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अटखट-अड़पना
२० अटखट*-वि० अंड-बंड; टूटा-फूटा (सामान)।
लेनेवाला बच्चा; वह खेत जो आठ महीने तक जोतकर अटखेली-स्त्री० दे० 'अठखेली' ।
बिना बोये छोड़ दिया गया हो। वि. आठ ही मासमें अटन-पु० [सं०] घूमना, चलना, भ्रमण ।
उत्पन्न होनेवाला । -वारा-पु० आठ दिनका समय । अटना-अ० क्रि० पूरा पड़ना; काफी होना; बीच में पड़कर । -वाली-स्त्री० आठ कहारोंसे चलनेवाली पालकी;
ओट करना; अटन करना, भ्रमण या यात्रा करना । सेंगरेसे उठानेके लिए भारी चीजमें बाँधा जानेवाला बाँसअटपट-वि० दे० 'अटपटा' । स्त्री० कठिनाई।
का टुकड़ा। -सिल्या*-पु० (?) सिंहासन । अटपटा-वि० टेढ़ा, कठिन; ऊटपटांग; अनोखा; *लड़- अठई*-स्त्री० अष्टमी। खड़ाता हुआ।
अठकरी-स्त्री० दे० 'अठवाली' । अटपटाना*-अ० कि० अटकना; घबराना; हिचकना; अठकौसल-पु० पंचायत; मंत्रणा, सलाह । लड़खड़ाना।
अठखेल-वि० शोख, 'चुलबुला, खिलाड़ी (अप्र०)। अटपटी*-स्त्री० नटखटपनः शरारत ।
-पन-पु. चुलबुलापन;, शोखी । अटब्बर*-पु० आडंवर; कुटुंब ।
अठखेली-स्त्री० किलोल, शोखी, चुलबुलापन; ठसकभरी अटल-वि० अचल, स्थिर, निश्चित, अवश्यंभावी, पक्का । या मस्तानी चाल । (प्रायः बहुवचनमें ही व्यवहृत । ) अटवाटी-खटवाटी-स्त्री० खाट-खटोला, बोरिया-बंधना। । मु०-(लियाँ) करना-किलोल करना, इतराकर,
मु० -लेकर पड़ना-रूठकर अलग जा बैठना । नाजके साथ चलना। अटवि, अटवी-स्त्री० [सं०] वन ।
अठत्तर-वि०, पु० दे० अठहत्तर' । अटहर-पु० देर; फेंटा; अड़चन ।
अठन्नी-स्त्री० आठ आनेका सिक्का । अटा-स्त्री० [हि०] अटारी* पु० अटाला, ढेर।
अठपाव-पु० शरारत, नटखटी। अटाउ*-पु० बिगाड़; शरारत !
अठलाना*-अ० कि० दे० 'इठलाना' । अटाट-वि० अनगिनत, बेशुमार ।
अठवना*-अ० क्रि० जमना, ठनना । अटारी-स्त्री० कोठा, अट्टालिका ।
अठहत्तर-वि० सत्तर और आठ । पु० ७८ की संख्या । अटाला-पु० ढेर, अंबार; असबाब; कसाइयोंकी बस्ती। अठाई -वि० उत्पाती; नटखट । अटूट-वि० न टूटनेवाला, दृढ़, मजबूत; अखंडित; न अठान-वि० न ठानने, न करने योग्य (काम); कठिन चुकनेवाला, बहुत, अपार; अजेय ।
(काम)। पु० वैर, विरोध । अटेरन-पु० सूतकी आँटी बनानेका यंत्र; कुश्तीका एक । अठाना*-स० क्रि० सताना ठानना; छेड़ना; जमाना । पेंचा घोड़ा फेरनेका चक्कर ।
अठारह-वि० दस और आठ । पु०१८ को संख्या। अटेरना-स० क्रि० सूतकी आँटी बनाना बहुत अधिक | अठासी-वि०, पु० दे० 'अट्ठासो'। शराब पीना।
अठिलाना*-अ० क्रि० दे० 'इठलाना'। अटोक*-वि० प्रतिबंध-हीन ।
अठोठ*-पु० ढोंग, आडंबर । अट्ट-वि० [सं०] ऊँचा, उच्च स्वरयुक्तः सूखा हुआ; निरं- अठोतर सी-वि० एक सौ आठ । तर । पु० कोठा, अटारी; महल; बुर्ज; अन्न; भात; हाट; अठोतरी-स्त्री० एक सौ आठ दानोंकी माला। रेशमी कपड़ा; वध, घायल करना; अतिशयता, प्राधान्य । अडंगा-पु० अटकाव, रोक, रुकावट, बाधा; कुश्तीका एक हसित-हास,-हास्य-पु० जोरकी हँसी; ठहाका। पेंच । -(गे)बाज़-पु० अड्गे लगानेवाला। अदृसट्ट-वि० अंडबंड, अगड़म-बगड़म । पु० निरर्थक वात। अडंड-वि० दे० 'अदंड्य' । अट्टालिका-स्त्री० [सं०] महल; पक्की इमारत; अटारी। अडंबर*-पु० दे० 'आडंबर' । अट्टी-स्त्री० सूत या ऊनका लच्छा।
अड़-स्त्री० टेक, हठ । अढा-पु० ताशका वह पत्ता जिसपर आठ बूटियाँ हों। अड़काना-स० क्रि० अड़ाना, टिकाना; उलझाना । अट्ठाइस,-ईस-वि० बीस और आठ । पु० २८की संख्या। अडग-वि० न डिगनेवाला, स्थिर । अट्टानबे-वि० नब्बे और आठ । पु० ९८ की संख्या । अड़गड़ा-पु० बैलगाड़ियोंके ठहरने या बैलों आदिके अट्ठारह-वि०, पु० दे० 'अठारह'।
बिकनेका स्थान । अट्ठावन-वि० पचास और आठ । पु० ५८ की संख्या। अड़गोड़ा-पु० नटखट चौपायोंके गले में बाँधी जानेवाली अढासी-वि० अस्सी और आठ । पु० ८८ की संख्या । एक लकड़ी जो तेज दौड़नेमें बाधक होती है। अठंग*पु० अष्टांग योगकी साधना करनेवाला ।
अड़चन(ल)-स्त्री० रुकावट, बाधा । भठ-पु० आठका समासमें प्रयुक्त रूप । -पतिया-स्त्री० | अड़तल-पु० ओट; बहाना; आश्रयः छाया । एक तरहकी नक्काशी।-पहला-वि० आठ पहलोंवाला, अडतालिस,-तालीस-वि० चालीस और आठ। पु० जिसमें आठ पार्श्व हों। -पृष्ठी, -पेजी-वि० ४८ की संख्या। (आक्टेवो) (छपी हुई पुस्तक या फार्मका वह आकार) अडतीस-वि० तीस और आठ । पु० ३८ की संख्या। जिसमें एक ही तरफ छपे एक कागजमें आठ पृष्ठ किये गये अड़दार-वि० अड़नेवाला; मस्त (हाथी)। हों। -मासा-पु० दे० अठवाँसा । -वासा-पु० गर्भके अडना-अ० क्रि० रुकना, अटकाना; हठ करना। आठवें महीने होनेवाला संस्कार; आठ ही मासमें जन्म अपना-स० कि० डाँटना-डपटना ।
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