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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३८५ धुरजटी * - पु० दे० 'धूर्जटि' | धुरड्डी | -स्त्री० दे० 'धुरै डी' । धुरना* - स० क्रि० पीटना बजाना भूसा बनानेके लिए पयालको फिर से दाँना । www.kobatirth.org पहिया घूमा करता है, अक्ष; भार, बोझ । धुरियाना - स० क्रि० धूलसे ढकना । धुरी - स्त्री० छोटा धुरा । - देश, राष्ट्र- पु० ( एक्सिस - कंट्रीज) द्वितीय महायुद्धके पूर्व बनाया गया नात्सी जर्मनी तथा फासिस्ट इटलीका गुट, जिसमें बाद में जापान भी शामिल हो गया था । धुरपद - पु० दे० 'पद' । धुरवा * - पु० बादल । धुरा - पु० [सं०] लकड़ी या लोहेका वह डंडा जिसके सहारे धूनना-स० क्रि० ई साफ करना, धुनना; * देवता आदिके निमित्त धूप आदिको आगमें जलाना, धूनी देना । धूना - पु० एक पेड़ या उसका गोंद जो धूनी देने तथा वारनिश तैयार करने के काम आता है । धूनी-स्त्री० किसी देवताके आघ्रापणके निमित्त आग में डाले गये गुग्गुल आदिका धुआँ; ठंडसे बचने या शरीरको तपानेके लिए साधुओं द्वारा अपने पास जलायी जानेवाली आग | मु० - जगाना, - रमाना - साधुओंका तपके लिए आगको अपने पास जलाये रखना; योगी होना, विरक्त होना । धुरीण - वि० [सं०] अग्रगण्य, श्रेष्ठ, प्रमुख; धुरा धारण करनेवाला; जिसपर किसी कार्यका भार हो । धू* - वि० स्थिर । पु० ध्रुवः ध्रुवतारा । धूआँ - पु० दे० 'धुआं' । धुरीन* - वि० दे० 'धुरीण' । धुरंडी, धुलेंडी । - स्त्री० होलिका जलने के बाद होनेवाला | धूप-पु० [सं०] देवताके आघ्रापण के लिए या सुगंध के वसंतोत्सवका एक अंग, धूलिवंदन; मदनोत्सव | निमित्त जलाये गये गुग्गुल आदिका धुआँ; गुग्गुल आदि गंधद्रव्य । ( इसके पाँच भेद हैं- (१) निर्यास, (२) चूर्णं, (३) गंध, (४) काष्ठ और (५) कृत्रिम ) । - दान-पु० [हिं०] धूप रखने या देनेका बरतन । -दानी - स्त्री० [हिं०] दे० 'धूपदान' । - पात्र - पु० दे० 'धूपदान' । - बत्ती - स्त्री० [हिं०] सुगंधके लिए जलायी जानेवाली एक प्रकारकी मसाला लगी हुई सींक । धूप-स्त्री० आतप, घाम, सूर्यका प्रकाश । - घड़ी - स्त्री ० एक यंत्र जिससे धूपके सहारे समयका ज्ञान होता है । - छाँह - स्त्री० एक तरहका कपड़ा जिसमें कई रंग दिखाई देते हैं । मु० - खाना - धूप में सूखना अथवा सुखाया या फैलाया जाना; धूपका सेवन करना । - खिलाना, - दिखाना- - धूप लगनेके लिए बाहर रखना । -निकलनासूर्यका प्रकाश फैलना । धुरेटना * - सु० क्रि० लगाना, पोतना; धूलसे ढकना । धुर्-स्त्री० [सं०] बैलों आदिके कंधेपर रखा जानेवाला जुआ; भार, बोझ; रथ आदिका अग्रभाग; चोटी | धुर्रा- पु० किसी वस्तुका चूर; कण मु० ( धुर्रे ) उड़ा देना - धज्जी उड़ाना, सर्वथा नष्ट कर देना । धुलना-अ० क्रि० पानी आदिके योगसे स्वच्छ किया जाना, धोया जाना; पानी पड़ने से कटकर बह जाना । धुलवाना - स० क्रि० दे० 'धुलाना' । धुलाई - स्त्री० धोनेकी क्रिया; धोनेकी उजरत । धुलाना - स० क्रि० धोने का काम दूसरे से कराना । धुव* - वि०, पु० दे० 'ध्रुव' । ध्रुवका - स्त्री० [सं०] गीतका पहला पद, टेक, स्थायी । धुवाँ - पु० दे० 'धुआँ' । - कश- ५० दे० 'धुआँकश ।' धार - वि०, अ० दे० 'धुआँधार' । धुवाँरा - पु० छतमें बना हुआ धुआँ निकलनेका छेद । धुवाँस-स्त्री० उरदका पिसान । धूपना- अ० क्रि० दौड़ना (समास में प्रयुक्त) । * स० क्रि० धूप देना, गंधद्रव्य जलाना; धूपसे बासना । धूपायित - वि० [सं०] दे० 'धूपित' । धुस्स - पु०ढहे हुए मकान की मिट्टी, ईंट आदिका ढेर;टीला; धूपित - वि० [सं०] धूपसे वासा हुआ; तप्तः थका हुआ । नदी आदिके किनारेका बाँध । धुस्सा- पु० ऊनका भारी कंबल । घूँघ* - स्त्री० दे० 'धुंध' । घूँघर, घूँधुर* - वि० धुँधला । पु० अँधेरा; उड़ती हुई धूलि - राशि | धूम - पु० [सं०] धुआँ; कुहरा; धूमकेतु; अपचके कारण आनेवाली डकार । - केतन - पु०अग्नि (जिसके अस्तित्व के अनुमानका चिह्न धुआँ हैं); धूमकेतु । - केतु-पु० अग्नि; पुच्छल तारा; केतु ग्रह । - ध्वज - पु० अग्नि । -पटपु० (स्मोक स्क्रीन) दे० 'धूमावरण' -पान- पु० दंतरोग, नेत्ररोग, व्रण आदि में विशिष्ट वस्तुओं, ओषधियोंको चिलमपर चढ़ाकर गाँजे आदिकी तरह पीना; तमाकू, गाँजा आदि पीना। -पोत-पु० जहाज, अगिनबोट । - यान - पु० रेलगाड़ी । -योनि-पु० बादल । -लवि० धुएँ के रंगका, मटमैला । धूईं - स्त्री० दे० 'धूनी' | धूकना - अ० क्रि० वेगसे आगे बढ़ना । स० क्रि० धुआँ पहुँचाकर केले आदिको पकाना । धूजट* - पु० दे० 'धूर्जटि' । धूजना * - अ० क्रि० हिलना, काँपना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धुरजटी-धूमर - कल्मष, पाप-वि० पापरहित, निष्पाप । धूतना* - स० क्रि० धूर्तता करना, दगा करना, छलना, वंचना करना । धूति - स्त्री० [सं०] हिलना; कंपन; हठयोगकी एक क्रिया । धूतुक, धूतू - पु० तुरही, नरसिंहा । धूधू- पु० आगके जोरसे जलनेका शब्द | धूत- -* वि० धूर्त, छली, पाखंडी, वंचक; [सं०] हिलाया हुआ; कंपित; छोड़ा हुआ, दूर किया हुआ, त्यक्त; डाँटा हुआ, झिड़का हुआ, धमकाया हुआ, भत्सित; विचरित । धूम - स्त्री० तैयारी के साथ किये जानेवाले किसी बड़े काम या उत्सवका शोर; हल्लागुल्ला, उपद्रव; शुहरत, प्रसिद्धि; चर्चा; ठाट; तैयारी, समारोह । धड़क्का - पु०, -धामस्त्री० ठाट-बाट, चहल पहल, समारोह । धूमर* - वि० दे० 'धूमल' । For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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