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थूक दंड
सूचित करना । -थू होना - चारों ओर निंदा होना । थूक - पु० लारकी तरहका रस जो मुँहसे अपने आप छूटा करता है, खखार । मु० - लगाना - नीचा दिखाना । थूकों सत्तू सानना - अत्यंत कृपणता से काम चलाना; थोड़ी सामग्री से बड़ा काम करने लगना । थूकना - अ० क्रि० मुँहसे थूक बाहर निकालना या फेंकना; धिक्कारना, छिः छिः करना । स० क्रि० उगलना; निंदा करना । मु० थूककर चाटना - त्यक्त वस्तुको ग्रहण
करना ।
थूथन + - पु० लंबे मुँहका आगेकी ओर निकला हुआ भाग । धूनी - स्त्री० बोझको रोकने के लिए लगाया जानेवाला छोटा खंभा, स्तंभ, टेक |
थूला* - वि० मोटा, हृष्ट-पुष्ट ।
थूवा - पु० द्वह, टीला |
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रखनेवाला; खजाने में रुपये उठानेवाला । -बरदार - पु० थैली ढोनेवाला । मु० - खोलना -तोड़े गिनना; थैलीके सब रुपये दे देना ।
द- देवनागरी वर्णमालाका १८वाँ व्यंजन वर्ण । दंग - वि० [फा०] चकित, हक्का-बक्का । *५० खौफ, डर । दंगई - वि०, पु० दंगा करनेवाला, फसादी, लड़ाका । दंगल - पु० [फा०] कुश्ती आदिकी प्रतिद्वंद्विता; अखाड़ा; मजमा, समूह; गद्दा | मु०- बाँधना-हलका बाँधना । -मारना - कुश्ती जीतना । - लड़ना - कुश्ती लड़ना । दंगली - वि० [फा०] दंगल संबंधी; दंगल मारनेवाला; दंगल• जाने या भेजने के योग्य; लड़ने, युद्ध करनेवाला । दंगा - पु० झगड़ा-फसाद, बलवा, विप्लव, उत्पात; हला, कोलाहल | दंगेबाज़ - वि०, पु० दे० 'दंगई' | दंगाई-पु० दंगा करनेवाला, बलवाई । दंत - वि०, ५० दे० 'दंगई' |
दंड - पु० [सं०] डंडा, लगुड; ब्रह्मचारियों, संन्यासियों के धारण करनेका बाँस, पलाश आदिका डंडा; राजाके हाथ में रहनेवाला खड्ग या डंडा जो अधिकार और सजाका सूचक होता है; एंडेकी तरह कड़ी और सीधी वस्तु; बाजा बजानेकी कमानी या डंडा; आक्रमण; दमन; भूमिकी एक माप, लट्ठा; व्यूहका एक भेद; शरणागत-रक्षण आदि तीन कर्म; शासन; जुरमाना, डाँड़; साठ पल ( २४ मिनट ) का कालका एक सूक्ष्म विभाग, घड़ी; राजाओंकी चार नीतियोंमेंसे एक; यमः अभिमान; अश्व; कोण; मथानीका डंडा; तराजूकी डंडी; वह बाँस या डंडा जिसमें पताका लगी रहती है; हलमें लगी लंबी लकड़ी, हरिस; दंडवत् एक
थोक-पु० राशि, ढेर; फुटकर या खुदराका उलटा; एकत्र किया हुआ माल; मालकी बड़ी राशि । -दार- पु० थोक माल बेचनेवाला व्यापारी । -फरोश- ५० थोक माल बेचनेवाला व्यापारी । मु०-करना* जमा करना, एकत्र करना ।
थूरना * - स० क्रि० कूटना; पीटना; (ला० ) तोड़ देना; चूर थोथरा - वि० निःसार; बेकाम |
करना; हँस-हँसकर खाना । धूल * - वि० स्थूल ।
थोड़ा - वि० न्यून मात्राका, जो परिमाणमें कम हो, जरासा, अल्प, कुछ, किंचित् । अ० जरासा । बहुत-जराभना, कुछ-कुछ | -सा-तनिक, जरासा । थोड़े ही - एकदम नहीं (काकु) ।
थोथा - वि० निःसार; खोखला; निकम्मा; भोथरा । थोपड़ी, थोपी - स्त्री० चपत ।
थोपना - स० क्रि० मिट्टी आदिके लोंदेको किसी वस्तुपर
इस प्रकार रखना कि वह उसपर चिपक जाय; आरोपित करना; रोटी बनाने के लिए गीले आटेको तवेपर यों ही फैला देना; आक्रमण आदिसे रक्षा करना । थोबड़ा - पु० थूथन; तोबड़ा ।
थोर, थोरा - वि० दे० 'थोड़ा' | थोरिक* - वि० थोड़ासा ।
थूहड़ - पु० दे० ' थूहर ' ।
थूहर - पु० सेहुँड़ |
थेईथेई - स्त्री० नाचका एक ढंग और ताल । थैला - पु० कपड़े, टाट आदिका बना बटुएके आकारका बड़ा पात्र जिसमें चीजें रखी और बंद की जा सकें; रुपयोंका थैला, तोड़ा ।
थाँद* - स्त्री० दे० 'तोद' ।
थैली - स्त्री० छोटा थैला; रुपपोंकी थैली । - दार-पु० रोकड़ | ध्यावसा* - पु० स्थिरता, चैन, कल, धीरज ।
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कसरत; पेड़का घड़; कमल आदिकी नाल; हाथीकी सूँड़; जहाज या नावका मस्तूल । -कर- पु० ( प्यूनिटिव टैक्स) दे० 'दंडात्मक कर' । -कर्म (न्) - पु० सजा देनेका काम; सजा । - चारी (रिन्) - पु० सेनापति । - ताडन - पु० अभियोगीको डंडे से पीटने की सजा, बेंतकी सजा ।-घरपु० वह व्यक्ति जो डंडा लिये हो, डंडा धारण करनेवाला; यमः राजा; शासक संन्यासी । - धारक - पु० न्याय करनेवाला । - धारणा - स्त्री० वह स्थान जहाँ शासनकी सुव्यवस्था के लिए सेना रखनी पड़े । -नायक- पु० सेनापति, सेनानी; न्यायाधीश, दंडविधायकः राजा । -नीति - स्त्री० शत्रुओं या अपराधियोंको दंड देकर वशमें रखनेकी नीति । - नेता (तृ) - पु० राजा यम; विचारपति । - न्यायालय - पु० (क्रिमिनल कोर्ट ) (विधि-विधानोंको भंग करनेवाले) अपराधोंका विचार, निर्णय करनेवाली अदालत, दंड व्यवस्था करनेवाला न्यायालय; दे० 'फौजदारी अदालत' । -प-पु० राजा । -पाणिपु० यम; काशीस्थ एक भैरवमूर्ति; वह व्यक्ति जिसके हाथमें दंड हो । - पाल, - पालक - पु० दंडनायक; द्वारपाल; एक मछली । -प्रणाम - पु० साष्टांग प्रणाम, वह प्रणाम जो पृथ्वीपर डंडेकी भाँति पड़कर किया जाय । - यात्रा - स्त्री० दिग्विजय के लिए प्रयाण; शत्रुपर की नयी चढ़ाई; वरयात्रा, बरात । -वध-पु० फाँसी, प्राणदंड । - विज्ञान - पु० (पीनॉलॉजी) अपराधके अनुरूप
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