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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पत्थल- पथरौटी संचार होना । - पिघलना - दे० 'पत्थर पसीजना' । -मारे भी न मरना - मृत्युका कारण रहते हुए भी न मरना; जल्दी न मरना । - सा खींच मारना या फेंक मारना - बहुत कड़ी बात कहना, दोटूक जवाब देना । पत्थल - पु० दे० 'पत्थर' । पत्री - स्त्री० [सं०] किसी पुरुषसे संबद्ध वह स्त्री जिसके साथ उसका ब्याह हुआ हो, परिणीता स्त्री, भार्या, जोरू । - व्रत - पु० विवाहिता स्त्रीके अलावा और किसी स्त्रीसे संबंध न रखनेका व्रत । पत्याना * - स० क्रि० दे० 'पतियाना' । पत्यारा * - पु० दे० 'पतियारा' । पत्रालयित - वि० (पोस्टेट) अन्यत्र भेजे जानेके लिए पत्रालय या पत्रपेटिका (डाकघर या लेटर बाक्स) में छोड़ा हुआ । पत्रालयीय प्रमाणपत्र - पु० [सं०] (पोस्टल सर्टीफिकेट) कोई पत्र, पैकेट आदि अन्यत्र भेजनेके लिए पत्रालयको अर्पित किया गया इसका प्रमाण-पत्र जो पत्रालय के संबद्ध कर्मचारी द्वारा दिया जाय, डाकीय प्रमाणपत्र । पत्रालाप-पु० [सं०] (नेगोशियेशन) चिट्ठी-पत्री आदिकी सहायता से समझौतेका रूप निश्चित करने या कोई बात तय करनेका कार्य | पत्रावलि, पत्रावली - स्त्री० [सं०] गेरू; पत्तोंकी पंक्ति या श्रेणी: पत्रभंग । | पत्यारी * - स्त्री० पाँत, कतार । पत्र - पु० [सं०] पत्ता; चिट्ठी; कागज; लिखा या छपा हुआ कागज; वह कागज जिसपर कोई बात लिखी या छपी हो; किसी व्यवहार या घटनाके विषयका प्रमाणरूप लेख (पट्टा, दस्तावेज); समाचारपत्र, अखबार; पुस्तक, कापी आदिका कोई पन्ना, वर्क; किसी धातुकी पट्टी या पत्तर; पंख; तेजपत्ता; बाणका परकी तरह निकला हुआ हिस्सा यान, रथ; चंदन, कस्तूरी आदि गंधद्रव्यों से कपोल, कुच आदिपर बनाये जानेवाले विशेष प्रकारके चिह्न या बूटे आदि; कटार, तलवार आदिका फल; छुरा, कटार । - कार - पु० समाचारपत्रका संपादक या लेखक ।-कारीस्त्री० [हिं०] पत्रकारका पेशा । -चलार्थ- पु० (पेपरकरेंसी) छपे हुए कागज या नोटके रूपमें चलनेवाली मुद्रा, कागजी मुद्रा । - पाल-पु० (पोस्टमास्टर ) डाकखानेका प्रधान अधिकारी, डाकपति। -पुट-५० पत्तेका पात्र, दोना । - पुष्प-पु० रक्त तुलसी; मामूली भेंट, सत्कारकी मामूली चीजें । - पेटिका - स्त्री० (लेटरबाक्स) भेजी जानेवाली चिट्ठी या पैकेट छोड़नेका डब्बा; मकान के द्वारादिपर लगाया हुआ संदूक जिसमें बाहर से आयी हुई चिट्टियाँ आदि पत्र वितरक (डाकिया) द्वारा डाल दी जाती हैं । - भंग - पु० चंदन, कस्तूरी, केसर आदिसे कपोल, स्तन आदिपर बनाये जानेवाले विशेष प्रकारके चिह्न, बूटे आदि । रचना, - रेखा, - लेखा - स्त्री० पत्रभंग । - वलरी, - वल्ली - स्त्री० पत्रभंग । - वाह, - वाहकपु० पक्षी; चिट्टी ले जानेवाला; बाण। -वाहपंजिकास्त्री० ( प्यूनबुक) वह छोटी पंजी या बही जिसपर पत्रादिका ब्यौरा चढ़ा दिया जाता है और जिसे पत्र - वाहक पानेवालेसे हस्ताक्षर करानेके लिए अपने साथ ले जाता है । - वितरक - पु० ( पोस्टमैन ) बाहर से आये हुए पत्रों आदिको पानेवालों में बाँट आने, उनके पासतक पहुँचा देनेवाला पत्रालयका आदमी, डाकिया । - वियोजक - पु० (सॉर्टर) भेजे जानेवाले स्थानोंके अनुसार पत्रों आदि को पृथक्-पृथक् करनेवाला पत्रालयका कर्मचारी । - व्यव हार - पु० खत किताबत, लिखा-पढ़ी । - श्रेणी - स्त्री० मूसाकानी; पत्तोंकी पंक्ति । - श्रेष्ठ - पु० बेलका पेड़ । - सूचना-विभाग- ५० ( प्रेस इनफरमेशन ब्यूरो) समा चार पत्रोंके लिए सूचनाएँ और समाचार देनेवाला सर कारका, सेना, पुलिस या किसी संस्थाका कार्यालय अथवा विभाग | पत्राहार- पु० [सं०] सिर्फ पत्तियाँ खाकर रहना । पत्रिका - स्त्री० [सं०] चिट्ठी; कागजका कोई टुकड़ा या पन्नाः पत्ती; पाक्षिक, मासिक आदि पत्र (हिं०) । पत्री (त्रिन्) - वि० [सं०] पंखदार; पत्तियों या पन्नोंवाला; रथवाला | पु० बाण; पक्षी; बाज; वृक्ष; पर्वत; रथः ताड़ । पथ- पु० [सं०] मार्ग, रास्ता कार्य या व्यवहारकी पद्धति; + दे० 'पथ्य' । - कर- पु० (टॉल) किसी सड़क या पुलपरसे जाने, माल ले जाने आदिके लिए लगनेवाला कर । - गामी ( मिनू ), - चारी (रिन् ) - पु० पथिक, राही । - दर्शक, प्रदर्शक - पु० राह दिखानेवाला, रहनुमा । - सुंदर - पु० एक पौधा -स्थ - वि० जो मार्ग में हो, मार्गस्थ | । | ४४४ पत्रक - पु० [सं०] पत्ता; तेजपत्ता; पत्रभंग । पत्रा - पु० पंचांग; पन्ना । पत्राचार - पु० [सं०] (कारेस्पांडेंस) पत्रव्यवहार, खतकिताबत । पत्रालय - पु० [सं०] (पोस्ट आफिस) वह स्थान या कार्यालय जहाँसे चिट्ठी, पारसल, मनीआर्डर आदि बाहर भेजने तथा बाहर से आनेवाले पत्रों, पारसलों आदिको उपयुक्त व्यक्तियोंतक पहुँचानेका प्रबंध हो, डाकखाना, डाकघर । पत्रालयिक आदेश - पु० [सं०] (पोस्टल आर्डर ) पत्रालय ( डाकखाने) द्वारा रुपया लेकर जारी किया गया एक तरहका धनादेश (चेक) जो बैंकके चेककी ही तरह रेर्खाकित किया जा सकता है, पर जो पृष्ठांकित कर अन्य किसीके नाम हस्तांतरित नहीं किया जा सकता, डाकीयादेश | For Private and Personal Use Only पथराना - अ० क्रि० सूखकर पत्थर जैसा कड़ा हो जाना; रसहीन और कठोर हो जाना; शुष्क हो जाना; चेतनाशून्य हो जाना, जड हो जाना, निजींव हो जाना । पथरी - स्त्री० पत्थरकी कुंडी, पत्थरकी मलिया; उस्तरे आदिकी धार तेज करनेका पत्थरका टुकड़ा, सिल्ली; चकमक पत्थर; पक्षियोंके पेटका वह भाग जहाँ पहुँचकर उनकी खायी हुई कड़ी चीजें पचती है; एक रोग जिसमें वृक्कों आदि में पत्थर के छोटे टुकड़े जैसे पिंड बन जाते हैं, अश्मरी । पथरीला - वि० जिसमें पत्थर के टुकड़े मिले हों । पथरौटा - पु० पत्थरका कटोरा जैसा पात्र । पथरौटी - स्त्री० पत्थरको कूड़ी, पथरी ।
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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