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बितुंड-बिनौला बिताना।
बिधवाना-स० क्रि० छेद कराना। बितुंड-पु० दे० 'वितुंड'।
बिधाँसना*-सक्रि० विध्वंस करना, नष्ट करना। बित्त-पु० वित्त, धन-दौलत हैसियत बूता, सामर्थ्य । बिधाई*-पु० विधायक । बित्ता-पु० अँगूठेके सिरेसे छिगुनीके छोरतककी लंबाई, बिधान-पु० दे० 'विधान' । बालिश्त ।
बिधाना-अ० क्रि० वेधा जाना । बिथकना-अ० क्रि० थकना; मुग्ध होना; चकित होना। बिधानी -पु० विधान करनेवाला, विधायक । बिथरना, बिथुरना-अ० क्रि० बिखरना; अलग-अलग | बिधि-स्त्री०, पु० दे० 'विधि' । होना; खिलना।
बिधिना* -पु० ब्रह्मा । बिथराना, बिथुराना*-स० कि. बिखेरना, छिटकाना । | बिधुतद-पु० दे० 'विचंतद' । बिथा*-स्त्री० दे० 'व्यथा' ।
बिधुंसना*-स० क्रि० विध्वंस करना, नष्ट करना । बिथारना*-सक्रि० बिखेरना, छितराना ।
बिधुर-वि० दे० 'विधुर'। बिथित*-वि० दे० 'व्यथित' ।
बिन*-अ० दे० 'बिना'। बिथुरित*-वि० बिखरा हुआ।
बिनई*-वि० दे० 'विनयी' बिथोरना*-स० कि० दे० 'बिथराना' ।
बिनउ*-स्त्री० दे० 'विनय' । बिदकना-अ० कि० चौकना, भड़कना; फटना; घायल बिनठना-अ० क्रि० नष्ट होना; बिगड़ना । होना।
बिनता-स्त्री० दे० 'विनता'। बिदकाना*-म०क्रि० चौंकाना; फाइना; घायल करना । | बिनति*-स्त्री० दे० 'बिनती' । बिदरन*-स्त्री.विदीर्ण होना; दरार । वि० विदीर्ण करने- बिनती-स्त्री० प्रार्थना, अर्ज। वाला।
बिनन-स्त्री०बिननेकी क्रिया बीनकर निकाली हुई चीज बिदरना*-अ० क्रि० फटना, विदीर्ण होना।
(कूड़ा-करकट ); बुननेकी क्रिया। बिदलना-अ० क्रि० दलित करना ।
बिनना-स० कि० चुनना, छाँटना; डंक मारना; दे० बिदहना -स० क्रि०धान आदिको छीटकर जुताई करना।। 'बुनना'। बिदहनी -स्त्री० बिदहनेकी क्रिया।
बिनय-स्त्री० दे० 'विनय' । बिदा-स्त्री० रवानगी, रुखसत; जानेकी इजाजत; गौना। | बिनयना*-स० क्रि० विनय, प्रार्थना करना। बिदाई-स्त्री० रुखसती, रवानगी; बिदा करते समय दिये बिनवट-स्त्री० रूमाल या रस्सी में पैसा आदि बाँधकर बनेठी जानेवाले रुपये आदि, रुखसताना।
भाँजनेकी कला। बिदारना*-सक्रि० फाड़ना, विदीर्ण करना नष्ट करना। बिनवना*-सक्रि० विनय करना । बिदारी-पु० दे० 'विदारी'।-कंद-पु० दे० 'विदारीकंद'। बिनवाना-स० क्रि० चुनवाना दे० 'बुनवाना'। बिदिसा*-स्त्री० दे० 'विदिशा'।
बिनशना, बिनसना*-अ० क्रि० नष्ट होना। स० क्रि० बिदीरना*-स० क्रि० विदीर्ण करना; आहत करना। विनाश करना। बिदुराना*-अ० क्रि० मुस्कराना।
बिनसाना-सक्रि० विनाश करना,मिटाना । अ० क्रि० बिदुरानि*-स्त्री० मुस्कराहट ।
नष्ट होना। बिदखना, विदूषना*-स० क्रि० दोष देना, लगाना; | बिना-अ० बगैर, छोड़कर । स्त्री० [अ०] नीव, बुनियाद; बिगाड़ना।
जड़, कारण। बिदूरित-वि० दूर किया हुआ ।
बिनाई-स्त्री० बीनने(चुनने)की क्रिया या भाव; बीननेकी बिदेस-पु० 'विदेश', परदेश ।
मजदूरी; दे० 'बुनाई। बिदेसी-वि० 'विदेशी', अन्य देशका परदेशी। बिनाती*-स्त्री० दे० 'विनती' । बिदोख*-पु० बैर, विद्वेष ।
बिनाना-स० कि० वुनवाना। बिदोरना*-स० क्रि० चलाना; फैलाना-खाय के पान | बिनानी-वि० नाप्तमझ,-'रोवन लागे कृष्ण बिनानी'बिदोरत ओठ हैं, बैठि सभामें बने अलबेला'- ।
सू०, विज्ञानी । स्त्री० विचार । बिहत-स्त्री० बुराई; दुर्दशा; अत्याचार ।
बिनावटा-स्त्री० दे० 'बुनावट'। बिद्ध-वि० बिंधा हुआ, छेदा हुआ।
बिनास*-पु० दे० 'विनाश'; नाकसे खून जाना। बिधंसना*-स० क्रि० विध्वंस करना, नष्ट करना। बिनासना -स० क्रि० विनाश करना। बिध-स्त्री०, पु० दे० 'विधि' । पु० हाथीका चारा या बिनासी-वि०विनाशी, नष्ट होनेवाला, नश्वर ।
रातिब, जमाखर्चका हिसाब । मु०-मिलाना-आय- बिनाह*-पु० दे० 'विनाश'-'साकत संग न कीजिये जाते व्ययका हिसाव ठीक करना।
होइ बिनाह'-कबीर । बिधना-पु० विधि, ब्रह्मा । अक्रि० बेधा जाना, बिंधना। बिनि, बिनु -अ० दे० 'बिना'। * स० कि० फसाना।
बिनूठा*-वि० अनूठा। बिधवपना-पु. वैधव्य ।
बिनै*-स्त्री० दे० 'विनय' । बिधवा*-स्त्री० 'विधवा' बेवा, मृतभर्तृका ।
| बिनौला-पु० कपासका बीज ।
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