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दुरासा-दुर्योधन दुर्गम; दुष्प्राप्य, दुर्लभः दुर्जयः अद्वितीय ।
करनेवाला । दुरासा*-स्त्री० दे० 'दुराशा'।
दुर्दर्शन-वि० [सं०] जो देखने में भद्दा हो, बदसूरत । दुरित-पु० [सं०] पाप, दुष्कृत, किल्विष; खतरा; संकट । दुर्दशा-स्त्री० [सं०] बुरी हालत, दुरवस्था, दुर्गति । दुरियाना-स० क्रि० दुरदुराना; दूर करना, हटाना। दुत-वि० [सं०] दे० 'दुर्दम' । । दुरुक्त-पु०, दुरुक्ति-स्त्री० [सं०] दुर्वचन ।
दुर्दिन, दुर्दिवस-पु० [सं०] बुरा दिन; मेघाच्छन्न दिन दुरुत्साहन-पु० [सं०] (एवेटमेंट) अपराधीको अपराध कर- धना अंधकार; वर्षण, वृष्टिः विपत्काल । नेमें सहायता या प्रोत्साहन देना।
दुर्दैव-पु० [सं०] फूटा हुआ भाग्य, दुर्भाग्य, बदकिस्मती । दुरुपयोग-पु० [सं०] अनुचित उपयोग, बुरा इस्तेमाल । दुर्धर-पु० [सं०] पारा; भिलावाँ । वि० दे० 'दुर्ग्रह'। दुरुपयोजन-पु० [सं०] (मिसऐप्रोप्रियेशन) (किसी सौंपी दुर्धर्ष-वि० [सं०] जिसका पराभव न मि हुई वस्तु, धन आदिका) दुरुपयोग करना, अनुचित काममें जिसे वशवतीं बनाना कठिन हो; उग्र, प्रबल । लगा देना।
दुर्नय-पु० [सं०] बुरी नीति, कुनीति; अविनय, औद्धत्य । दुरुस्त-वि० [फा०] जो अच्छी स्थितिमें हो, ठीक; जिसमें न)-पु० [सं०] बुरा नाम; दुर्वचन; घोंघा । कोई खामी न हो, दोषरहित; उचित; यथार्थ, युक्तियुक्त। दुनिरीक्ष्य-वि० [सं०] जो कठिनाईसे देखा जा सके। मु०-करना-दंड देकर ठीक रास्तेपर लाना, सुधारना। दुर्निवार, दुर्निवार्य-वि० [सं०] जिसका निवारण करना दुरुस्ती-स्त्री० [फा०] दुरुस्त करनेकी क्रिया, सुधारना। कठिन हो; जो सहसा रोका न जा सके। दुरूह-वि० [सं०] बहुत माथापच्ची करने पर भी जल्दी दुर्नीति-स्त्री० [सं०] नीतिविरुद्ध आचरण, कुनीति । समझमें न आनेवाला, कठिन ।
दुर्बल-वि० [सं०] शक्तिहीन, कमजोर क्षीणकाय, कृश । दुर-उप० [सं०] एक उपसर्ग जो संज्ञापदों और क्रियापदोंके दुर्बुद्धि-वि० [सं०]दुष्ट बुद्धिवाला, कुबुद्धि हतबुद्धिःमूर्ख । पहले इन अर्थो में जोड़ा जाता है-(१) सदोषता, (२)निंदा, दुर्बोध-वि० [सं०] जो शीघ्र समझमें न आये, गृढ़, क्लिष्ट । (३) निषेध, (४) दुःख या संकट ।
दुर्भक्ष-वि० [सं०] जिसे खाना कठिन हो; जिसका स्वाद दुर्गध-स्त्री० [सं०] बुरी गंध, बदबू । पु० काला नमक; । अच्छा न हो । पु० अकाल, दुर्भिक्ष । प्याज; आम | वि० बुरी गंधवाला।
दुर्भर-वि० [सं०] जिसे धारण करना, ढोना या निभाना दुर्ग-पु० [सं०] गढ़, किला, कोट। -पति-पु० दुर्गका | कठिन हो; भारी। स्वामी, दुर्गाध्यक्ष । -पाल-पु० दुर्गरक्षक ।
दुर्भाग्य-पु० [सं०] प्रतिकूल दैव, फूटी किस्मत, बंददुर्गति-स्त्री० [सं०] दुर्दशा; दरिद्रता; नरक ।
किस्मती । वि० भाग्यहीन, अभागा । दुर्गम-वि० [सं०] जहाँ पहुँचना कठिन हो, बीहड़, जो दर्भाव-पु० [सं०] बुरा भाव, कुभाव; तुच्छ विचार । शीघ्र समझमें न आये, दुर्बोध ।
दुर्भावना-स्त्री० [सं०] बुरी भावना, कुविचार । दुर्गाध, दुर्गाह्य-वि० [सं०] जिसकी बह जल्दी न मिल दुर्भिक्ष-पु० [सं०] अकाल, कहत । सके, जिसे थहाना कठिन हो, दुरवगाह्य ।
दुर्भिच्छ*-पु० दे० 'दुर्भिक्ष' । दुर्गाधिकारी(रिन्)-पु० [सं०] दे० 'दुर्गपति' । दुर्भेद, दुर्भेद्य-वि० [सं०] जो कठिनाईसे भेदा या छेदा दुर्गाध्यक्ष-पु० [सं०] दे० 'दुर्गपति' ।
जा सके, अति दृढ़ । दुर्गुण-पु० [सं०] बुरा गुण, दोष ।
दुर्मति-पु० [सं०] एक संवत्सरका नाम । स्त्री० दे० दुर्गेश-पु० [सं०] दे० 'दुर्गपति' ।
'कुमति' । वि० दुष्ट; मंदबुद्धि, मूर्ख । दुर्गोत्सव-पु० [सं०] दुर्गापूजा जो नवरात्र में होती है। दुर्भद-वि० [सं०] प्रमत्त; मदांध, मदोद्धत । दुर्ग्रह-वि० [सं०] जिसे पकड़ना कठिन हो; दुष्प्राप्य; ना(नस.)-वि० [सं०] दुष्ट हृदयवाला; उद्विग्न चित्तदुर्योध, दुर्शय; जिसे वशवती बनाना कठिन हो। वाला; उदास । दुर्घट-वि० [सं०] जिसका होना कठिन हो, दुःसाध्य । दुर्मित्र-पु० [सं०] बुरा मित्र, कुमित्र । दुर्घटना-स्त्री० [सं०] अशुभ घटना लशकर घटना। मल-वि० [सं०] अनमेल; कठिनतासे मिलनेवाला। दुर्जन-पु० [सं०] दुष्ट मनुष्य, खल ।
पु० एक मात्रिक छंद; एक प्रकारका सवैया । । वि० जो कठिनाईसे जीता दुर्मुख-पु० [सं०] धोड़ा; महिषासुरकी सेनाका एक सेन जा सके, जिसपर विजय पाना कठिन हो ।
पति रावणकी सेनाका एक भट; एक नाग; शिव; धृतराष्ट्रदुर्जर-वि० [सं०] जो देरमें या कठिनतासे पचे।
का एक पुत्र; एक संवत्सर, एक राक्षस: एक यक्ष रामका दुर्जीव-पु० [सं०] निंद्य जीवन, घृणित जीवन । वि० परान्न | एक गुप्तचर । वि० कटुभाषी, क.डुआ बोलनेवाला। खाकर निर्वाह करनेवाला, परान्नभोजी।
दुमूल्य-वि० [सं०] अधिक दामका, बहुमूल्य महँगा। दुर्जेय-वि० [सं०] दे० 'दुर्जय'।
दुर्मेधा(धस्)-वि० [सं०] भंदबुद्धि, मूर्ख । दुर्जेय-वि० [सं०] जो कठिनाईसे जाना जा सके, दुर्बोध । दुर्योग-पु०[सं०] दुर्भाग्यसूचक ग्रहयोग, ग्रहोंका बुरा फेर । दुर्दम, दुर्दमनीय, दुर्दम्य-वि० [सं०] जिसे दबाना या दुर्योध-वि० [सं०] जो भीषण युद्ध में भी डटकर लड़ता रहे। वशमें करना कठिन हो, प्रबल ।
__अजेय । दुर्दर*-वि० दे० 'दुर्धर'।
दुर्योधन-पु० [सं०] धृतराष्ट्रका ज्येष्ठ पुत्र । वि० दे० दुर्दर्श-वि० [सं०] जिसे देखना कठिन हो; चकाचौंध पैदा 'दुर्योध' ।
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