SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 585
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बिलोना-बिसेख बिलोना-स० क्रि० मथना; डालना, गिराना (आँसू)- | बिसमउ, बिसमव*-पु० दे० 'बिसमय'। 'तुलसी मैंदोवे रोइ-रोइकै बिलौवै आँसु'-कविता। वि० | बिसमय*-पु० विस्मय, आश्चर्य संदेह गर्वः विषाद । दे० 'बिलोन'। बिसमरना*-स० क्रि० भूलना। बिलोरना*-स० कि० दे० 'बिलोड़ना' । बिसमिल-वि० जबह किया हुआ घायल । बिलोल-वि० चंचल, सुंदर । बिसमिल्ला-पु० 'बिस्मिल्ला'। बिलोलना*-अ० कि० हिलनाडोलना। बिसयक*-पु० प्रदेश, विषय; राज्य । बिलोवना*-स० क्रि० दे० 'बिलोना' । बिसरना-स० क्रि० भूल जाना। बिलीटा-पु० बिल्लीका बच्चा । बिसरात*-पु० खच्चर । बिलौर-पु० दे० 'बिल्लौर'। बिसराना-स० क्रि० भुला देना। बिल-अ० [अ०] से, साथ; लिए; द्वारा। -कुल-अ० | बिसराम*-पु० दे० 'विश्राम'। सारा, तमाम निपट । -फेल-अ० अभी, सरेदस्त, बिसरामी*-वि० विश्राम देनेवाला, सुखद-'सुआ सो फिलहाल । राजाकर बिसरामी'-प० । बिल्ला-पु० नर बिल्ली; पद या संस्थाविशेषकी सदस्यता- | बिसरावना*-स० क्रि० दे० 'बिप्सराना' । सूचक पट्टी, बैज। बिसवास*-पु० दे० 'विश्वास' । बिल्लाना-अ० क्रि० चीखें मारकर रोना, विलाप करना। बिसवासिनि*-वि० स्त्री० विश्वासघात करनेवाली । बिल्ली-स्त्री० शेर, चीते आदिकी जातिका एक मांसाहारी बिसवासी-वि०विश्वासी; अविश्वसनीय-'पै यह पेट छोटा जंतु जो पालतू और जंगली दोनों तरहका होता | महा बिसवासी'-प० । है; सिटकिनी। मु०-का रास्ता काटना-बिल्लीका बिससना-स० कि.. विश्वास करना, पतियाना; वध सामनेसे निकल जाना (अपशकुन)। करना; चीर-फाड़ करना। बिल्लीर-पु० शीशेके जैसा सफेद पारदर्शक पत्थर, स्फटिक । बिसहना*-स० वि० दे० 'बिसाहना'। बिल्लौरी-वि०बिल्लौरका बना हुआ; बिल्लौरकीसीचमकवाला। बिसहर*-पु० विषधर, सर्प । बिल्व-पु० [सं०] बेलका पेड या फल । बिसा*-पु० दे० 'बिस्वा । बिवछना*-अ० कि० दे० 'बिबछना'। बिसाइंध-स्त्री०, वि० दे० 'विसायँध । बिवरना*-स० क्रि० सुलझाना। अ० क्रि० सुलझना बिसाख*-स्त्री० दे० 'विशाखा' । -'नीक सगुन विवरहि झगर'-रामाशा । बिसात-स्त्री० [अ०] फैलाव फैलायी, बिछायी जानेवाली बिवराना-सक्रि० (बालोंको) सुलझाना सुलझवाना। चीज, दरी, चटाई आदि; वह कपड़ा जिसपर चौसर या बिवसाइ-पु० दे० 'व्यवसाय'। शतरंज खेला जाय; पूँजी; हैसियत; हस्ती; शक्ति, सामर्थ्य । बिवाई-स्त्री० पाँवके चमड़ेका फटना। -खाना-पु० बिसातीकी दुकान ।-बाना-पु० विसातीबिवान*-पु० विमान, रथ । की दुकानमें बिकनेवाला सामान (स्टेशनरी)। बिवेचना*-सक्रि० विवेचन करना। बिसाती-पु० फुटकर चीजें बेचनेवाला, लिखने-पढ़ने, बिशाखा-स्त्री० राधाकी एक सखी। शृगार, सीने-पिरोने, आदिका सामान बेचनेवाला । बिष-पु० दे० 'विष'। बिसाना-* अ०कि० दे० 'बसानाविधका असर होना। बिषया-स्त्री० विषय-वासना । बिसायँध-स्त्री० दुगंध; मांस, मछलीकी गंध । वि० ऐसी बिषान*-पु० सींग। गंधवाला। बिषारा*-वि० विषाक्त । बिसारद-पु० दे० 'विशारद' । बिषिया*-स्त्री० दे० 'विषया'। बिसारना-स० कि० भुला देना, याद न रखना। बिसंच*-पु. संचयका अभाव, अपव्यय; लापरवाही; । बिसारा*-वि०विषैला, विषयुक्ता, 'विषारा'-'मैन बानसे विघ्न डर। बिसारे न बिसारे विसरत हैं'-ललित। बिसंभर-पु० दे० 'विश्वंभर' । वि० जो सँभाला न जा | बिसास*-पु० दे० 'विश्वास'। सके बेखबर। बिसासिन, बिसासिनि*-वि० स्त्री० विश्वास-घातिनी। बिसँभार*-वि० जो सम्हाला न जा सके; बेमुध, अचेत । | बिसासी*-वि० विश्वासघाती, छली। बिस-पु० दे० 'विष'; [सं०] मृणाल । बिसाह-पु० बिसाहनेकी क्रिया, खरीद । बिसकरमा*-पु० दे० 'विश्वकर्मा' । बिसाहना -स० क्रि० मोल लेना, खरीदना । पु० सौदा। बिसखपरा-पु० गोहकी जातिका एक जहरीला जंतु।। बिसाहनी. --स्त्री० खरीदी जानेवाली चीज, सौदा, क्रय । बिसखापर, बिसखोपरा-पु० दे० 'बिसखपरा'। बिसाहा*-पु० सौद।। बिसतरना*-सक्रि० विस्तार करना । अ० क्रि० फैलना। बिसियर-वि०विर्षला । पु० सर्प । बिसतार*-पु० दे० 'विस्तार' । बिसुरना*-अ० क्रि० दे० 'बिसूरना'। बिसद-वि० दे० 'विशद' । बिसूरना-अ० क्रि० दुःखित होना, सोच करना; चुपकेबिसन-पु० व्यसन; पतन दुर्भाग्य; दोष । चुपके रोना । स्त्री० सोच, चिता। बिसनी-वि० दे० 'व्यसनी' । बिसेख, बिसेस*-वि० दे० 'विशेष' । For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy