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निवारण- निशि
कार्य या उपद्रवादि करनेवाले व्यक्तियोंका या जिनके संबंधमें ऐसी आशंका हो उनका निरोध- उन्हें ऐसा करनेसे रोकने के लिए - किया जा सके ।
निवारण - पु० [सं०] रोकना; हटाना; दूर करना, मिटाना । निवारन * - पु० दे० 'निवारण' ।
निवारना * - स० क्रि० रोकना; हटाना; बरजना; बचाना; दूर करना; चुकाना - 'पिछलो देहु निवारि आज सुब पुनि दीजो जब जानो कालि' - सू० । निवाला - पु० [फा०] कवल, ग्रास, लुकमा । निवास - पु० [सं०] रहनेका भाव या कार्य, रहना; रहने
का स्थान; घर; आश्रयः रात्रि व्यतीत करना; पोशाक । निवासन - पु० [सं०] वर, गृह; कुछ कालके लिए ठहराना; काल- यापन |
निवासी (सिन्) - वि० [सं०] निवास करनेवाला, रहने
वाला; वस्त्र धारण करनेवाला । पु० रहने, बसनेवाला । निविड - वि० [सं०] घना; कसा हुआ; घोर; बड़े आकारका; स्थूल; भद्दा; चपटी या टेढ़ी नाकवाला ।
निविष्ट - वि० [सं०] स्थित; एकाग्र; घुसा हुआ; व्यवस्थित । निवृत - वि० [सं०] घिरा हुआ; वेष्टित । निवृत्त - वि० [सं०] लौटा हुआ; जो भाग आया हो; पूरा या समाप्त किया हुआ; हटाया हुआ; विरत; जो अवकाश या छुटकारा पा चुका हो, मुक्त | निवृत्तात्मा ( मन्) - वि० [सं०] विषयोंसे विरत | निवृत्ति - स्त्री० [सं०] निवृत्त होनेकी क्रिया; प्रवृत्तिका अभाव; छुटकारा, मुक्ति; लौटना; समाप्तिः विरत होना; हटना; विश्राम; (रिटायरमेंट) दे० 'अवकाश ग्रहण' । - पूर्व छुट्टी - स्त्री० [हिं०] ( लीव बिफोर रिटायरमेंट ) सेवासे अवकाश ग्रहण करनेके ठीक पूर्व ली गयी छुट्टी । - वेतन - पु० (पेंशन) वह वेतन या वृत्ति जो किसी कर्मचारीको कामसे अवकाश ग्रहणके बाद उसकी पूर्व सेवाके विचारसे जीवन निर्वाह के लिए मिले ।
निवेद* - पु० दे० ' नैवेद्य' ।
निवेदक - वि०, पु० [सं०] निवेदन करनेवाला । निवेदन- पु० [सं०] किसीसे कुछ कहना; प्रार्थना; समर्पित करना, समर्पण |
निवेदना* - स० क्रि० निवेदन करना; प्रार्थना करना; समर्पित करना ।
निवेदित - वि० [सं०] निवेदन किया हुआ; प्रार्थनारूप में कहा हुआ; अर्पण किया हुआ, समर्पित । निवेरना t * - स० क्रि० दे० 'निवेरना' । निवेश* - वि० चुना हुआ; नूतन; अद्भुत । निवेश - पु० [सं०] प्रवेश; आसन; स्थापना; पड़ाव डालना, सैन्य- विन्यासः पड़ाव डालनेको जगह; शिविर, खेमा; (प्रॉविजन) किसी विधि, अधिनियम आदि में कोई वाक्य खंड या उपधारा आदि रख देना, जोड़ देना, जो किसी विशेष स्थिति आदि में काम दे सके- (विधि-निवेश = प्रावी जन ऑफ लॉ) । निवेशन - पु० [सं०] निविष्ट करनेकी क्रिया; स्थापन; गृह; नगर पड़ाव, खेमा; घोंसला । निवेष्टन - पु० [सं०] ढकना ।
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निश* - स्त्री० रात । चर* - पु० दे० 'निशाचर' | निशांत-पु० [सं०] प्रातःकाल, तड़का | निशांध - वि० [सं०] जिसे रातको दिखाई न दे, रतौंधी रोगवाला ।
निशा - स्त्री० [सं०] रात, रात्रि; हल्दी । -कर-पु० चंद्रमा । -गृह- पु० शयनागार - चर - वि० रात में निकलने या घूमने-फिरनेवाला । पु०राक्षस; गीदड़; उल्लू; साँप; चोर; भूत; पिशाच; शिव; चक्रवाक; एक गंधद्रव्य । -चर- पति - पु० रावणः शिव । चरी - स्त्री० राक्षसी; कुलटा, पुंश्चली; अभिसारिका । - चारी- पु० दे० 'निशाचर' । - नाथ, - पति-पु० चंद्रमा । -मणि-पु० दे० 'निशानाथ' । - मुख - पु० संध्याकाल । निशाखातिर। - स्त्री० दिलजमई, तसल्ली । निशाट, निशाटन - पु० [सं०] उल्लू ; राक्षस । निशात - वि० [सं०] सानपर चढ़ाया हुआ, तेज किया हुआ; चमकाया हुआ ।
निशाद - पु० [सं०] रातको खानेवाला; नीच जातिका व्यक्ति, निषाद । निशाधीश - पु० [सं०] दे० 'निशानाथ' |
निशान - पु० [सं०] सानपर चढ़ाना, तेज करना; [फा०] वह लक्षण जिससे किसीकी पहचान की जा सके, परिचायक लक्षण, चिह्न; किसी पदार्थको सूचित करनेवाला उसका स्थानापन्न चिह्नविशेष; हस्ताक्षर के स्थानपर कागज आदिपर बनाया जानेवाला चिह्न; किसी प्राचीन या पूर्ववत पदार्थ या घटनाका परिचायक चिह्न; किसी विशेष कार्य या पहचान के लिए नियत किया जानेवाला चिह्न; यादगार; लक्ष्य; झंडा; पता, ठिकाना ।-बरदारपु० किसी राजा, सेना या दलके आगे उसका झंडा लेकर चलनेवाला व्यक्ति | मु० ( किसी बातका ) - उ या खड़ा करना- किसी आंदोलनका नेतृत्व करना । - देना - पता बताना; सम्मन तामील कराने आदिके लिए पहचान कराना ।
- उठाना
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निशाना - पु० [फा०] वह जिसको दृष्टिमें रखकर कोई अस्त्र चलाया जाय, लक्ष्यः निशाना साधनेक कामका मिट्टीका ढेर या कोई अन्य वस्तु; वह जिसके प्रति कोई चुटकुली बात कही जाय । मु०- बाँधना - अस्त्र आदिको इस तरह साधना कि वह चलानेपर ठीक लक्ष्यपर वार करे । - मारना या लगाना - लक्ष्यको दृष्टिमें रखकर अस्त्र आदिका वार करना । - साधना - दे० 'निशाना बाँधना'; निशाना मारनेका अभ्यास करना । निशानी - स्त्री० किसीकी याद करनेवाला चिह्न, यादगार; वह चिह्न जिससे किसी वस्तुकी पहचान हो सके । निशावसान - पु० [सं०] प्रातःकाल, निशांत । निशास्ता - वि० [फा०] जमाया हुआ; बैठा हुआ । पु० गेहूँ का गूदा; माँड़ी ।
निशि - अ० [सं०] रातमें । स्त्री० रात। -कर-पु० दे० 'निशाकर' । - चर - पु० दे० 'निशाचर' । -चर-राजपु० विभीषण। -दिन- अ० रात-दिन, सदैव । -नाथ, - नायक, - पति पु० दे० 'निशानाथ' । - पाल, - पालकपु० एक छंद, प्रहरी (जो रात में पहरा देता है) । -वासर