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नथिया-नमक आकारकी वस्तु ।
नपुत्री*-वि० दे० 'निपुत्री'। नथिया -स्त्री० दे० 'नथ'।
नप्ता(प्त)-पु० [सं०] नाती; पोता। नथुना -पु० दे० 'नथना' ।
नप्ती-स्त्री० [सं०] पुत्र या पुत्रीकी लड़की। नथुनी-स्त्री० छोटी नथ ।
नफर-पु० [अ०] मजदूर; नौकर सेवक (साखी)। नद-पु० [सं०] बड़ी नदी-जैसे सोन, ब्रह्मपुत्र, सिंधु नफरत-स्त्री० [अ०] किसी चीजसे भागना; घृगा। समुद्र; एक ऋषि। -पति,-राज-पु० समुद्र ।
-अंगेज़-वि० घृणा करने योग्य; घृणोत्पादक । नदना*-अ० कि० पशुओंका बोलना; आवाज करना। | नारी-स्त्री० [अ०] मजदूरकी दिनभरकी मजदूरी या काम । नदर-वि० [सं०] (देश) जो नदीके पास हो; निर्भय, निडर । नफा-पु० [अ०] फायदा, लाभ, हासिल । नदान* -वि० नादान, बेसमझ, अबोध ।
| नासत-स्त्री० [अ०] नफीस-उम्दा होनेका भाव, नदारद-वि० [फा०] खाली; गैरमौजूद; गायब, लुप्त । बढ़ियापन, सुंदरता। नदिया*-स्त्री० नदी।
नफीरी-स्त्री० [फा०] शहनाई, तुरही। नदी-स्त्री० [सं०] जलकी वह बड़ी प्राकृतिक धारा जो नीस-वि० [अ०] उम्दा, बढ़िया, सुंदर । किसी पहाड़, झील आदिसे निकलकर विशिष्ट मार्गसे नफ़्स-पु० [अ०] जान; आत्मा; व्यक्ति वासना; भोगेच्छा; बहती हुई दूसरी नदी, शील या समुद्र में जा मिली हो; स्वार्थ । -कुशी-स्त्री० वासनाओंका दमन । -परस्तीकिसी तरल पदार्थकी बड़ी धारा। -कूल-पु० नदीका| स्त्री० विलासिता, ऐयाशी; स्वार्थपरता । किनारा, तट । -घाटी-योजना-स्त्री० (रिव्हर व्हैली नबी-पु० [अ०] ईश्वरका दूत, पैगंबर । स्कीम) वह योजना जिसके अनुसार उपयुक्त स्थानोंपर नबेड़ना, नबेरना -स० कि० दे० 'निबेड़ना' । नदीका बाँध आदि बनाकर नहरों द्वारा सिंचाईकी व्यवस्था | नबेला-वि० दे० 'नवेला'। की जाय । -प्रवाह-विज्ञान-पु० (हाइड्रो-डाइनेमिक्स) | नब्ज़-स्त्री० [अ०] नाड़ी; हाथकी वह रग जिसपर उँगली नदी-प्रवाहके या जलादिके प्रवाहके नियंत्रण या उससे रखकर वैद्य रोगकी हालत समझते हैं। मु०-छूटना,उत्पन्न शक्ति-संबंधी विज्ञान । मु०-नाव संयोग-संयोग- | न रहना-नाड़ीकी गति रुक जाना। से थोड़ी देरके लिए होनेवाली भेंट।
नब्बे-वि० अरसी और दस । पु० नब्बेकी संख्या, ९०। नदीश-पु० [सं०] समुद्र, वरुण। -नंदिनी-स्त्री० लक्ष्मी। नभ-पु० [सं०] सावनका महीना; आकाश । -ग-पक्षी, नद्ध-वि० [सं०] बँधा हुआ; ढका हुआ मिलाया हुआ।। देवता इ० । वि० गगनगामी । -ग-नाथ-पु० गरुड़ । नथुत्सृष्ट-पु० [सं०] नदी द्वारा छोड़ी हुई भूमि, दरिया
स)-पु० [सं०] आकाश; सावनका महीना; बरार, गंगवरार।
मेध; जल; वर्षा; विषसूत्र; आश्रय; पास (नंददास) । नधना-अ० क्रि० नाधा जाना; जोता जाना; किसी कार्य-नभगामी-वि०, पु० दे० 'नभोगामी' ।
का आरंभ होनाकिसी काम में लगना या जुटना । नभगेश-पु० [सं०] गरुड़ । ननंद-स्त्री० [सं०] ननद, पतिकी बहन ।
नभचर-वि०, पु० दे० 'नभश्चर' । ननकारना*-अ० क्रि० अस्वीकार करना, इनकार करना। नभधुज*-पु० दे० 'नभोध्वज' । ननद-स्त्री० दे० 'ननंद' ।
नमध्वज-पु० दे० 'नभोध्वज'। ननदी -स्त्री० ननद ।।
नभश्चक्षु(सू)-पु० [सं०] सूर्य । ननदोई-पु० ननदका पति ।
नभश्चर-वि० [सं०] आकाशमें विचरनेवाला। पु० पक्षी, ननसार-सी० दे० 'ननिहाल'।
देवता, गंधर्व आदि जोआकाशमें बिचरते हैं; बादल; वायु । ननिभउरा, ननियाउर*-पु० दे० 'ननिहाल' । नभस्वान (स्वत्)-वि० [सं०] बादलों या कुहरेसे भरा ननिया ससुर-पु० पति या पत्नीका नाना ।
हुआ। पु० वायु। ननिया सास-स्त्री० पति या पत्नीकी नानी ।
नभोगामी(मिन्)-वि०, पु० [सं०] दे० 'नभश्चर' । ननिहाल-पु० नानाका घर ।
नभोध्वज-पु० [सं०] बादल । नन्हा-वि० छोटा।
नभोनदी-स्त्री० [सं०] आकाशगंगा । नन्हाई-स्त्री० छोटापन ।
नभोमंडल-पु० [सं०] मंडलाकार आकाश । नन्हैया*-वि० दे० 'नन्हा'।
नभोमणि-पु० [सं०] सूर्य । नपाई-स्त्री० नापनेकी क्रिया या भाव; नापनेकी उजरत। नभोवीथी-स्त्री० [सं०] दे० 'छायापथ' । नपाक-वि० दे० 'नापाक' ।
नम-पु० [फा०] तर, सीला, आई । नपुंस-पु० [सं०] क्लीव, हिजड़ा।
नमक-पु० [फा०] विशेष प्रकारके स्वादके लिए भोज्य नपुंसक-पु० [सं०] वह पुरुष जिसमें कामशक्ति न हो, वस्तुओंमें छोड़ा जानेवाला एक प्रसिद्ध क्षार पदार्थ, लवण हिजड़ा। वि० नामर्द कायर (शब्द) जो न स्त्रीलिंग लावण्य, सलोनापन । -ख्वार-वि० नमक खानेवाला । हो, न पुंलिंग।
-दान-पु० नमक रखनेका पात्र ।-हराम-वि० स्वामी नपुंसकता-स्त्री०, नपुंसकत्व-पु० [सं०] नपुंसक होनेका या पालकसे छल या द्रोह करनेवाला, कृतघ्न ।-हरामीभाव; नपुंसक होनेका रोग, नामदीं।
स्त्री स्वामी यां पालकसे छल या द्रोह करनेकी क्रिया नपुआ-पु० नापनेके काम आनेवाला बरतन, मापदंड । या दुर्गुण, कृतघ्नता ।-हलाल-वि०स्वामी या पालककी
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