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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३४७ दमक-दरकना लिए थोड़ी देर रुक जाना, सुस्ताना। -में दम रहना दयाका भांडार, वह व्यक्ति जिसमें कूट-कूटकर दया भरी या होना-जान रहना, प्राण रहमा। -लगाना हो। -निधि-पु० परमेश्वर; दे० 'दयानिधान' । गाँजा, चरस आदिका कश लेना या धुआँ खींचना । -पान-वि० जो कृपा करनेके योग्य हो; जिसपर किसी-लेना-दे० 'दम मारना' ।-साधना-श्वास रोकनेका | की दया हो। -वीर-पु. वह नायक जिसके हृदय में अभ्यास करना; मौन ग्रहण करना, चुप लगाना; साँस दया करनेका अधिक उत्साह हो। -शील-वि०जिसका रोकना । -हाँठौंपर आना-मरनेकी स्थितिमें होना; स्वभाव दया करनेका हो, दयालु । -सागर-पु० दयामरणासन्न होना। वान् व्यक्ति । दमक-स्त्री० चमक, चाकचिक्य, प्रभा । पु० [सं०] दमन दयानत-स्त्री० [अ०] ईमानदारी, सचाई। -दार-वि० करनेवाला, दबानेवाला । ईमानदार। दमकना-अ० क्रि० चमकना,द्योतित होना; सुलग उठना।। दयाना*-अ० क्रि० दयार्द्र होना, कृपायुक्त होना। दमड़ी-स्त्री० पेसेका आठवाँ हिस्सा; एक पक्षी। -के दयामय-पु० [सं०] परमेश्वर । वि० अत्यंत कृपालु । तीन- बहुत सस्ता। दयार-पु० देवदार । * वि० दयालु । दमदमा-पु० थैलों में बालू आदि भरकर की गयी मोरचे- दयाई-वि० [सं०] जिसका हृदय दयासे द्रवित हो, दयालु । बंदी नकारेकी आवाज; तोपोंकी आवाज, शोहरत । दयाल*-वि० दे० 'दयालु'। दप्सन-पु० [सं०] दबाने या बलपूर्वक शांत करनेका काम; | दयालु-वि० [सं०] कृपायुक्त । आत्मनियंत्रण; दंड देना; वध; इंद्रियोंकी बाह्य वृत्तियोंका दयावंत*-वि० दयावान् । निरोध; सारथि सैनिक, योद्धा दौना एक ऋषि जिनके दयावना*-वि० दयनीय, दयाके योग्य । आशीर्वादसे दमयंतीकी उत्पत्ति हुई थी। वि० अनुशासित | दयावान (वत्)-वि० [सं०] दयालु, कृपायुक्त । करनेवाला; पराजित करनेवाला; शांत । -शील-वि० दयित-वि० [सं०] प्रिय, मनचाहा । पु० प्रिय व्यक्ति पति । जिसका स्वभाव दमन करनेका हो, जो बराबर दमन | दयिता-स्त्री० [सं०] पली; प्रेयसी। किया करता हो। दर-स्त्री० भाव; गौरव, महत्ता। वि. अल्प, थोड़ा। दमनक-पु० [सं०] एक छंद; दौना । पु० [सं०] भय; विदारण; गढ़ा; कंदरा, गुहा; शंख दमना-स० क्रि० दमन करना, दबाना; दूर करना।। स्रोत; दल, सैनिकों या पार्श्वचरोंका समूह; ईख, पु० द्रोणलता, दौना। [फा०] द्वार, दरवाजा, फाटक, दहलीज। अ० में, दमनी-स्त्री० संकोच; लज्जा। अंदर। -असल-अ० असलमें, वास्तवमें। -कारदमनीय-वि० [सं०] दमन करने योग्य । वि० आवश्यक, जरूरी। -किनार-वि० अलग, जुदा; दमयंती-स्त्री० [सं०] विदर्भ नरेश भीमसेनकी कन्या और । बगलमें अलहदा; एक तरफ । -कूच-अ० पड़ाव बदराजा नलकी पत्नी। लते हुए, बराबर आगे बढ़ते हुए। -ख्वास्त-स्त्री० दमरी*-स्त्री० दे० 'दमड़ी। प्रार्थना प्रार्थनापत्र, अजी। -गह-पु०,-गाह-स्त्री० दमा-पु० एक प्रसिद्ध श्वासरोग जिसमें साँस लेने में बहुत चौखट; शाही दरबार- 'धणी सहेगा सासना जमकी कष्ट होता है और कफ रुक-रुककर बहुत जोर लगानेपर दरगह माँह'-कवीर; मकबरा, मजार; मस्जिद । -गुजरनिकलता है। वि० अलग । -दर-अ० दरवाजे-दरवाजे, प्रतिगृह । दमाद-पु० पुत्रीका पति, जामाता। -पेश-अ० सामने, आगे । -बान-पु० ड्योढ़ीदार, दमानक*-स्त्री० तोपोंकी बाद । फाटकपर रहनेवाला, चौकीदार । -बानी-स्त्री० दरदमामा-पु० डंका, नगाड़ा। बानका काम या पद । -बार-पु० वह स्थान जहाँ बाददमारि*-स्त्री० वनकी आग, दावानल । शाह या सरदारकी कचहरी लगती हो, राजसभा द्वार, दमावती*-स्त्री० दमयंती । दरवाजा, ड्योढ़ी। -बारदारी-स्त्री० किसीके पास जादमित-वि० [सं०] जिसका दमन किया गया हो; विजित । जाकर देरतक बैठने और खुशामद करनेका काम । दमी-वि० दमवाला; दम लगानेवाला; गाँजा, चरस आदि- -बारी-वि० दरबार-संबंधी; दरवारका। पु० दरबारमें का दम खींचनेवाला। सम्मिलित होनेवाला व्यक्ति, राजसभाका सदस्य ।-बारे दमी(मिन्)-वि० [सं०] दमनशील; जितेंद्रिय । आम-पु० बादशाह या राजाका वह दरबार जिसमें दमैया-पु० दमन करनेवाला; मिटानेवाला; हरनेवाला । सर्वसाधारण सम्मिलित हो सकें। -बारे खास-पु० दमोदर*-पु० दे० 'दामोदर'। बादशाह या राजाका वह दरबार जिसमें गिने-चुने लोग दयनीय-वि० [सं०] दया करने योग्य । ही सम्मिलित हों। -माहा-पु० मासिक वेतन, तन- दया-स्त्री० [सं०] किसी विपन्नके प्रति हृदयमें उत्पन्न होने- ख्वाह । -मियान-पु० बीच, मध्य । अ० बीचमें, वाला सहानुभूतिका भाव जो उसका दुःख दूर करनेके भीतर। -मियानी-वि० भीतरी, आंतरिक । -हकीलिए प्रेरित करे, करुणा, अनुकंपा, रहमा दक्ष प्रजापतिकी क़त-अ० दे० 'दर-असल'। -हाल-अ० आजकल, एक कन्या जिसका विवाह धर्मसे हुआ था। -कर-वि० वर्तमान समयमें। मु०-गुज़रना-छोड़ देना; बाज दयाळु । पु० शिव ।-कूट-कूर्च-पु० बुद्धदेव ।-दृष्टि- आना; माफ कर देना। स्त्री० दयापूर्ण दृष्टि, करुणाभरी दृष्टि । -निधान-पु० दरकना-अ० क्रि० खिंचाव या दबावसे फटना, विदीर्ण For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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