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जानहार* - वि० जानेवाला; नष्ट होनेवाला । जानहुँ* - अ० मानों, जानो ।
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जाना - अ० क्रि० एकसे दूसरे स्थानपर पहुँचने के लिए | हरकत करना, गमन करना, रवाना होना; दूर होना; बिदा होना; नष्ट होना; बीतना, गुजरना; खोना, नुक सान होना; बिगड़ना (हमारा क्या जाता है ? ), हाथसे निकल जाना; बहना, जारी होना; गरना; (किसी बात, शब्दों आदिपर) विश्वास करना, ठीक मान लेना; * पैदा होना । * स० क्रि० जनना। मु० जा धमकना - एकाएक पहुँच जाना । जा निकलना अचानक पहुँच जाना । जाने देना - छोड़ देना; माफ कर देना । जा पड़नाअचानक जा पहुँचना । जा लेना- आगे जानेवालेके बराबर हो जाना; भागनेवालेको पकड़ लेना । जानि - स्त्री० [सं०] पत्नी, भार्या (केवल समासमें व्यवहृत- जामातु - पु० दे० 'जामाता' | 'जानकीजानि') । * वि० ज्ञानी ।
जामिक - पु० दे० 'यामिक' |
जामित्र - पु० [सं०] कुंडली में लग्न से सातवाँ स्थान । ज़ामिन- पु० [फा०] जमानत करनेवाला; जिम्मा लेनेवाल ; नैचेकी दोनों नलियोंको अलग रखनेके लिए बाँधी जानेवाली एक लकड़ी; जामन; वह चीज जो दूसरी चीजको उड़ने से बचाने के लिए साथ रखी जाय (जैसे कपूरके साथ मिर्च ) । - दार - पु० जामिन (असाधु) । जामिनी-स्त्री० दे० 'यामिनी' । जामी * - स्त्री० जमीन ।
जानिब - स्त्री० [अ०] तरफ, दिशा । - दार- वि० पक्षपाती, तरफदार । - दारी - स्त्री० पक्षपात, तरफदारी । जानी - वि० [फा०] जानका; जानसे संबंध रखनेवाला; गहरा । विoस्त्री० प्राणप्रिया, प्यारी । - दुश्मन पु० कट्टर शत्रु, जान लेने को तैयार रहनेवाला शत्रु । जानु - अ० दे० 'जानो' । पु० [सं०] घुटना ।-पाणि- अ० घुटनों और हाथ के पंजोंके बल, घुटुरुवन । - पानि * - अ० दे० 'जानुपाणि' |
जानू - पु० [फा०] घुटना; जाँघ । जानो। - अ० मानों, जैसे ।
जाप - पु० [सं०] जप; * जपमाला । जापक- वि० [सं०] जप करनेवाला | जापा - पु० सौरी |
जापानी - वि० जापानका । पु० जापानवासी । स्त्री० जापानकी भाषा ।
जापी (पिन) - वि० [सं०] जप करनेवाला |
ज़ाफ़रान - पु० [अ०] केसर |
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जाफरानी - वि० [अ०] केसरिया, केसर के रंगका । जाबा - पु० बैलके मुँह पर पहनानेकी रस्सीको जाली । ज़ाबिता - पु० [अ०] नियम, कायदा; दस्तूर व्यवहार, विधि, पद्धति । - (तए) दीवानी - पु० दीवानी अदालतोंकी कार्यविधि (कोड ऑव सिविल प्रोसियोर) |- (तए) फ़ौजदारी - पु० फौजदारी अदालतोंकी कार्यविधि (कोड ऑव क्रिमिनल प्रोसिडयोर) । जाब्ता - पु० दे० 'जाविता' । जाम - ५० पहर, याम; जामुन; [फा०] प्याला; शराबका ध्याला; खरासानका एक नगर । - ( मे ) जम, - जमशेद - go ईरान के बादशाह जमशेद के लिए वैज्ञानिकोंका बनाया हुआ प्याला । कहते हैं कि इसमें देखनेसे भविष्य में होनेवाली बातों या सारी दुनिया में होनेवाली बातोंका ज्ञान हो जाता था । - सिहत - पु० किसीकी स्वास्थ्य-कामना से पिया जानेवाला शराबका प्याला । मु०-चलनाशराबका दौर चलना, प्यालेपर प्याला पीते जाना । जामदग्न्य- पु० [सं०] जमदग्निके पुत्र, परशुराम । जामदानी - स्त्री० [फा०] कपड़ा रखनेका संदूक (जामा
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जानहार-जार
(दानी); चमड़े का संदूक; शीशे या अबरककी बनी संदूकची; एक महीन कपड़ा, बूटीदार अद्धी । जामन - पु० दूधको जमानेके लिए डाला जानेवाला दही या और कोई खट्टी चीज; जामुन । जामना * - अ० क्रि० दे० 'जमना' । जामनी-स्त्री० दे० 'यावनी' । जामवंत - पु० दे० 'जांबवान्' ।
जामा - पु० [फा०] कपड़ा, पहनावा, दूल्हे को पहनाया जानेवाला अँगरखा जिसका नीचेका घेरा पेशवाज जैसा होता है । - दार- पु० वह कर्मचारी जिसका काम कपड़ोंकी सँभाल हो । मु० - (मे) से बाहर होना - आपेमें न रहना, अति क्रुद्ध या प्रसन्न होना । जामाता (तृ) - पु - पु० [सं०] दामाद, कन्याका पति ।
जामुन - पु० एक खटमिट्ट । फल और उसका पेड़, जंबू । जामुनी - वि० जामुनके रंगका, स्याह । जाय* - अ० वि० व्यर्थ, बेकार । स्त्री० [फा०] जगह । जायका - पु० [अ०] स्वाद, मजा; रसग्रहणकी शक्ति; रसेंद्रिय । - (के) दार - वि० स्वादिष्ठ, मजेदार | जायचा - पु० [फा०] जन्मपत्री ।
जायज - वि० [अ०] उचित; विहित; मानने योग्य । जायजा - पु० [अ०] परख; जाँच-पड़ताल (देना, लेना) । जायदाद - स्त्री० [फा०] माल असबाब, संपत्ति, जगहजमीन ।
जायफल - पु० एक सुगंधित फल जो मसाले और दवा के रूप में काम में लाया जाता है, जातीफल । जायसी - पु० जायस (रायबरेली) का रहनेवाला; अवधी के सुप्रसिद्ध सूफी कवि मलिक मुहम्मद जायसी । वि० जायसका ।
जाया - वि० उत्पन्न किया हुआ । स्त्री० [सं०] विधिवत् ब्याही हुई स्त्री, पत्नी । -जीव- वि० पत्नीकी कमाई खानेवाला । पु० नट; नर्तक; वेश्याका पति । -धनवि० पत्नीहंता । पु० जन्मकुंडली में सातवें स्थानपर मंगल या राहुके होनेसे पड़नेवाला एक योग जिसका फल पत्नीका धात माना गया है; ऐसे योगवाला पुरुष; शरीरका तिल |
जाया - वि० [अ०] नष्ट, बरबाद, व्यर्थ (करना, होना) । जार-पु० जाल; [सं०] परस्त्रीसे प्रेम करनेवाला; उपपति, आशना । - कर्म (नू ) - पु० व्यभिचार । -, - जन्मा (न्मनू ), - जात - वि० जारसे उत्पन्न | पु० उपपतिसे उत्पन्न संतान । -ज योग- पु० फलित ज्योतिषका
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