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तान-तायफा तान-स्त्री० संगीतमें स्वरका विस्तार; ताननेकी क्रिया या तापता-पु० [फा०] धूपछाँह रेशमी कपड़ा। भाव; खिचाव । पु० [सं०] सूत्र विस्तार; ज्ञानका विषय । | ताब-स्त्री० [फा०] तापः हिम्मत, सामर्थ्य मजाल; धैर्य । -तरंग-स्त्री० [हिं०] तानकी लहर ।
ताबड़तोड़-अ० लगातार। तानना-स० क्रि० खींचकर कड़ा करना; फैलाना; खड़ा ताबूत-पु० [अ०] मुरदा ले जानेका संदूक । करना; समेटी हुई चीजको फैलाकर व्यवहार योग्य स्थितिमें ताबे-वि० वशवती, अधीन । -दार-वि० आज्ञाकारी । लाना; खींचकर कुछ अंतरपर स्थित दो आधारोंमें फँसाना पु० नौकर । -दारी-स्त्री० सेवा, नौकरी। किसीको लक्ष्य करके मारनेके लिए अस्त्र आदि उठाना। ताम-*पु० अँधेरा; क्रोध-'कंसको निर्वश हहै करत इनपर तानपूरा-पु० सितारके आकारका एक बाजा ।
ताम'-सू० । [सं०] भयका कारण, भीषण वस्तु; त्रुटि; तानबान*-पु० ताना-बाना।
चिंता; उद्वेग, ग्लानि; इच्छा; क्लोति । वि० भयानक ताना-पु० करधेमें लंबाईके बल फैलाया हुआ सूत [अ०] व्याकुल। व्यंग्यपूर्ण चुटीली बात । * स० क्रि० तपाना; परीक्षाके | तामजान, झाम, दान-पु० एक तरहकी खुली पालकी। लिए तपाना; ढाँकना । -पाई-स्त्री० ब्यर्थ आते-जाते | तामड़ा-वि० ताँबेके रंगका । रहना। -बाना-पु. लंबाई और चौड़ाईके बलका सूत । तामरस-पु०[सं०] कमल; सुवर्ण; ताँबा धतूरा; एक छंद । मु०-मारना-चुटीली बात कहना।
तामलेट, तामलोट-पु० टीनका वह पात्र जिसपर चीनी तानारीरी-स्त्री० नौसिखियेका गाना ।
मिट्टी आदिकी कलई हो। तानाशाह-पु० अनियंत्रित शासक, निरंकुश अधिकारी। तामस-पु० [सं०] खल; सर्प, क्रोध; अज्ञान; अंधकार । तानाशाही-स्त्री० अधिनायकत्व स्वेच्छाचारिता। वि० जिसमें तमोगुणकी प्रधानता हो, तमोगुणसे युक्तः तानी -स्त्री० बुनावटमें लंबाईके बल रखा हुआ सूत; * बंद। शानहीन कुटिल। ताप-पु० [सं०] (हीट) आग या बिजली आदिसे उत्पन्न वह तामसी-स्त्री० [सं०] महाकाली; अँधेरी रात; मायाविद्या शक्ति जिससे वस्तुएँ गरम हो जाती है और मात्रा अधिक जो मेघनादको शिवसे मिली थी । वि०स्त्री० तमोगुणवाली। होनेपर पिघलने या वाष्पके रूपमें परिणत होने लगती हैं, तामित्र-पु०[सं०] एक नरक घृणा द्वेष क्रोध । उष्णता, गरमी; ज्वर; दुःख; मानसिक व्यथा, आधि । तामीर-स्त्री० [अ०] मकान बनाना या मरम्मत करना; -क्रम-पु० (टेंपरेचर) शरीर या वायुमंडलकी उष्णता- मकान, इमारत । का उतार-चढ़ाव ।-तरंग-स्त्री० (हीटवेव्ह) अत्यंत गरम तामील-स्त्री० [अ०] अमल करना; (हुक्म) बजा लाना; हवाकी लहर जो कुछ स्थानोंसे अन्य स्थानोंकी ओर प्रवा- तलब किये गये व्यक्तिका समनपर हस्ताक्षर करना या हित होती जान पड़े। -तिल्ली-स्त्री० [हिं०] प्लीहा। अँगूठेका निशान लगाना । -त्रय-पु० आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक तामोल*-पु० दे० 'तांबूल' । दुःख । -द-वि० कष्टकारक । -नियंत्रण-पु० (एयर ताम्र-पु० [सं०] ताँबा; एक प्रकारका कोढ़ । वि० ताँबेका कंडीशनिंग) कमरे आदिके भीतरकी हवाको कृत्रिम रूपसे बना हुआ ताँबेकी तरह लाल रंगका। -कार,-कुट्टसमशीतोष्ण बनाये रखनेकी क्रिया। -नियंत्रित-वि० पु० तमेरा, साँबेके बरतन आदि बनाकर जीविकोपार्जन (एयर कंडीशंड) जिसके भीतरका तापमान कृत्रिम उपायों करनेवाला ।-चूड-पु० मुर्गा; कुंकरौधा ।-पट्ट,-पत्रद्वारा समस्थितिमें रखा गया हो।-मान-पु० थरमामीटर पु० दानपत्र आदि खुदवानेका ताँबेका पत्तर; ताँबेकी द्वारा मापी गयी शरीर या वायुमंडलके तापका मात्रा। चद्दर । -पर्णी-स्त्री० दक्षिण भारतकी एक नदी। -मान-यंत्र-पु० थरमामीटर । -विकिरण-पु० -पल्लव-पु० अशोक वृक्ष ।-पात्र-पु० ताँबेका बरतन । (रेडियेशन) तापलहरियोंका किसी एक केंद्रसे चारों -पुष्प-पु. कचनार । -मुख-वि० जिसका मुख दिशाओं में प्रसारित या विकिरित किया जाना । -हर- ताँबेके रंगका हो । पु० यूरोपीय ।-मूला-स्त्री० छुईमुई। वि० तापनाशक ।
-मृग-पु० एक तरहका लाल हिरन ।-युग-पु० इतितापक-पु० [सं०] (हीटर) (कमरे आदिमें) गरमी पहुँचाने हासका वह आरंभिक काल जब लोग ताँबेके औजार, या उत्पन्न करनेका यंत्र ।
पात्र आदि काममें लाते थे।-योग-पु० एक रासायनिक तापती-स्त्री० [सं०] सूर्यकी कन्या; एक नदी।
औषध । -लिप्त-पु० बंगालका तामलूक नामक भूखंड । तापन-पु० [सं०] सूर्य; ग्रीष्म ऋतु; कामदेवका एक बाण -लेख-पु० दे० ताम्रपत्र । -वर्ण-वि० ताँबेके
सूर्यकांत मणि मदार । वि० तापकारक कष्टदायक । रंगका, रक्तवर्ण । पु० सिंहल । -वल्ली-स्त्री० मजीठ । तापना-अ०क्रि० आँच या तापसे शरीर गरमाना। स० -वृक्ष-पु० कुलथी; लाल चंदनका वृक्ष । क्रि० नष्ट करना, उड़ाना; * तपाना।
ताय*-अ० से तक। तापस-पु० [सं०] तपस्वी; बगला; तेजपात । वि० तपस्या ताय*-पु० ताप; जलन; धूप । सर्व० उसको। या तपस्वी-संबंधी; तपस्वी।
तायदादी-स्त्री० दे० 'तादाद'। तापित-वि० [सं०] तपाया हुआ; पीडित ।
तायना*-सक्रि० तपाना संताप पहुँचाना । तापी-स्त्री० [सं०] ताप्ती नदी; यमुना नदी। -ज-पु० तायनि-स्त्री० तपन, जलन; पीड़ा। माक्षिक धातु।
| तायफा-स्त्री० [अ०] वेश्या वेश्या और उसके समाजियोंतापी (पिन)-वि० [सं०] तप्त करनेवाला; गरम ।
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