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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ५२१ प्रसंग - पु० [सं०] प्रकृष्ट संग; संबंध, लगाव; व्याप्तिरूप संबंध; विषयका तारतम्य, प्रकरण; अवैध संबंध; स्त्री पुरुषका संयोग, समागम; अनुरक्ति, आसक्ति; प्राप्ति; सिलसिला, अवसर, मौका; * बात, विषय | प्रसंसना* - स० क्रि० प्रशंसा करना । प्रसक्त-वि० [सं०] जो प्रसंगका विषय हो, प्रसंग प्राप्त; संबद्ध, लगा हुआ; आसक्त, निरत; बराबर बना रहने वाला, नित्य, स्थायी; प्राप्तः निकट, लगा हुआ; स्फुटित । प्रसज्य - वि० [सं०] जो संबद्ध किया जाय; जो प्रयोगमें लाया जाय; संभव । - प्रतिषेध-पु० वह निषेध जिसमें प्रतिषेधकी प्रधानता रहती है और विधिकी अप्रधानता । प्रसन्न वि० [सं०] निर्मल; प्रसादयुक्त; स्वच्छ; शांत; संतुष्ट; हर्षयुक्त, खुश; उचित, युक्तः कृपालु । - जल, - सलिल - वि० जिसका पानी साफ हो ।-मुख, - वदनवि० जिसके चेहरे से प्रसन्नता प्रकट होती हो । प्रसन्नता - स्त्री० [सं०] प्रसन्न होनेका भाव; स्वच्छता । प्रसन्नित* - वि० प्रसन्न, खुश । प्रसर- पु० [सं०] आगे बढ़ना, बढ़ाव, फैलाव, विस्तार; वेग; प्रवाह; प्रलय; समूह; बढ़ावा; साहस; युद्ध । प्रसरण - पु० [सं०] आगे बढ़ना, सरकना; पलायन; फैलना, प्रसार; सेनाका चारों ओर फैलकर शत्रुको घेरना । प्रसारित - वि० फैला हुआ; आगे बढ़ा हुआ । प्रस (पिन) - वि० [सं०] सरकनेवाला, आगे जानेवाला; रेंगनेवाला । प्रसव-पु० [सं०] बच्चा जनना, गर्भमोचन; उत्पत्ति; उत्पत्ति स्थानः फल; फूल; अपत्य, संतति । -गृह- पु० बच्चा जननेका घर, सोरी । वेदना, व्यथा - स्त्री० प्रसवकी पीड़ा, बच्चा जनते समय होनेवाली पीड़ा । प्रसवना * - स० क्रि० जन्म देना । अ० क्रि० उत्पन्न होना । प्रसवावकाश - पु० [सं०] (मैटरनिटी लीव ) किसी स्त्रीको प्रसवकाल के समय दी जानेवाली छुट्टी, प्रसूत्यवकाश । प्रसविता (तृ) - पु० [सं०] उत्पन्न करनेवाला, पिता, जनक । प्रसवित्री - स्त्री० [सं०] माता । प्रसविनी - वि० स्त्री० [सं०] जन्म देनेवाली, उत्पन्न करने वाली । | प्रसवी (विन्) - वि० [सं०] जन्म देनेवाला | प्रसवोत्तरकाल - पु० [सं०] (पोस्टनेटल पीरियड) शिशुको जन्म दे चुकने के बादकी जननीकी स्थिति या समय । प्रसाद - पु० [सं०] निर्मलता, स्वच्छता; अनुग्रह, कृपा; देवताको चढ़ायी गयी वस्तु; हर्ष, प्रसन्नता; मानसिक शांति स्वभावकी सरलता; महात्मा या गुरुकी जूठन या उनके खा चुकने पर बची हुई भोज्य वस्तु; काव्यके तीन गुणोंमेंसे एक, किसी काव्य या रचनाका विशेष रूप से सरल और सुबोध होना; भोजन (भक्त, साधु); * दे० 'प्रासाद' । - पट्ट - पु० राजाकी ओर से सम्मानार्थ दिया जानेवाला शिरोवस्त्र । - पराङ्मुख - वि० प्रतिकूल, अप्रसन्न; किसीकी कृपाकी परवा न करनेवाला । - पर्यंतअ० (ड्यूरिंग दि प्लेजर ऑफ) (राष्ट्रपति आदि) जबतक चाहें तबतक जबतक इच्छा या खुशी हो तबतक । प्रसादन - पु० [सं०] निर्मल बनानेवाला; (प्रॉपिशियेशन) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रसंग - प्रसूति प्रसन्न या संतुष्ट कर अपने अनुकूल बनाना । प्रसादना - स्त्री० [सं०] सेवा, पूजा; स्वच्छ करना । * स० क्रि० प्रसन्न करना । प्रसादनीय - वि० [सं०] प्रसन्न करने योग्य | प्रसादित - वि० [सं०] शांत, प्रसन्न किया हुआ; आराधित; स्वच्छ किया हुआ । प्रसादी - स्त्री० किसी देवताको चढ़ायी हुई वस्तु; महात्मा, गुरु या किसी मान्य व्यक्ति द्वारा दी गयी वस्तु । प्रसादी ( दिन ) - वि० [सं०] निर्मल बनानेवाला; प्रसन्न करनेवाला; प्रसादयुक्त, प्रसन्न । प्रसाधक - पु० [सं०] श्रृंगार करनेवाला, भूषक; राजाका वह सेवक जो उसे वस्त्र, भूषण आदि पहनाता है; सिद्ध या निष्पन्न करनेवाला, साधनकर्ता, निष्पादक | प्रसाधन - पु० [सं०] (टाइलेट) बालोंको सजाने, साबुन लगाने, ओठ या गोड़ रँगने आदिकी क्रिया, शृंगार, बनाव; शृंगार की सामग्री, भूषण, कंधी आदि जिससे श्रृंगार किया जाता है; निष्पादन, सिद्धि । द्रव्य - पु०, - सामग्री - स्त्री० (टाइलेट) शृंगार या प्रसाधन में काम आनेवाली वस्तुएँ | प्रसाधनी - स्त्री० [सं०] कंधी | प्रसाधिका - स्त्री० [सं०] शृंगार करनेवाली, प्रसाधनकर्त्री; तिनी धान । प्रसाधित - वि० [सं०] जिसका प्रसाधन या बनाव-शृंगार किया गया हो, अलंकृत; निष्पादित, संपादित; प्रमाणित । प्रसार -५० [सं०] फैलानेकी क्रिया, फैलाव, पसार; फैलने या व्याप्त होनेकी क्रिया, संचार; इधर-उधर जाना, फिरना । प्रसारक - वि० [सं०] फैलानेवाला । प्रसारण - पु० [सं०] फैलाने की क्रिया, फैलाना, पसारना; आगे करना; बढ़ाना; फैलकर शत्रुको घेर लेना; (विक्रयके लिए) खोलकर दिखलाना; (ब्रॉडकास्टिंग) कोई समाचार, भाषण, गायन आदि दूर-दूरके लोगोंको सुनानेके लिए आकाशवाणी द्वारा चारों ओर फैलाना । प्रसारना * - स० क्रि० पसारना, फैलाना । प्रसारिणी - वि०, स्त्री० [सं०] फैलनेवाली । प्रसारित - वि० [सं०] फैलाया हुआ; (विक्रय के लिए) प्रदशित; (ब्राडकास्ट) दूर-दूरके लोगोंको सुनानेके लिए आकाशवाणी द्वारा चारों ओर फैलाया हुआ । प्रसाविका - स्त्री० [सं०] ( भिडवाइफ) प्रसव कराने, बच्चा जनानेवाली स्त्री । प्रसिद्ध - वि० [सं०] जिसकी प्रसिद्धि हो, ख्यात, मशहूर । प्रसिद्धि - स्त्री० [सं०] ख्याति, शोहरत; सफलता, सिद्धि । प्रसुप्ति-: - स्त्री० [सं०] गहरी नींद; संज्ञाहीनता; निश्चेष्टता । प्रसू-स्त्री० [सं०] उत्पन्न करनेवाली (वीर-प्रसू ); लता; अँखुआ; कोमल तृण । प्रसूत - वि० [सं०] प्रसव किया हुआ, उत्पन्न, संजात | प्रसूता - स्त्री० [सं०] वह स्त्री जिसे कुछ ही काल पूर्व बच्चा पैदा हुआ हो, जच्चा | प्रसूति स्त्री० [सं०] प्रसवः उत्पत्ति; संतान । - कल्याणकार्य - पु० (मैटरनिटी वेलफेयर वर्क) शिशु-जननकी For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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