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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra दांत - दात ३५२ दांत - वि० [सं०] दंत संबंधी; जिसने बायेंद्रियोंका दमन दाऊदखानी पु० [फा०] एक तरहका गेहूँ या चावल | किया हो; दमित; शांत । पु० दाता । किरकिरे दाक्षिणात्य - पु० [सं०] दक्षिण देशका निवासी; नारियल । वि० दक्षिण देशका, दक्षिणी । दाक्षिण्य - पु० [सं०] अनुकूलता; निपुणता, पटुता; उदारता; सरलता; नायक द्वारा नायिकाका अनुवर्तन (सा० ) । दाक्षी - स्त्री० [सं०] दक्षकी पुत्री; पाणिनिकी माता । दाक्षेय- पु० [सं०] पाणिनि मुनि । दाक्ष्य-पु० [सं०] दक्षता, निपुणता, कार्यपटुता । दाख- स्त्री० अंगूर; मुनक्का । दाखि* - स्त्री० दे० 'दाख' | दाँत - पु० दे० 'दंत'; दे० 'दाँता' । मु० - काटी रोटीगहरी मित्रता । - काढ़ना- गिड़गिड़ाना । होना- हार मानना । - कुरेदनेको तिनका न रहनापासमें कुछ न होना । - खट्टे करना- परास्त करना; "नाक में दम करना । - गढ़ना- किसी वस्तु के लिए बहुत अधिक लालायित होना । - चबाना-दे० 'दाँत पीसना' । -तले उँगली दबाना - दे० 'दाँतो उँगली काटना' । - तोड़ना - परास्त करना । - दिखाना- घुड़कना; अपना बड़प्पन दिखलाना | -निकालना, -निपोरना- गिड़ गिड़ाना; टें बोल देना; व्यर्थ हँसना । - पीसना - बहुत अधिक क्रुद्ध होना । - बजना- ठंडके मारे दाँतोंका किटकिटाना। - बैठना - बेहोशीके कारण ऊपर-नीचेके दाँतोंका इस प्रकार सट जाना कि मुँह न खुल सके । लगनादे० 'दाँत गड़ना' ; दे० 'दाँत बैठना' | -लगाना(किसी वस्तुको ) हड़प जानेकी ताक में रहना, आत्मसात् करनेकी प्रबल इच्छा रखना । ( दाँतों ) उँगली काटना - आश्चर्य में पड़ जाना, दंग हो जाना । धरती पकड़कर - बड़ी कठिनाईसे, बड़ी दिक्कतसे । पसीना आना-बहुत अधिक श्रम पड़ना । -में जीभ-सा होनाप्रतिक्षण शत्रुओंके बीच में रहना । - से उठाना -बड़ी कंजूसीसे (द्रव्य आदि) संचित करना । दाँता - पु० दे० 'दंदाना' । दाखिल- वि० [फा०] भीतर घुसा हुआ, प्रविष्ट; शामिल । - ख़ारिज - पु० किसी सरकारी कागजपरसे एक व्यक्तिका नाम हटाकर उसके नाम लिखी जायदादपर दूसरेका नाम चढ़ाने की कानूनी कारवाई | दफ़्तर - वि० दफ्तर में बिना किसी निर्णयके अलग रख दिया हुआ (कागज ) । मु०- करना - अदा या जमा करना । दाखिला - पु० [फा०] प्रवेश; जमा करनेका कार्य, अदा यगी; वह रजिस्टर जिसमें किसी दाखिल या जमा की जानेवाली वस्तुका लेखा हो; महसूल या चुगीकी रसीद । दाग-पु० दग्ध करनेकी क्रिया; दाह; दे० 'दाग'; *जलन । दाग़- पु० [फा०] किसी प्राणी के शरीरपरका जन्म-जात अथवा घाव या जलने आदिका चिह्न; रंग आदिके लग जानेसे कपड़े आदिपर पड़ जानेवाला चिह्न, धब्बा; कलंक । -दार- वि० जिसपर दाग हो, धब्बेदार । - बेल-स्त्री० [हिं०] सड़क, नहर, नींव आदि खुदवानेके स्थानपर फावड़े से खोदकर लगाया हुआ निशान । दाँत किटकिट, - किलकिल - स्त्री० तकरार, तूतू-मैंमैं । दांत - स्त्री० [सं०] आत्मनिग्रह; तपः क्लेशन्सहिष्णुता । दाँती - स्त्री० घास आदि काटनेका हँसिया; नाव बाँधनेका खूँटा; दंतपंक्ति; दर्रा । | दागना - स० क्रि० जलाना; संतप्त करना; तपाये हुए लोहे या अन्य धातुकी मुद्रासे किसीके शरीरपर विशेष प्रकारका चिह्न अंकित करना; अधिक तेज दवा लगाकर फोड़े आदिको जला या सुखा देना; बंदूक आदि छोड़ना; धब्बा लगाना । दांपत्य - पु० [सं०] पति-पत्नीका संबंध । वि० दंपतीका; दाग़ी - वि० [फा०] जिसपर दाग लगा हो, दागदार; कलंकित; कलुषित; चरित्रहीन; सजा भुगता हुआ । पतिपत्नी-संबंधी | दाँना - स० क्रि० डंठलसे दाना अलग करनेके लिए फसलको बैलोंसे रौंदवाना । www.kobatirth.org दाँय * - स्त्री० दे० 'देवरी' । दाँयाँ - वि० दे० 'दाहिना' । दाँवना - ० क्रि० दे० 'दाँना' । दाँवनी - स्त्री० एक गहना । दांभिक - वि० [सं०] कपटी, दंभी । पु० ढोंग करनेवाला दाघ- पु० [सं०] ताप, दाह । व्यक्ति । दाजन, दाझन * - स्त्री० जलन; पीड़ा | दाँवरी - स्त्री० रस्सी, डोरी । दाइ * - पु० दे० 'दाय' । दाइज, दाइजा* - पु० दे० 'दायज' | दाइँ - वि० स्त्री० दाहिनी । स्त्री० बार, दफा । दाई - स्त्री० वह स्त्री जो अपना दूध पिलाकर दूसरेके बच्चेको पाले, उपमाता, धाय; बच्चा जनानेवाली स्त्री; बच्चोंकी देखरेख करनेवाली दासी । * वि० दे० 'दायी' । मु०से पेट छिपाना - ऐसे व्यक्तिसे कोई बात छिपाना जिसे सारा भेद मालूम हो । | दाउँ* - पु० दे० 'दाएँ' । दाउ * - स्त्री० दावानल | दाऊ - पु० बड़ा भाई; कृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता बलराम । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दाजना, दाझना * - अ० क्रि० दग्ध होना, जलना; संतप्त होना; ईर्ष्या करना । स० क्रि० जलाना; संतप्त करना । दाडिम- पु० [सं०] अनार | - प्रिय, भक्षण - पु० शुक, तोता । दाढ़ - पु० जबड़े के भीतर के दाँत जिनसे खाते समय अन्न आदि चबाते हैं, चौभड़ । स्त्री० गरज, दहाड़ | दादना * - अ० क्रि० जलना; संतप्त होना; गरजना | स० क्रि० जलाना; संतप्त करना, कष्ट पहुँचाना । | दाढा - स्त्री० [सं०] दंष्ट्रा, बड़ा दाँत; समूह; इच्छा । दादा -पु० वनाग्नि, दावाग्नि; अग्नि; जलन; लंबी दाढ़ी | वि० जलाया हुआ; संतप्त । दाढिका- स्त्री० [सं०] दाढ़ी; दाँत । दाढ़ी - स्त्री० ठुड्डी; ठुड्डीपरके बाल, डाढ़ी । -जार - पु० एक गाली जो स्त्रियाँ पुरुषोंको देती हैं (जिसकी दाढ़ी जल गयी हो ) । दात - * पु० दान दाता । वि० [सं०] विभक्त, छिन्न; धुला For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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