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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org भार्याटिक - भाषना भार्याटिक - वि० [सं०] स्त्रीके शासन में रहनेवाला । भार्यात्व - पु० [सं०] पत्नीत्व | भाल - पु० भाला; गाँसी; भालू ; [सं०] माथा, ललाट; तेज, अंधकार । -चंद्र- पु० शिव; गणेश । -नयन, - नेत्र. - लोचन - पु० शिव । भालका* - स्त्री० दे० 'भलका' । भालना स० क्रि० भली भाँति देखना; तलाश करना (केवल 'देखना ' के साथ प्रयुक्त) । भाला - पु० बरछा, नेजा । -बरदार- पु० भाला धारण करने, चलानेवाला | भालूक, भाल्ळूक - पु० [सं०] रीछ । भावंता* - पु० प्रेमपात्र; होनहार । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 'भाव' में | भावता * - वि० जो मनको भाये, अच्छा लगे । पु० प्रेमपात्र, प्रियतम । (भावती = प्रियतमा । ) ५९८ भावन - पु० [सं०] निमित्त कारण; स्रष्टा; चिंतन, कल्पना; किसी चूर्णको रससे तर करके घोटना; सुवासित करना; अनुभूति । * वि० भाने, अच्छा लगनेवाला । भावना - * अ० क्रि० दे० 'भाना' । स्त्री० [सं०] चिंतन, ध्यान, खयाल, कल्पना; उत्पादन; रुचिवर्धन; इच्छा, इरादा; स्मरण; प्रमाण; कौआ; जल; चूर्ण आदिको रस, काथ आदि के साथ बारबार तर करके घोटना । भावनामय - वि० [सं०] भावनायुक्त; काल्पनिक | भावनि* - स्त्री० जो जीमें आये, जो कुछ सोचा हो । भावनीय - वि० [सं०] चिंतनके योग्य, सोचने-विचारने या कल्पनाके योग्य । भालि * - स्त्री० बरछी; शूल । भाली - स्त्री० भालेकी गाँसी; शूल । भालु - पु० भालू; [सं०] सूर्य । भालुक, भाल्लुक - पु० [सं०] रीछ, भालू । भालू - पु० एक वन्य हिंस्र जंतु जिसके शरीरपर लंबे-लंबे भावांतर - पु० [सं०] मनकी अवस्था दूसरी हो जाना; बाल होते हैं, रीछ । अर्थातर | भावानुग - वि० [सं०] भावका अनुसरण करनेवाला । भावाभास - पु० [सं०] बनावटी भाव; अनुपयुक्त स्थान में भावका दिखलाया जाना (सा० ) । भावार्थ- पु० [सं०] वह अर्थ जिसमें प्रत्येक शब्दका अर्थ देकर समूचे वाक्यका आशय दे दिया जाय, मतलब, तात्पर्य । भाविक - वि० [सं०] भावनाप्रधान, भावुकः स्वाभाविक; * मर्मश | पु० एक अर्थालंकार-भूत या भविष्यकी घटनाओंका इस तरह वर्णन करना मानो वे आँखोंके सामने घटित हो रही हों । भावित - वि० [सं०] सोचा हुआ, चिंतित; जाना हुआ; प्रमाणित; प्राप्त; शोधित; जिसमें किसी रस आदिको भावना दी गयी हो; वासित; मिश्रित; व्यक्त किया हुआ । भावी - स्त्री० होनी होनेवाली बात । भावी (विन्) - वि० [सं०] होनेवाला, होनहार ; भविष्यत् । भावुक - वि० [सं०] भावी; जो जल्दी भावों, विशेषतः कोमल, करुण भावोंके अधीन हो जाय, कोमलचित्त; सहृदय, रसज्ञ; मंगलयुक्त । भावुकता - स्त्री० [सं०] भावुक होना, भाव-प्रवणता । भावै* - अ० दे० 'भाव' | भाव - पु० दर, निर्ख; [सं०] जन्म, उत्पत्ति; होना, सत्ता, अभावका उलटा; चित्तमें उत्पन्न होनेवाला विकार, हर्ष, शोकादि मनोविकार; भावना; जो कुछ मनमें सोचा जाय, खयाल; शब्द या वाक्यका अर्थ, आशय; राग, प्रेम; भावसूचक अंगचेष्टा, भंगी; अवस्था, दशा; हैसियत, रूप (दासभाव ); स्वभाव; श्रद्धा भक्ति; जन्मकुंडलीके विभिन्न स्थान (तनु, धन आदि); गीतका भाव बतानेवाली अंगचेष्टा । - गम्य-वि० मनसे जानने योग्य । -ग्राही( हिन्) - वि० भाव, तात्पर्य को समझनेवाला, रसज्ञ । -ज-पु० काम, कामदेव -ज्ञ वि० मनोभाव समझनेवाला । - प्रधान - वि० जिसमें भावकी प्रधानता हो; जिसकी भावानुभूति अधिक तीव्र हो, भाविक । - प्रवण - वि० भावप्रधान, भावुक - प्रवणता - स्त्री० भावप्रधान होना; भावोंके वश, भावसे परिचालित होनेकी प्रवृत्ति; भावुकता । -बोधक- वि० भाव बताने या प्रकट करनेवाला। -भक्ति-स्त्री० श्रद्धा-भक्ति, आदर - मैथुन - पु० मनमें मैथुनका विचार रखना ( जैन ) । - बाचक - वि० किसी चीजका भाव, धर्म गुण आदि बतानेवाला । - वाच्य - पु० क्रियाका वह रूप जिसमें वाक्यका उद्देश्य कर्ता या कर्म न होकर भाव होता है । -व्यंजक- वि० भावबोधक | - शबलतास्त्री० एक अलंकार जिसमें भावोंकी संधि होती है । - शांति - स्त्री० एक प्रकारका वर्णन जिसमें एक भावकी शांतिके साथ दूसरेका उदय होता है और शांति ही चमत्कार होता है । -शुद्धि-स्त्री० भावकी सचाई, नेक नीयती । - शून्य - वि० अनासक्त । - संधि - स्त्री० वह स्थिति जब मनमें एक साथ कई प्रबल भाव उत्पन्न हों । भावइ* - अ० मनमें आये, जी चाहे तो । भावक - * अ० थोड़ा । वि० [सं०] भावना करनेवाला; प्रेमी; उत्पादक; श्रेयस्कर; रसज्ञ; * भावभरा; भक्त । पु० भाव, मनोविकार | भावज - स्त्री० बड़े भाईकी स्त्री, भौजाई । पु० [सं०] दे० | भाषना* - स० क्रि० बोलना, कहना । भावोदय - पु० [सं०] एक प्रकारका वर्णन जिसमें एक भावकी शांति और दूसरेका उदय हुआ हो और उदयमें ही चमत्कार हो (सा० ) | भावोद्दीपक- वि० [सं०] भावोंको उत्तेजित करनेवाला | भावोन्मत्त - वि० [सं०] भावविह्वल । भावोन्मेष - पु० [सं०] भावका उदय । भाव्य- वि० [सं०] होनेवाला, भावी; भावना करने योग्य, सिद्ध करने योग्य | पु० होनी । भाष - पु० भाषा, वाणी । For Private and Personal Use Only भाषक - पु० [सं०] कहने, बोलनेवाला (समासांत में ) । भाषण - पु० [सं०] बोलना, कथन; व्याख्यान; कृपापूर्ण शब्द | - प्रतियोगिता - स्त्री० विषय विशेष पर बोलनेकी प्रतियोगिता ।
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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