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अनरुचि-अनाथ अनरुचि*-स्त्री० अरुचि, अनिच्छा, मंदाग्नि ।
लाना। अनरूप*-वि० कुरूप; असदृश।
अनवांसी-स्त्री० बिस्वांसीका बीसवाँ भाग। अनर्गल-वि० [सं०] बेरीक, लगातार; अनियंत्रित; मन- अनवाद*-पु० कुबोल, कटुवचन । माना विचारहीन । -प्रलाप-पु० मनमानी बकवास। | अनवाप्ति-स्त्री० [सं०] प्राप्तिका अभाव, अप्राप्ति । अनर्घ-वि० [सं०] अमूल्य; कम मूल्यका । पु० गलत / अनशन-पु० [सं०] आहारत्याग, उपवास; किसी विशेष कीमत, अनुचित मूल्य ।
संकल्पके साथ आहार त्याग । अनर्जित-वि० [सं०] न कमाया हुआ; जिसका अर्जन न अनश्वर-वि० [सं०] अविनाशी, सनातन, शाश्वत; ध्रुव । किया गया हो (अनअण्ड); अप्राप्त । -आय-स्त्री० अनसखरी-स्त्री० पक्की रसोई। चीजोंके दाम यकायक चढ़ जानेसे होनेवाली आय | अनसत्त-वि० असत्य । या लाभ।
अनसमझ*-वि० नासमझ । अनर्थ-वि० [सं०] निकम्मा; भाग्यहीन; हानिकारक अनसमझा*-वि० नासमझ; जो समझा हुआ न हो। बुरा; अर्थहीन; भिन्न अर्थवाला। पु० उलटा अर्थ; अर्थका अनसहत*-वि० असह्य । अभाव; अर्थहानि मूल्यका न होना; नैराश्यजनक घटना अनसाना-अ० क्रि० झुंझलाना, क्रुद्ध होना । विष्णु; अनिष्ट; खराबी; निकम्मी चीज । -कर, अनसनी-वि० न सुनी हुई । मु०-करना-सुनकर भी न -कारी (रिन)-वि० अनर्थ करनेवाला; हानि या | सुनने जैसा ओचरण करना; जान-बूझकर उपेक्षा करना । अनिष्ट करनेवाला।
अनसूया-स्त्री० [सं०] दूसरेके गुणों में दोप ढूँढनेकी वृत्तिअनर्थक-वि० [सं०] अर्थरहितः निष्प्रयोजन, बे-मतलब का न होना; ईका अभाव; दक्षकी एक कन्या, अत्रि अलाभकर; भाग्यहीन:
ऋषिकी पली; शकुंतलाकी एक सखी। अनह-वि० [सं०] अयोग्य; अनुपयुक्त; अनधिकारी अनस्तित्व-पु० [सं०] अस्तित्वका अभाव अविद्यमानता । अनर्हता-स्त्री० (डिसक्वालिफिकेशन) किसी कार्य, पद | अनहद-पु० दे० 'अनाहत' । -नाद-पु० दे०
आदिके योग्य न होनेका भाव, अयोग्यता नाकाबिलीयत। 'अनाहत नाद'। अनहींकरण-पु० (डिसक्वालिफाई) किसीको किसी कार्य, अनहित*-पु० बुराई, अहित । वि० अप्रिय, अहितकारी । पद आदिके अयोग्य ठहराना।
अनहितू-वि० अशुभ चाहनेवाला, अपकारी। अनल-पु० [सं०] अग्नि, आगः पाचनशक्ति, पाचन रस; अनहोनी-वि० स्त्री० न होनेवाली; असंभव; अलौकिक । तीनकी संख्या कृत्तिका नक्षत्र; -चूर्ण-पु० बारुद । -
स्त्री० अनहोनी बात । प्रिया--स्त्री० आग्नेयी; स्वाहा । -मुख-पु०देवता ब्राह्मणः | अनाकनी, अनाकानी-स्त्री० दे० 'आनाकानी । चित्रक; भिलावाँ ।
अनाकार-वि० [सं०] निराकार, आकारहीन । अनलस-वि० [सं०] आलस्य-रहित, जागरुक, चुस्त । अनाक्रमम-पु० [सं०] देशादिपर आक्रमण न करना। - अनलायक*-वि० अयोग्य ।
सन्धि-स्त्री० (नॉन-ऐग्रेशन पैक्ट ) दो राष्ट्रोंके बीच की अनलेख-वि० अलख; अगोचर ।
गयी वह संधि जिसमें एक दूसरेके विरुद्ध सैनिक बलका अनल्प-वि० [सं०] थोड़ेका उल्टा, अधिक ।
प्रयोग न करने तथा मतभेद या झगड़ा उत्पन्न होनेपर अनवकाश-पु० [सं०] अवकाशका अभाव, फुरसत या ।
आपसकी बातचीत अथवा पंचायत द्वारा उसे निपटानेकी गुंजाइशका न होना। .
बात स्वीकार की गयी हो। अनवच्छिन्न-वि० [सं०] न बिलगाया हुआ, अखंटित, अनागत-वि० [सं०] न आया हुआ; अप्राप्त; अज्ञात; आनेअन्तर-रहित; जुड़ा हुआ।
वाला भावी; * अनादि, अपूर्व । -विधाता (7)-पु० अनवट-पु० एक आभूषण जो पैरके अँगूठेमें पहना जाता आनेवाले अनिष्टको पहलेसे सोचकर उसके निराकरणका है; कोल्हू के बैलकी आँखोंका ढकन ।
उपाय करनेवाला। अनवद्य-वि० [सं०] अनिंद्य निर्दोष ।।
अनागम-पु० [सं०] न आना; अप्राप्ति । अनवधान-पु० [सं०] अमनोयोग; असावधानता । वि० अनागार, अनागारिक-वि० [सं०] बिना घरका । पु० प्रमादी, लापरवाह ।
साधु-संन्यासी। अनवय-पु० वंश, कुल दे० 'अन्वय'।
अनाघ्रात-वि० [सं०] जो सूंघा न गया हो। अनवरत-वि० [सं०] निरंतर, अविराम । अ० लगातार। अनाचरण-पु० [सं०] किसी (निर्दिष्ठ या निर्धारित) अनवसर-पु० [सं०] निरवकाश; कुसमय ।
कामका न करना । दे० 'अनाचार' । अनवस्था-स्त्री० [सं०] अवस्थितिका अभाव; अस्थिरताः | अनाचार-पु० [सं०] अयोग्य आचरण; दुराचरण, कुरीति । अव्यवस्था; एक तर्कदोष ।
अनाचारी (रिन)-वि० [सं०] बुरे आचरणवाला । अनवस्थित-वि० [सं०] अस्थिर; अस्थिरचित्त । अनाज-पु० अन्न, नाज । अनवस्थिति-स्त्री० [सं०] चापल्य, अस्थिरता; अधैर्यः | अनाड़ी-वि० अशान; अकुशल । आश्रयका अभाव; आचरणहीनता; समाधि प्राप्त होने पर अनातप-वि० [सं०] आतपहीन, छायादार; ठंडा। पु० भी चित्तका स्थिर न होना।
आतपका अभाव, छाया, टंड। अनवासना-स० क्रि० नये बरतन आदि प्रथम बार काममें | अनाथ-वि० [सं०] जिसका कोई मालिक या रक्षक न हो
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