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चौसर की बिसात; चार दाँतोंकी पंक्ति; चार वस्तुएँ । चौका - पु० पत्थर की चौकोर सिल; भूमिका चौखूंटा टुकड़ा; रोटी बेलनेका चकला; चार चीजोंका समूह; आगे के चार दाँतों की पंक्ति हिंदूके खाना पकाने या खानेका स्थान; मिट्टी या गोबरका लेप; आटे आदिकी लकीरोंसे बना हुआ चौकोर चित्र; सीसफूल; ताशका वह पत्ता जिसपर चार बूटियाँ हों; फर्श पर बिछाने के काम आनेवाला एक तरहका कपड़ा । - बरतन - पु० रसोई में चौका लगाने और बरतन माँजनेका काम (करना, होना) । मु०लगाना - किसी स्थानको गोबर या मिट्टी से लीपना; चौपट, सत्यानास करना ।
चौकिया सुहागा- पु० चौकोर टुकड़ोंमें कटा हुआ सुहागा जो खानेकी दवा के तौरपर काम आता है । चौकी - स्त्री० लकड़ी या पत्थरका चार पायोंवाला, चौकोर आसन, छोटा तख्त; वह स्थान जहाँ पुलिस या सेनाके थोड़े से सिपाही रक्षा, निगरानी आदिके लिए रखे जायें; चु ंगी वसूल करनेवालोंके रहनेका स्थान; पहरा (बिठाना, बैठना ); रखवाली; पड़ाव, टिकान; गले में पहननेकी चौकोर पटरी; चकला; मंदिर में मंडपके खंभोंके बीचका स्थान; किसी देवी-देवताको चढ़ायी जानेवाली भेंट; जादू ; तेलके कोल्हू में लगनेवाली एक लकड़ी । - दार- पु० पहरा देनेवाला; गाँवमें पहरा देनेके लिए नियुक्त पुलिस कर्मचारी, 'गोडइत' । - दारी - स्त्री० चौकीदारका काम, रख वाली; चौकीदार रखनेके लिए लिया जानेवाला कर। मु० - भरना - पहरेकी ड्यूटी पूरी करना; किसी देवीदेवता, पीर-पैगंबर आदिकी भेंट- पूजाकी मनौती पूरी
करना ।
चौगान - पु० [फा०] गेंद्र - बल्लेका खेल जो पोलोसे मिलताजुलता है; चौगान खेलनेका बल्ला जो आगेकी ओर कुछ झुका हुआ होता है; नगाड़ा बजाने की लकड़ी; * चौगान खेलने का मैदान । - गाह-पु० चौगान खेलनेका मैदान । बाज़ - पु० चौगान खेलनेवाला ।
चौगानी - स्त्री० हुक्केकी निगाली । चौघड़ - पु० दे० 'चौभड़' । चौचंद - पु० बदनामी, अपवाद, झगड़ा स्त्री० जो दूसरोंकी निंदा, बदनामी करती फिरे । चौड़ा - वि० लंबाईके दोनों छोरोंके बीच विस्तृत, चकला, फराख ।
हाई - वि०
चौड़ाई - स्त्री॰ चौड़ापन, लंबाईके दोनों छोरोंके बीचका विस्तार, पाट |
चौड़ान - स्त्री० दे० 'चौड़ाई' ।
चौड़ाना - स० क्रि० चौड़ा करना । चौतरा* - पु० चबूतरा ।
atr - स्त्री० प्रत्येक पक्षकी चौथी तिथि, चतुर्थी; चौथाई; राजस्वका चतुर्थांश जो मराठे दूसरे राज्योंसे करके रूपमें लिया करते थे । * वि० चौथा । -का चाँद - पु० भाद्र शुक्ला चतुर्थी का चंद्रमा जिसके देखनेसे झूठा कलंक लगना माना जाता है। पन* - पु० दे० 'चौथापन' | चौथा - वि० जो क्रममें तीनके बाद, चारके स्थानपर हो । - पन - पु० बुढ़ापा, जीवनकी चौथी अवस्था ।
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चौक-चौरा
चौथाई - स्त्री० चौथा भाग, चतुर्थांश । चौथि* - स्त्री० दे० 'चौथ' । चौथिया -! - पु० चौथे दिन आनेवाला ज्वर; चौथाईका हकदार; अनाजकी एक नाप । चौथी - वि० 'चौथा' का स्त्रीलिंग रूप । स्त्री० विवाह के चौथे दिन दूल्हा-दुल्हन के कंगन खोलनेकी रीति; विवाहके चौथे दिन (या कुछ अधिक दिन बाद भी) कन्याके घरसे मिठाइयाँ, कपड़े आदि भेजे जानेकी रस्म; बँटाईकी वह रीति जिसमें जमींदार चौथाई और असामी तीन-चौथाई फसल लेता है । मु० - खेलना - ब्याह के चौथे दिन दूल्हे - दुल्हिनका एक दूसरेपर या दूल्हे और उसके छोटे भाइयोंका ससुराल जाकर सालियों आदिपर मेवे आदि फेंकना ।
चौधराई - स्त्री० चौधरीका पद या काम । चौधराना - पु० चौधराई; चौधरीका पुरस्कार चौधरानी - स्त्री० चौधरीकी पत्नी ।
चौधरी - पु० किसी जाति या समाजका मुखिया, सरदार; जाटों, कुर्मियों आदिकी पदवी । चौपतना, चौपरतना - स० क्रि० तह लगाना । चौबच्चा - पु० दे० 'चहबच्चा' । चौबाइन - स्त्री० चौबेकी स्त्री ।
चौबाछा - पु० मुगल शासन में लिया जानेवाला एक कर । चौबे- पु० ब्राह्मणोंकी एक उपजाति, चतुर्वेदी । चौभड़ - स्त्री० चौड़ा, चपटा दाँत जो आहारको कुचलनेका काम करता है ।
चौर - पु० [सं०] चोर । - कर्म (न्) -पु० चोरी | चौरठ, चौरठा-पु० दे० 'चौरेठा' । चौरसाई- स्त्री० चौरस करनेका काम या उजरत । चौरसाना - स० क्रि० चौरस करना । चौरा-पु० चबूतरा; चौपाल; वह चबूतरा या वेदी जिसपर किसी देवी, सती या प्रेत आदिकी स्थापना हुई हो; लोबिया ।
चौराई + - स्त्री० दे० 'चौलाई'; एक चिड़िया । चौरानबे, चौरानवे - वि० नब्बे और चार । पु०चौरानबेकी संख्या ९४ ।
चौरासी - वि० अस्सी और चार ! पु० चौरासीकी संख्या, ८४; चौरासी लाख योनि; एक तरहकी टाँकी; घुँघरुओंका गुच्छा । चौरी - स्त्री० छोटा चौरा; एक पेड़ ।
चौरेठा - पु० चावलका आटा; पानीसे पीसा हुआ चावल | चौर्य - पु० [सं०] चोरी, चोरका काम; छलछद्म; छिपाव । - वृत्ति - स्त्री० चोरीकी आदत या पेशा ।
चौर्योन्माद - पु० [सं०] ( क्लेप्टोमेनिया) चुरा लेने या छिपा रखनेकी दुष्प्रवृत्ति ।
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चौल - वि० [सं०] चूल - चूडा-संबंधी । पु० मुंडन, चूडाकर्म । चौलाई - स्त्री० एक पत्रशाक ।
चौवन- वि० पचास और चार । पु० चौवनकी संख्या, ५४ । चौवा - पु० दे० 'चौआ' ।
चौवालीस - वि० चालीस और चार । पु० चौवालीसकी संख्या, ४४ ।
चौहरा - वि० जिसमें चार तहें हों; चौगुना ।