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ड-नागरी वर्णमालाका तेरहवाँ व्यंजन वर्ण ।
डेवरुआ*-पु० गठिया, एक वातव्याधि जिसमें शरीरकी डंक-पु० बिच्छू, मधुमक्खी, भिड़ आदिका जहरीला काँटा गाँठोंमें दर्द होता है । जिसे वे दूसरे प्राणियों के शरीरमें चुभा देते हैं, दंश; टंक | डॅवाडोल-बि० अस्थिर, डगमगाता हुआ; बेचैन । द्वारा किया गया भेदन कलमकी जीभ; * डंका। -दार- डंस-पु० दे० 'डाँस' । वि० डंकवाला।
डॅसना-स० क्रि० दे० 'इसना'। डंकना*-अ० क्रि० भारी शब्द करना; तोपका गरजना। | ड-पु० [सं०] शब्द; एक तरहका नगाड़ा; बड़वाग्नि । डंका-पु० नगाड़ा, धौंसा । मु०-बजना-अधिकार होना; डक-*पु० खेलनेका स्थान; [अं॰डॉड]सूती या सन आदिका चलती होना । (लड़ाईका)-बजना-युद्ध आरंभ होना | बना दबीज कपड़ा जिससे छोटे पाल या अन्य पहनावे (डंके)की चोट कहना-निडर होकर सबके मुँहपर (विशेषकर नाविकोंके) बनते हैं। एक कपड़ा, पक्का घाट जहाँ कहना, घोषित करना।
जहाजमें माल लादते और उतारते हैं। डंकिनी-स्त्री० दे० 'डाकिनी'।
डकरना-अ० क्रि० डकार लेना; खाकर तृप्त होना-'डकरी डंगर-पु० चौपाया, पशु । वि० दुबला-पतला; (ला०)जड।। चमुंडा गोलकुंडाकी लड़ाई में'-कालिदास त्रिवेदी।। डगरा-पु० बड़ी ककड़ी, खरबूजा (बुंदेल)।
डकराना-अ० क्रि० साँड़,बैल या भैसेका जोरसे बोलना। इंटैया-पु० डाँटनेवाला; धमकी देनेवाला । | डकार-स्त्री० आवाजके साथ मुँहसे निकली हुई हवा,
ऊर्ध्व डंटल-पु० गेहूँ, जौ, ज्वार अदिका तना जिसपर बाल वायु, उद्गार; दहाड़ । मु०-न लेना-चुप्पी साध लेना। लगती हैं।
डकारना-अ० क्रि० डकार लेना; दहाड़ना । स० क्रि० डंड-पु० बाजू, बाँह; एक कसरत जो हाथ-पैरके पंजोंके किसीका माल पचा जाना । सहारे पेटके बल की जाती है; सजा, जुरमाना; घाटा; डकैत-पु० डाकू, लुटेरा। समयका एक परिमाण (२४ मिनट)। -पेल-पु० अधिक डकैती-स्त्री० डाका डालनेका काम, लूट, डाकाजनी। डंड करनेवाला, पहलवान ।
डग-पु० चलने में दोनों पाँवोंके बीचका अंतर, फाल, डंडक*-पु० दे० 'दंडक' ।
कदम । मु०-भरना-कदम बढ़ाना। -मारना-लंबे-लंबे डंडवत-पु० दे० 'दंडवत्' ।
डग डालना। डॅडवारा-पु०,-डॅडवारी-स्त्री० रोक या धेरेके लिए बनी | डगडगाना-अ० क्रि० अस्थिर या डगमग होना; काँपना। हुई कम ऊँची दीवार; चहारदीवारी।
डगडोलना*-अ० क्रि० दे० 'डगमगाना' । डडवी-वि० कर देनेवाला।
डगडौर-वि० डाँवाडोल, अस्थिर । डंडा-पु० बाँस आदिका लंबा टुकड़ा, लाठी, सोंटा; चहार- ढगना*-अ० क्रि० हिलना; विचलित होना; अपने स्थान
दीवारी । -डोली-स्त्री० लड़कोंका एक खेल । -बेड़ी- से हटना, खसकना; लड़खड़ाना; चूकना । स्त्री० वह बेड़ी जिसमें छड़ लगे हों।
डगमग-अ० हिलते-डुलते लड़खड़ाहटके साथ । डंडाकरन*-पु. दंडकारण्य ।
डगमगना*--अ० कि० दे० 'डगमगाना'। इंडिया*-स्त्री० ऐसी साड़ी जिसपर पड़ी धारियोंके रूपमें | डगमगाना-अ० कि.. इधर-उधर हिलना या झुकना; गोटे टँके हों; गेहूँ के पौधेकी वह सींक जिसमें बाल लगी विचलित होना, डाँवाडोल होना; लड़खड़ाना । स० क्रि० हो । पु० महसूल उगाहनेवाला ।
हिलाना-डुलाना। इंडियाना-स० क्रि० दो कपड़ोंको लंबाईकी ओरसे मिला- डगर-स्त्री. मार्ग, राह, रास्ता । कर सीना।
डगरना*-अ० क्रि० चलना, रास्ता पकड़ना; गिलते डंडी-स्त्री० छोटी, सीधी और पतली लकड़ी, छाते आदिमें हुए चलना। लगी हाथमें पकड़नेकी लकड़ी जिसपर कमानी चढ़ायी डगरा*-पु० मार्ग, रास्ता; + बाँस आदिका बना एक जाती है। तराजूकी लकड़ी जिसके दोनों ओर रस्सियोंसे छिछला बरतन । पलड़े बाँधे जाते हैं। तनेका ऊपरी भाग जिसपर फूल या| डगा*-पु० डुग्गी आदि बजानेकी लकड़ी, चोब । फल स्थित रहते हैं, नाल । -मार-वि० जो कम सौदा डगाना-स० क्रि० विचलित करना टसकाना; हिलाना । तौले । पु० बनिया।मु०-मारना-कम सौदा तोलना। डटना-अ० क्रि० अड़ना, एक स्थानपर जमा रहना, स्थिर डडीर-स्त्री० सीधी रेखा।
रहना; जगहसे न हटना; (कार्य में) प्रवृत्त होना, लगाना; डंडोरना*-स० क्रि० उलट-पुलटकर हूँढना।
* फबना। * स० क्रि० देखना । डंडौत-पु० दे० 'दंडवत्।
डटाना-स० क्रि० सामने रखना; अड़ाना, जमाना डंफना-अ.क्रि० जोरसे चिल्लाना या रोना।
सटाना, भिड़ाना। डंबर-पु० [सं०] आडंबर; चहल-पहल समूह, राशि डहा-पु. काग नैचा ठप्पा; (रिटॉर्ट स्टैंड) कोई चीज सारश्य; गर्व; आयोजन; भारी शब्द, सौंदर्य विस्तार
गरम करने, रखने आदिका पीछेकी ओर झुका या टेढ़ाएक प्रकारका बड़ा चँदोवा । वि० प्रसिद्ध ।
सा आला।
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