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ब्रह्म-ब्राह्मी
५८८ स्त्री० ऋतुके दूसरे दिन रजस्वलाकी संज्ञा । -घोष-पु० ब्रह्मण्य-वि० [सं०] ब्रह्म-संबंधी; ब्राह्मणनिष्ठ; ब्राह्मणोंके वेदपाठ; वेद । -धन-पु० ब्रह्महत्या करनेवाला ।-चर्य- योग्य; धार्मिक । पु० ब्रह्मतेज; नारायण; कार्तिकेय । पु० अष्टविध मैथुनसे बचनेका व्रत, वीर्यरक्षा; उपनयनके ब्रह्मत्व-पु० [सं०] ब्रह्मभाव; ब्राह्मणत्व । अनंतर गुरुकुलमें रहकर द्विज बालकके वेदाध्ययनका ब्रह्मर्षि-पु०[सं०] वसिष्ठ आदि मंत्रद्रष्टा ऋषि प्राह्मण ऋषि । काल; वर्णाश्रमी हिंदू के लिए विहित चार आश्रमों से ब्रह्मांड-पु० [सं०] अंडाकार भुवनकोप जिससे मनुस्मृति पहला; ब्रह्मके साक्षात्कारकी साधना। -चारिणी-स्त्री० आदिके अनुसार, पितामह ब्रह्माकी उत्पत्ति हुई, विश्वब्रह्मचर्य धारण करनेवाली; दुर्गा; ब्राह्मी बूटी। -चारी- गोलक, संपूर्ण विश्व; खोपड़ीके ऊपरका बीचवाला भाग। (रिन्)-पु० ब्रह्मचर्य व्रत धारण करनेवाला; गुरुकुलमें ब्रह्मा (मन्)-पु० [सं०] हिंदूधर्ममें माने हुए त्रिदेवमेंसे रहकर ब्रह्मचर्यका पालन करते हुए वेदाध्ययन करनेवाला। प्रथम जिसे सृष्टि-रचनाका काम सौंपा गया है, विरंचि । -ज्ञ-वि• ब्रह्मको जाननेवाला, शानी। -ज्ञान-पु० | ब्रह्माणी-स्त्री० [सं०] ब्रह्माकी शक्ति; ब्रह्माकी पली; ब्रह्मको जानना, परमतत्त्वका ज्ञान । -ज्ञानी(निन्)- सरस्वती। वि० ब्रह्मको जाननेवाला। -तस्व-पु० ब्रह्मका सच्चा ब्रह्मानंद-पु०[सं०] ब्रह्मस्वरूपके साक्षात्कारका आनंद । शान । -तेज(स)-पु० ब्रह्मका तेज; ब्राह्मणका तेज; ब्रह्माभ्यास-पु० [सं०] वेदाध्ययन । ब्रह्मचर्य या ब्रह्मज्ञानका तेज । -दंड-पु. ब्राह्मणका ब्रह्मार्पण-पु० [सं०] परमात्माको सर्वकर्मफलका समर्पण । अभिशाप; ब्रह्मचारीका डंडा ।-दूषक-वि० वेदकी निंदा |
| ब्रह्मावर्त-पु० [सं०] सरस्वती और दृपद्धती नदियोंके करनेवाला । -देय-पु० ब्राह्मणको दान की हुई चीज । बीचका देश । -दोष-पु० ब्रह्महत्या ।-द्रोही(हिन्)-वि० ब्राह्मण- | ब्रह्मासन-पु० [सं०] ब्रह्मके ध्यानके उपयुक्त माना जाने. द्रोही । -द्वार-पु० ब्रह्मरंध्र । -द्विट(प), द्वेषी- वाला एक आसन । (पिन् )-वि० ब्राह्मणद्वेषी; वेदनिंदक । -द्वेष-पु० | ब्रह्मास्त्र-पु० [सं०] ब्रह्मशक्तिसे परिचालित अमोघ माना बाह्मण या वेदके प्रति द्वेष । -नाम-पु० विष्णु । जानेवाला एक अस्त्र । -निष्ठ-वि• ब्रह्मचिंतन में डूबा रहनेवाला। -पद- ब्रह्मोपदेश-पु० [सं०] वेद, ब्रह्मज्ञानकी शिक्षा। पु० ब्रह्मत्व, मुक्ति; ब्राह्मणका पद । -पारायण-पु० बात*-पु० दे० 'व्रात्य' । संपूर्ण वेदोंका अध्ययन संपूर्ण वेद । -पाश-पु० ब्रह्म- ब्राह्म-वि० [सं०] ब्रह्मा-संबंधी; ब्रह्मा-संबंधी; ब्राह्मण-संबंधी; शक्तिसे परिचालित पाश । -पिशाच-पु० ब्रह्मराक्षस ।। वैदिक; जिसके अधिष्ठाता ब्रह्मा हों (-मुहूर्त )। पु० -पुत्र-पु० ब्रह्माका पुत्र (नारद, वसिष्ठ, मनु, मरीचि, स्मृत्युक्त आठ प्रकारके विवाहोंमेंसे एक जिसमें कन्या सनकादि); एक नद जो मानसरोवरसे निकलकर बंगाल- वस्त्राभूषण सहित वरको, उससे कुछ लिये बिना, दान की की खाड़ीमें गिरता है। -पुत्री-स्त्री० सरस्वती; सरस्वती जाती है, कन्यादान-विवाह । -धर्म-पु० राजा रामनदी। -पुर-पु० ब्रह्मलोक; हृदय; शरीर। -पुराण- मोहन रायका चलाया हुआ एकेश्वरवादी धर्म ।-पुराणपु०१८ महापुराणोंमेंसे एक । -पुरी-स्त्री० वाराणसी; पु. ब्रह्मपुराण । -मुहूर्त-पु० रातके पिछले पहरके ब्रह्मलोक । -फाँस-स्त्री० [हिं०] ब्रह्मपाश। -बल- अंतिम दो दंड । -विवाह-पु० कन्यादान विवाह । पु० तपस्या आदिसे प्राप्त शक्ति। -भाव-पु० ब्रह्म में -समाज-पु० राजा राममोहन रायका चलाया हुआ लय होना। -भूत-वि० जो ब्रह्ममें लीन, ब्रह्मरूप हो एकेश्वरवादी पंथ । गया हो। -भोज-पु० ब्राह्मणभोजन । -मुहर्त-पु० ब्राह्मण-पु० [सं०] हिंदू धर्मके माने हुए चार वर्णों या दे० 'ब्राह्ममुहूर्न'। -यज्ञ-याग-पु० वेद पढ़ना- लोक-विभागों में से पहला; उस वर्णका जन, अग्रजन्मा; पढ़ाना। -रंध्र-पु० मस्तकके मध्य में माना जानेवाला। पुरोहित वेदका मंत्र या संहितासे भिन्न विभाग। एक छेद जिससे होकर प्राण निकलनेसे ब्रह्मलोककी प्राप्ति -द्वेषी(पिन)-वि. ब्राह्मणसे द्वेष करनेवाला । - होना माना जाता है। -राक्षस-पु. प्रेतयोनि प्राप्त प्रिय-पु० विष्णु । -भोजन-पु० अनेक ब्राह्मणोंको करनेवाला ब्राह्मण; शिवका एक गण । -रेखा,-लेखा- एक साथ निमंत्रित कर खिलाना। -वध-पु० ब्राह्मणकी स्त्री० जीवके मस्तकपर ब्रह्मा द्वारा लिखित भाग्य
हत्या। लेख । -लिखित,-लेख-पु० भाग्यलेख। -लोक- ब्राह्मणक-पु० [सं०] ब्राह्मणके कर्म न करनेवाला, कुत्सित पु० ब्रह्माका लोक । -वादी (दिन)-वि० वेद । ब्राह्मण; ऐसा ब्राह्मण कुल । पढ़ने पढ़ानेवाला; वेदांती । -विद्-वि० ब्रह्मको | ब्राह्मणव-पु० [सं०] ब्राह्मणपन या ब्राह्मणका पद, भाव जाननेवाला; वेदार्थज्ञाता । -विद्या-स्त्री० ब्रह्मशान, या धर्म । अध्यात्मविद्या; दुर्गा। -वेत्ता (त्त)-वि० ब्रह्मविद् , ब्राह्मणी-स्त्री० [सं०] ब्राह्मणकी पत्नी, ब्राह्मण स्त्री; बुद्धि ब्रह्मज्ञानी । -वेदी (दिन)-वि० ब्रह्मविद् ।-शासन- छिपकलीकी जातिका एल छोटा जंतु, बम्हनी । पु० वेदका अनुशासन, आशा ब्राह्मणकी आशा।-समाज- ब्राह्मण्य-पु० [सं०] ब्राह्मणका धर्म, ब्राह्मणत्व ब्राह्मणोंका पु० दे० 'ब्राह्मसमाज' -सुता-स्त्री० सरस्वती।-स्व- समूह शनि ग्रह । वि० ब्राह्मणके योग्य, अनुरूप । पु० ब्राह्मणका धन । -स्वहारी(रिन)-वि० ब्राह्मणका । ब्राह्मी-स्त्री० [सं०] ब्रह्माकी शक्ति सरस्वती, वाणी; दुर्गा; धन चुरानेवाला। -हत्या-स्त्री० ब्राह्मणका वध जिसे रोहिणी नक्षत्र; ब्राह्मविधिसे विवाहिता स्त्री; वह प्राचीन मनुने महापातक बताया है।
लिपि जिससे देवनागरी और अन्य आधुनिक भारतीय
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