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देवकी-देह सात लोक । -वक्त्र-पु० अग्नि (जो देवताओंके लिए देवालय-पु० [सं०] देवागार, देवस्थान, मंदिर । मुँहके तुल्य है)। -वधू-स्त्री. देवताकी स्त्री, देवी; देवाला-पु० दे० 'दिवाला' । अप्सरा। -वर्म(न्)-पु० आकाश। -वाणी-स्त्री० देवा-लेई-स्त्री० लेन-देन । संस्कृत भाषा; (ओरेकिल) किसी देवी, देवताके मुँहसे देवी-स्त्री० [सं०] देवताकी पत्नी; आद्या शक्ति, दुर्गा; सरनिकली समझी जानेवाली बात, आकाशवाणी ।-वाहन- स्वती सावित्री; द्विजोंकी विवाहिता स्त्रियोंकी एक उपाधि पु० अग्नि ( जो देवताओंके पास हव्य पहुँचाती है)। राजमहिषी, पटरानी; (ला०) सुशीलता, सदाचार आदिसे -वृक्ष-पु० दे० 'देवतरु' । -व्रत-पु०भीष्मपितामह ।। युक्त स्त्री। -शत्रु-पुल्दैत्य ।-शिल्पी(ल्पिन)-पु० विश्वकर्मा । देवेंद्र-पु० [सं०] देवताओंके अधिपति इंद्र । -शुनी-स्त्री० देवताके समान प्रभाववाली सरमा नामकी देव*-स्त्री० देवकी। कुतिया । -सदन-पु० स्वर्ग; पीपलका पेड़, मंदिर। देवया-वि० देनेवाला। -सरि,-सरित्-स्त्री० दे० 'देवनदी'। -सेना-स्त्री० देवोत्तर-पु० [सं०] देवताके लिए अलग की हुई जायदाद । देवताओंकी सेना; देवसेनापति स्कंदकी पत्नी । -सेना-देवोत्थान-पु०[सं०] विष्णुका कार्तिक शुक्ला एकादशीको पति,-सेना-प्रिय-पु० स्कंदा पीला मैंगरा । -स्थान- शेषकी शय्यासे सोकर उठना । पु० स्वर्ग; मंदिर । -स्व-पु० देवार्पित संपत्ति । देवोद्यान-पु० [सं०] देवताओंके उद्यान-नंदन, चैत्ररथ, देवकी-स्त्री० [सं०] वसुदेवकी पत्नी और कृष्णकी माता। वैभ्राज और सर्वतोभद्र।। -नंदन,-पुत्र,-सूनु-पु० कृष्ण ।
देश-पु० [सं०] स्थान; मुल्क क्षेत्र विभाग। -ज-वि० देवता-पु० [सं०] स्वर्गमें वास करनेवाला दिव्य शक्ति देशमें उत्पन्न; जो बोल-चालकी भापासे स्वतः उत्पन्न हो
संपन्न अमर प्राणी; देवप्रतिमा। -गृह-पु० देवालय । गया हो (वह शब्द)। -धर्म-पु० देशके अनुरूप धर्म, देवढ़ी-स्त्री० ड्योढ़ी; चौखट।
देशविशेषके लिए उचित धर्म: देशविशेपमें प्रचलित देवर-० [सं०] पतिका अनुजा पतिका भाई (जेठा आचार-विचार । -निकाला-पु० [हिं०] निर्वासनका या छोटा)।
दंड। -भक्त-पु० देशका हित एवं उन्नति चाहनेवाला, देवरा*-पु० साधारण देवता ।
देशानुरागी व्यक्ति । -भक्ति-स्त्री० देशहितकी कामना, देवरानी-स्त्री० देवरकी पत्नी ।
देशप्रेम । -रक्षक सेना-स्त्री० (मिलीशिया) दे० 'जानदेवर्षि-पु० [सं०] दे० 'देवऋषि' ।।
पद सैन्य'। देवल-पु० देवालय, मंदिर, [सं०] देवपूजाकी आयसे | देशांतर-पु० [सं०] दूसरा देश, विदेश उत्तर और दक्षिण
जीविका चलानेवाला ब्राह्मण देवर धार्मिक व्यक्ति । ध्रवको मिलानेवाली रेखासे पूर्व या पश्चिमकी दूरी। देवांगना-स्त्री० [सं०] अप्सरा; देवताकी स्त्री।
-गमन-पु० (ट्रांसमाइग्रेशन) बीचके देश या समुदादि देवांश-पु०[सं०] देवताका भाग; परमेश्वरका अंशावतार । लाँधकर अन्य देशमें चले जाना। देवागार-पु० [सं०] मंदिर, देवस्थान; स्वर्ग ।
देशाचार-पु० [सं०] देशविदेशमें प्रचलित रीति-रिवाज, देवाजीव, देवाजीवी (विन्)-पु० [सं०] पुजारी। आचार-व्यवहार । देवाधिदेव-पु० [सं०] विष्णु, शिव ।
देशाटन-पु० [सं०] भिन्न-भिन्न देशोंमें भ्रमण, पर्यटन । देवाधिप-पु० [सं०] परमेश्वर; इंद्र।
देशी-वि० स्वदेशमें उत्पन्न या बना हुआ; अपने देशका देवान-पु० दीवान, मंत्री राज-दरबार ।
स्वदेश-संबंधी; देशका । देवानांप्रिय-पु० [सं०] अशोककी उपाधि; बकरा। वि० देशीय-वि० [सं०] 'देशी' । देवप्रियः मूर्ख ।
देस-पु० 'देश'। -निकाला-पु० दे० 'देशनिकाला। देवाना*-वि० पागल ।
-वाल-वि० अपने देशका, स्वदेशी। देवानीक-पु० [सं०] देवसेना ।
देसावर-पु० विदेश, परदेश । देवानुग-पु० [सं०] देवताओंके पीछे-पीछे चलनेवाले | देसावरी-वि० देसावरका, विदेशी । विद्याधर, यक्ष आदि दस उपदेव देवताका सेवक । देसी-वि० दे० 'देशी'। देवानुचर-पु० [सं०] दे० 'देवानुग' ।
देहंभर-वि०,पु० [सं०] शरीरमात्रका पोषण करनेवाला; पेटू। देवान-पु० [सं०] अमृत; चरु ।
देह-स्त्री० [सं०] शरीर, तन; जीवन, जिंदगी। -जदेवायतन-पु० [सं०] दे० 'देवागार'।
पु० पुत्र । -जा-स्त्री० पुत्री। -त्याग-पु० मृत्यु । देवारण्य-पु० [सं०] देवताओंका उपवन, नंदनवन । -धारक-पु० अस्थि, हड्डी; शरीर ।-धारण-पु० शरीर देवाराधन-पु० [सं०] देवताको प्रसन्न करनेके लिए किया। धारण करना, जन्म लेना; प्राणरक्षा। -धारी(रिन्)जानेवाला पूजा-पाठ आदि ।
पु० वह जिसने शरीर धारण किया हो, शरीरी, प्राणी । देवारि-पु० [सं०] असुर, दैत्य ।
-पात-पु० देहांत, मृत्यु ।-भृत्-पु० दे० 'देहधारी'। देवारी, देवाली -स्त्री० दीपावली।
-यात्रा-स्त्री० जीवका शरीर छोड़कर दूसरे लोकमें जाना; देवार्चन-पु०, देवार्चना-स्त्री० [सं०] देवताका पूजन । शरीरत्याग; जीवन-यापन; भोजन ।-लक्षण-पु० शरीरदेवार्पण-पु०[सं०] देवताके निमित्त किसी वस्तुका उत्सर्ग। परका काला दाग, तिल । -सार-पु० मज्जा। मु० देवाल-पु० देनेवाला; (ला०) वेचनेवाला । * स्त्री० दीवार। -छूटना-मृत्यु होना । -छोड़ना-मरना। -धरना
WIL TILL
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