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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ५३१ फँदना, फंदना * - अ० क्रि० फंदे में पड़ना, फँसना; मुग्ध होना । सु० क्रि० लाँचना, फांदना | फंदा - पु० सरकोली गाँठवाला रस्सी, तार आदिका विशेष प्रकारका घेरा जिसमें फँसनेसे प्राणी बँध जाता है, रस्सी तागे आदिका घेरा जिसमें किसीको फँसाया जाय, फाँस; पशु-पक्षियोंको फँसानेका जाल; फँसानेवाली वस्तु, बंधन, जाल; छल, प्रपंच, धोखा, दुःख, कष्ट । मु० - छुड़ाना - कैद से रिहा करना । - देना-गिरह देना; फंदा लगाना । (किसी पर) - पड़ना - रचा हुआ प्रपंच सफल होना । -मारना - जाल में फँसाना । (फंदे ) मैं आना या पड़नाजाल में फँसना । - मेँ पड़ना - वशमें होना । - मेँ लानाजाल में लाना, फरेब में लाना । ऊपर उठना । फँसना - अ० क्रि० फंदे में पड़ना, पकड़ में आना; उलझना; अवैध संबंध होना । फँसाना-स०क्रि० फंदे में लाना; उलझाना; काबू करना । फँसाव, फँसावा - पु० फँसनेका भाव; वह चीज या बात जिसमें आदमी फँस जाय, अटकाव | फँसिहारा * - पु० फँसानेवाला, ठग । फँसौरि* - बां० जाल, फंदा फजिहतिताई* - स्त्री० फजीहत करानेवाली बात । फ़ज़ीता-पु० दे० 'फजीहत' | फ़ज़ीती - स्त्री० दे० 'फ़ज़ीहत' । फ़ज़ीलत - स्त्री० [अ०] गौरव, महत्ता । - का वक्त वह वक्त जिसमें प्रार्थना करनेका महत्त्व हो । -की पगड़ीविद्वत्ताका प्रमाणरूप चिह्न, सबसे बड़ी सनद । फ़ज़ीहत- स्त्री० [अ०] अपमान, बेइज्जती; दुर्दशा; बदनामी । फ़ज़ीहती - स्त्री० दे० 'फ्रज़ीहत' । फँदाना - स०क्रि० किसी से फाँदनेका काम कराना, किसीको फाँइने में प्रवृत्त करना; * फंदे में लाना, फँसाना । फँदावना - स० क्रि० दे० 'फँदाना' । फँफाना - अ० कि० हलकाना; खौलते हुए दूध आदिका फ़ज़्ल - पु० [अ०] अनुग्रह, दया; विद्या; महत्ता । फजूल - वि० दे० 'फुजूल' । - खर्च - वि० दे० फुजूलखर्च' । - खर्ची - स्त्री० दे० 'फुजूल खर्ची' । फ - पु० [सं०] कटु वचन; फुत्कार; निष्फल वचन; झंझावात | फक - वि० स्वच्छ, शुभ्र, फीका, बदरंग । मु० (रंग)पड़ जाना था हो जाना - डरके मारे स्तब्ध हो जाना, बहुत अधिक घबरा जाना; विवर्ण हो जाना । फ़क़त - वि० [अ०] अकेला, केवल । अ० एकमात्र, सिर्फ । फका * - पु० फाँक, टुकड़ा । फ़कीर - पु० [अ०] भीख माँगनेवाला, भिखारी; वह जो शरीररक्षा भरके लिए मांग खाकर ईश्वरका भजन करता हो, साधुः मुसलमान साधु; अकिंचन मनुष्य । फकीरनी - स्त्री० भीख माँगनेवाली औरत । फ़कीराना - वि० [अ०] फकीरोंकासा, फकीरों जैसा । पु० वह भूमि जो फकीरोंके निर्वाहके लिए दान की गयी हो । फ़कीरी - स्त्री० फकीरका भाव, भिखारीपन; साधुता, अकिंचनता । वि० फकीर संबंधी, फकीरका । -लटकापु० साधु- फकीर की बतायी हुई दवा, जड़ी-बूटी । फक्कड़ - पु० गाली-गुफ्ता, दुर्वचन; वह व्यक्ति जो अकिंचन होते हुए भी मस्त बना रहे; उच्छृंखल व्यक्ति । -बाज़वि० गाली-गुफ्ता बकनेवाला । बाज़ी - स्त्री० गालीगुफ्ता बकनेकी क्रिया । फख़र- पु० दे० 'फल' | फ़त्र - पु० [फा०] गर्व, घमंड; नाज । फ़स्त्रिया - अ० [फा०] गर्वसे घमंड के साथ | फग* - पु० जाल, फंदा | फगुआ - पु० दे० 'फाग' ; * फागके उपलक्ष्य में दिया जानेवाला उपहार । फगुनाहट - स्त्री० फागुन के महीने में चलनेवाली धूल, पत्तों ३४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फँदना-फटकारना आदिसे युक्त जोरकी हवा; फागुन में होनेवाली बारिश । फगुहरा, फगुहारा - पु०फाग खेलनेवाला; फाग गानेवाला । फ़जर-स्त्री० [अ०] प्रभात, तड़का | फ़ज़ल-पु० [अ०] दे० 'फल' | जिर-स्त्री० दे० 'फ़जर' | फट - स्त्री० किसी चौड़ी, कड़ी, हलकी तथा पतली चीजपर आघात करने अथवा उसके किसी दूसरी कड़ी वस्तुपर गिरने या जोरसे हिलनेसे उत्पन्न होनेवाला शब्द; लकड़ी, बाँस आदिके फटने से उत्पन्न होनेवाला शब्द |-फट-स्त्री० 'फट' ध्वनिकी आवृत्ति ।-से-अति शीघ्र, तत्काल । फटक* - पु० स्फटिक, बिल्लौर । अ० तत्काल, तुरंत । फटकन - स्त्री० अन्न आदिको फटकनेसे निकलनेवाला सारहीन पदार्थ । फटकना - पु० गुलेलका फीता जिसपर रखकर गुलता फेंका जाता है । स० क्रि० सूप आदिके द्वारा अन्न आदिको साफ करना, झाड़ना;* इस प्रकार हिलाना कि 'फट-फट' शब्द उत्पन्न हो; फेंकना, चलाना। अ० क्रि० आना; चल जाना; पहुँचना; पृथक् होना; तड़फड़ाना; श्रम करना । मु०-पछोरना - अन्न आदिको सूप या छाज द्वारा साफ करना; अच्छी तरह देखना -भालना, परखना (ला० ) । फटकने देना - आने देना । फटकरना * - स० क्रि० फटकना, साफ करना; फेंकना । फटकरी - स्त्री० दे० 'फिटकरी' । फटकवाना - स० क्रि० किसीको फटकनेमें प्रवृत्त करना, किसीसे फटकनेका काम कराना । फटका - पु० धुनियोंकी धुनकी; काव्यके गुणसे रहित कविता, निरी तुकबंदी; तड़फड़ाहट; फाटक; चिड़ियोंको उड़ानेके लिए फले हुए पेड़ में रस्सीके सहारे बाँधी जानेवाली लकड़ी जिसे हिलाकर 'फट-फट' शब्द उत्पन्न करते हैं । फटकाना * - स० क्रि० फेंकना; फटकदाना; फटफटाना । फटकार-स्त्री० फटकारनेकी क्रिया या भाव; किसीको लज्जित करने या उसका तिरस्कार करनेके लिए क्रोधके आवेश में कही जानेवाली कड़ी बात, लानत-मलामत | फटकारना - स० क्रि० किसीको लज्जित करने या उसका तिरस्कार करनेके लिए क्रोधपूर्वक कड़ी बातें कहना, लानतमलामत करना; झटका देकर छितराना या खुला रखना ( चुटिया फटकारना ); उपार्जन करना, पैदा करना (रुपया फटकारना); कपड़ेको साफ करते समय पत्थर आदिपर पटकना, पछारना, * फेंकना;* चलाना, प्रहार For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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