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भर-भर्ता आदिमें किसीके) बराबर । *अ० के बल, द्वारा ।-पाई- होना । स्त्री० भ्रांति, भूल । स्त्री० भर पाने, चुकता हो जानेका भाव; भर पाने, भरमाना-स० क्रि० भ्रम में डालना; बहकाना, धोखा देना; बेबाकीकी रसीद। -पूर-वि० पूरी तरह भरा हुआ, व्यर्थ घुमाना । * अ० क्रि० भटकना चकित होना। परिपूर्ण । अ० पूरे तौरसे । -पेट-अ० जी भरकर, पेट | भरमार-स्त्री० बहुतायत, आधिक्य, बाहुल्य । भरकर ।-सक-अ० शक्तिभर, जितना हो सके । मु०- भरराना-अ० कि० यकबारगी गिर पड़ना, अरराना; टूट पाना-पूरा पावना वसूल हो जाना; कियेका फल पाना। पड़ना । स० क्रि० 'भरर' शब्दके साथ गिराना; किसीको भर-पु० [सं०] भार; ढेर, समूह; आधिक्य, अतिरेक टूट पड़ने में प्रवृत्त करना। पीनता । वि० (समासांतमें) भरण करनेवाला।
भरवाई-स्त्री० भरवानेकी क्रिया या उजरत बोझ उठानेकी भरकना*-अ० क्रि० दे० 'भड़कना' ।
टोकरी। भरकाना*-स० क्रि० दे० 'भड़काना'।
भरवाना-सक्रि० भरनेका काम दूसरेसे कराना। भरण-पु० [सं०] पालन पोषण; धारणा उत्पादन भृति । | भरसन, भरसना*-स्त्री० दे० 'भर्त्सना'। भरणी-स्त्री० [सं०] २७ नक्षत्रोंमेंसे दूसरा घियातरोई। | भरसाई-स्त्री० भाड़।। भरत-पु० काँसा भरी हुई चीज, भराव; एक तरहका | भरहरना, भरहराना-अ० क्रि० दे० 'भहराना'। लवा; [सं०] शकुंतलासे उत्पन्न दुष्यंतका पुत्र जिसके भराति*-स्त्री० दे० 'भ्रांति'। नामपर इस देशका नाम भारतवर्ष पड़ा; कैकेयीके गर्भसे भरा-वि० भरा हुआ, पूर्ण; आबाद; संपन्न (घर); पुष्ट, उत्पन्न दशरथ पुत्र; एक मुनि जो नाट्यशास्त्रके प्रवर्तक | मांसल (अंग, देह); क्रोध, क्षोभ, खीझसे भरा हुआ, माने जाते है। -खंड-पु० भारतवर्ष ।
जिसका क्षोभ बाहर निकला ही चाहता हो। [स्त्री० भरता-पु० आलू-बैगन आदिको भून और मसलकर बनाया 'भरी' ।] -पूरा-वि० संपन्न, धन-धान्य, बाल-बच्चोंसे हुआ सालन, चोखा।
सुखी। -भरा-वि० आबाद; मांसल, मोटा। (भरी) भरताग्रज-पु० [सं०] राम ।
जवानी-चढ़ी जवानी, जिस जवानोका उतार आरंभ भरतार*--पु० पति; स्वामी ।
न हुआ हो। मु०(भरी) गोद या गोदी खाली होनाभरती-स्त्री० एक चीजका दूसरीमें भरा, बैठाया जाना, | संतानका मर जाना। थाली में लात मारना-लगी नौकरी, भराव भीतर भरी हुई चीज पच्चीकारी; प्रवेश, दाखिला, | मिलती रोजीको छोड़ देना। -सभा या मजलिसमेंलिया जाना (सेना, पुलिस, स्वयंसेवकदल आदिमें)। सबके सामने। भरथ-पु० रामानुज 'भरत'।
भराई-स्त्री० भरनेकी क्रिया या उजरत । भरथ-पु० [सं०] लोकपाल, राजा; * रामानुज 'भरत'। भराव-पु० भरनेका भाव; भरती; कशीदेमें पत्तियों आदिभरथरी-पु० दे० 'भर्तृहरि' ।
का काम। भरदूल-पु० भरत (पक्षी)।
भरित-वि० [सं०] भरा हुआ;"से पूर्ण; पोषित; हरा । भरद्वाज-पु० [सं०] एक गोत्र-प्रवर्तक और मंत्रकार ऋषि | भरी-स्त्री० एक रुपये या दस माशे भरकी तौल । भरत पक्षी; एक अग्नि; एक अर्हत।।
भरु*-पु० भार, बोझ । भरना-स० कि० खाली बरतन आदिमें कोई चीज डालना, भरुआना -अ० क्रि० भारी होना, भार अनुभव करना। खाली जगहको किसी चीजसे पूर्ण करना; ढालना; छेद, | भरुहाना*-अ० कि. गर्व करना। स० क्रि० बहकाना; अवकाशको बंद करना तोप, बंदूक आदिमें गोला, गोली बढ़ावा देना; भ्रममें डालना-'तुमको नंद महर भरुहाये' आदि डालना; चुकाना (ऋण); पूर्ति करना (नुकसानकी); पदपर नियुक्ति करना; सींचना; कुएँ आदिसे घड़े आदिमें भरुही-स्त्री० एक तरहकी किलिक; एक पक्षी, भरत । पानी लाना; शिकायत करना; बरगलाना;चिलमपर नंबाकू भरेठ-पु. दरवाजेके ऊपर दीवारका बोझा सम्हालनेके
और आग रखना; भेटना; * गुजर करना सहना; देह में | लिए दी हुई लकड़ी। पोतना । अ० कि० भरा जाना, पूर्ण होना; धावका पूरा भरता-पु० किरायेदार । होना; मनका क्रोध, क्षोभ आदिसे पूर्ण होना पुष्ट, मोटा । भरैया-पु* भरनेवाला; भरण करनेवाला, पालक । होना (देह); गर्भवती होना (गाय, कुतिया आदिका)।
भरोस*-पु० दे० 'भरोसा'। भरनि*-स्त्री० पहनावा, वेशभूषा ।
भरोसा-पु० पक्की आशा; सहारा, आसरा विश्वास । भरनी-स्त्री० करघेकी ढरकी; छलँदर, मोरनी; एक जंगली (भरोसे)का-विश्वसनीय । बूटी; सर्पका विष उतारनेका मंत्र; * दे० 'भरणी' ।
| भर्ग-पु० [सं०] भूनना; शिवः ब्रह्मा; तेज, ज्योति । भरभराना-अ० कि० फूलना; रोमांच होना; घबड़ाना। भर्ता(तू)-पु० [सं०] भरण करनेवाला; स्वामी; पतिः भरभराहट-स्त्री० सूजन; घबड़ाहट ।
नायक विष्णु ।-नी-स्त्री० पतिघातिनी स्त्री।-दारकभरभेटा*-पु० सामना, मुठभेड़ ।
पु० युवराज, राजकुमार (ना०)। -दारिका-स्त्री० राजभरम-पु० भ्रम; भेद; साख, प्रतिष्ठा (खुलना, खोना, कुमारी (ना०)।-देवता,-दैवता-स्त्री० पतिको देवतागँवना )-'संपति भरम गँवाइकै बसे रहे कछु नाहि'- रूपमें माननेवाली । -व्रत-पु० पतिव्रत । -हरि-पु० रहीम ।
शृंगार-शतक, नीति-शतक, वैराग्य-शतकके कर्ता जो महाभरमना*-अ० क्रि० फिरना; भटकना; बहकना; गुमराह | राज विक्रमादित्यके सौतेले बड़े भाई थे; वाक्यप्रदीपके कर्ता
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