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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २० जजर । जयिष्णु-जल २७४ स्त्री० जय दिलानेवाली । ज़रा-वि० [अ०] थोड़ा, तनिक । अ० तनिक, थोड़ी देरके जयिष्णु-वि० [सं०] जयशील; सदा जीतनेवाला । लिए। जयी (यिन)-वि० [सं०] जीतनेवाला, जयशील । । जराउ*-वि० दे० 'जड़ाऊ'। जयोल्लास-पु० [सं०] विजयका उल्लास, जीतकी खुशी।। जरातुर-वि० [सं०] जराग्रस्त, बूढ़ा । जर-वि० [सं०] वृद्ध; क्षीण । पु० जरा विनाश; * जल; जराना*-स० कि० जलाना; ईर्ष्या उत्पन्न करना । ज्वर; दे० 'जर'। * स्त्री० जड़, हैसियत, औकात । ज़राफत-स्त्री० [अ०] हँसोड़पन; हँसी-मजाक ।-पसंद-वारा*-वि० पैसेवाला, धनी। वि० परिहास-प्रिय, हँसोड़ । ज़र-पु० [फा०] सोना; धन, दौलत । -अस्ल-पु० मूल जराफ़ा-पु० [अ०] दे० 'जिराफा' । धन । -कश-पु० कलाबत्तके तार खींचनेवाला। वि० जराय, जराव*-वि० जड़ाऊ । पु० पच्चीकारी। (कपड़ा) जिसपर जरी या कलाबत्तका काम हो।-कस,- जरायम-पेशा-वि० अपराध करनेवाला, जुर्म करनेवाला । कसी*-वि० दे० 'जरकश' । -खरीद-वि० रुपया जरायु-पु० [सं०] वह झिल्ली जिसमें लिपटा हुआ बच्चा देकर खरीदा हुआ, क्रीत (गुलाम, जमीन); जिसपर पूर्ण माँके गर्भसे बाहर आता है, खेड़ी; गर्भाशय । -ज-पु० स्वामित्व प्राप्त हो। -खेज़-वि० उपजाऊ (जमीन)। वह प्राणी जो खेड़ीमें लिपटा हुआ पैदा हो या जिसका -तार-वि० जिसपर जरीका काम हो। पु० जरी । जन्म गर्भाशयमें हो, पिंडज ।-मूल-पु० (प्लेसेंटा) जरायु-तारी-वि० दे० 'जरतार' । स्त्री० जरीका काम । का वह ऊपरवाला हिस्सा जो गर्भाशयसे चिपटा रहता है -दार-वि० धनी, मालदार । -दोज़ी-स्त्री० कलाबत्त । और जो बच्चेका जन्म हो जानेके बाद बाहर निकलता है, या सलमे-सितारेका काम । -बाफ्री-वि० कलाबत्तके पुरइन, अपरा। कामका । स्त्री० जरदोजी। जरिया*-पु० दे० 'जड़िया' । जरई-स्त्री० धान, जौ आदिका भिगोकर या मिट्टी में गाड़ ज़रिया-पु० दे० 'ज़रीया' । कर उगाया हुआ अखुआ; धानके अॅखुआये हुए बीज ।। जरी*-स्त्री० दे० 'जड़ी' । जरकटी-पु० एक शिकारी पक्षी। ज़री-स्त्री० [फा०] चाँदीका तार जिसपर सोनेका पानी जरछार-वि• जो जलकर राख हो गया हो। चढ़ाया गया हो; ताश नामका कपड़ा। -का कामजरजर-वि० दे० 'जर्जर'। कलाबत्तू या सलमे-सितारेका काम । जरठ-वि० [सं०] कठोर, ककेश; बूढ़ा; जीर्ण; झुका हुआ। जरीब-स्त्री० [अ०] लाठी, डंडा जमीन नापनेकी जंजीर जरठाई*-स्त्री० बुढ़ापा। जो ५५ या ६० गजकी होती है। जरतुश्त-पु. प्राचीन पारसी धर्मके प्रवर्तक और जंद- जरीया-पु० [अ०] लगाव, वसीला, साधन । अवेस्ताके रचयिता। | ज़रूर-वि० [अ०] आवश्यक, अवश्य-करणीय, जरूरी। जरत्-वि० [सं०] बूढ़ा; जीर्ण । पु० बूढ़ा आदमी ।-कारु- अ० अवश्य, बेशक । -जरूर-अ० अवश्यमेव । पु० एक मुनि जिन्होंने वासुकि नागकी बहन मनसा देवीसे जरूरत-स्त्री० [अ०] आवश्यकता, हाजत । ब्याह किया था। ज़रूरतन्-अ० [अ०] आवश्यकतावश । जरद-वि० दे० 'ज़र्द' । ज़रूरियात-स्त्री० [अ०] किसी वस्तु या कार्यके लिए आव. ज़रदा-पु० [फा०] केसर देकर पकाये हुए मीठे चावल; श्यक वस्तुएँ, क्रियाएँ ।मु०-से फ़ारिग़ होना-शौचादिपानके साथ खानेके लिए विशेष विधिसे बनायी हुई सुगं- - से निवृत्त होना। धित सरती; पीले रंगका घोड़ा; पीली आँखोंवाला कबूतर । जरूरी-वि० [अ० आवश्यक, जिसके बिना काम न चले। -फरोश-पु० जरदा बेचनेवाला । जरौट*-वि० जड़ाऊ । जरदी-स्त्री० दे० 'ज़दी। ज़र्क-बर्क-वि० [अ०] चमक-दमकवाला, भड़कदार। स्त्री० जरन*-स्त्री० दे० 'जलन'। चमक-दमक, ठाट-बाट । जरना*-अ० क्रि० दे० 'जलना' । सक्रि० दे० 'जड़ना' ।। | जर्जर-वि० [सं०] जीर्ण; टूटा-फूटा क्षत; पीड़ित । -तिक जी जरनि*-स्त्री० दे० 'जलन'। जरित-वि० [सं०] जो जीर्ण, जर्जर होगया हो; अभिभूत। जरब-स्त्री० [अ०] चोट; मार, आघात; थाप; ठप्पा; गुणाजर्द-वि० [फा०] पीला। (ग०); तोपका दगना, बाढ़ । -ख़ाना-पु० टकसाल । जर्दा-पु० दे० 'जरदा'। जरबीला-वि० भड़कीला, चमक-दमकवाला। ज़र्दी-स्त्री० [फा०] पीलापन । जरमन-वि० [अं०] जरमनीका। पु० जरमनीका निवासी। जर्रा-पु० [अ०] अण, वह कण जो सूर्य-प्रकाशमें उड़ता स्त्री० जरमनीकी भाषा ।-सिलवर-पु० जस्ते, ताँबे और दिखाई देता है, त्रसरेणु । -मर्रा-अ० तिल-तिल; कणनिकलकी मिलावटसे बनी एक धातु ।। कण । -भर-वि० तिलभर, तनिकसा । जरा-स्त्री० [सं०] बुढ़ापा; बुढ़ापेसे पैदा हुई कमजोरी। जर्राह-पु० [अ०] चीर-फाड़, शल्यक्रिया करनेवाला । -अस्त-वि० बूढ़ा । -जीर्ण-वि० बुढ़ापेसे जिसके अंग जर्राही-स्त्री० [अ०] चीर-फाड़का काम । और इंद्रियाँ शिथिल हो गयी हो। -संध,-सुत-पु० जलंधर-पु० [सं०] एक असुर; एक ऋषि दे० जलोदर' । मगधका राजा जो कंसका ससुर था और युधिष्ठिरके राज-जल-पु० [सं०] पानी खस; पूर्वाषाढा नक्षत्र ।-कंटकसूय यज्ञके समय भीमके हाथों मारा गया । | पु० सिंघाड़ा; घड़ियाल । -कंड-पु० बराबर भीगा For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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