ।
अरमान- पु० [फा०] लालसा, इच्छा, कामना । अरर - अ० विस्मय, उल्लास आदिका सूचक शब्द अरराना* - अ० क्रि० 'अररर' की ध्वनिके साथ ( दीवार, पेड़, डाल आदिका) टूटकर गिरना; भहराना । अरवा - पु० बिना उबाले धानका चावल; ताखा । अरवाती* - स्त्री० ओलती ।
अरविंद - पु० [सं०] कमल सारस; ताँबा । -नयनलोचन - पु० विष्णु । - नाभि-पु० विष्णु । -बंधु - पु० सूर्य । - योनि-पु० ब्रह्मा |
अरहट - पु० कुएँसे पानी निकालनेका यंत्र, रहट ।
अरहन - पु० साग-भाजी में पकाते समय मिलाया जानेवाला आटा या बेसन |
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अरहना * - स्त्री० पूजा ।
अरहर - स्त्री० दालके काम आनेवाला एक अनाज, तुअर । अरा* - पु० आरा झगड़ा ।
अराअरी - स्त्री० दे० 'अड़ाअड़ी' ।
अराजक - वि० [सं०] बिना राजा या राज्यका; अराजकतावादी । पु० राजाका न होना; विप्लव |
अराजकता स्त्री० [सं०] शासनका अभाव; अव्यवस्था, बदअमली । - वाद-पु० राज्यहीन समाज व्यवस्थाका प्रतिपादन करनेवाला मतवाद | अराजपत्रित - वि० (नॉन-गजेटेड) (अधिकारी, कर्मचारी) जिसका नाम या जिसकी पदवृद्धि, स्थानांतरण, छुट्टीपर जाने आदि के संबंध में कोई सूचना सरकारी समाचारपत्र में न छपती हो ।
अराजी - स्त्री० [अ०] जमीन, धरती ( अर्जका बहुवचन