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चुंधा-चुनट
२५० चुंधा-वि० छोटी आँखोंवाला; जिसकी दृष्टि क्षीण हो। चुचकारना-स० क्रि० दे० 'चुमकारना'। चुधियाना-अ० क्रि० चौधना ।
चुचकारी-स्त्री० दे० 'चुमकारी' । चुंबक-पु० [सं०] चुबन करनेवाला; कामुक; वह जो चुचाना-अ० कि० चूना, टपकना, रिसना । बहुतसे ग्रंथोंको जहाँ-तहाँसे पढ़कर, उलट-पुलटकर छोड़ दे, चुचुआना-अ० क्रि० चुचाना। किसीको पूरी तरह पढ़े-समझे नहीं; धूर्त; घड़ेके मुँहपर चुचुक-पु० [सं०] दे० 'चूचुक' । लगाया जानेवाला फंदा; वह धातु या पत्थर जो लोहेको चुचुकना-अ० क्रि० सूखकर सिकुड़ना। अपनी ओर खींचता है। -वृत्ति-स्त्री० ग्रंथोंको इधर
चुचुकारना*-स० क्रि० दे० 'चुमकारना'। उधर पढ़कर छोड़ देनेकी आदत ।
चुटकना-स० क्रि० चाबुक मारना; चुटकीसे तोड़ना। चुंबकत्व-पु० [सं०] चुंबकका गुण, आकर्षण ।
चुटकला-पु० दे० 'चुटकुला'। चुंबकीय-वि० [सं०] जिसमें चुबक या उसका गुण हो। चटका-पु० बड़ी चुटकी; चुटकीभर चीज। चुंबन-पु० [सं०] चूमनेकी क्रिया, बोसा; (ला०) छूना । चुटकी-स्त्री० किसी चीजको पकड़ने, उठाने आदिके लिए चुंबना*-स० क्रि० चूमना ।
अँगूठे और तर्जनी या बीचकी उँगलीको परस्पर सटाना; चंबित-वि० [सं०] चूमा हुआ; छुआ हुआ, स्पृष्ट । बीचकी उँगलीपर अंगूठेको दबाने और छटकानेसे होनेवाली चुंबी(बिन्)-वि० [सं०] चुंबन करनेवाला; छूनेवाला । आवाज भिक्षुकको दिया जानेवाला चुगलभर आटा आदि, चुअना-*अ० क्रि० दे० 'चूना' । वि० चूने, रिसनेवाला ।। भीख; अँगूठे और तर्जनीसे चमड़ेको पकड़कर दबाना या चुआई-स्त्री० चुआनेका काम; चुआनेकी मजदूरी । नाखून गड़ाना (काटना); कपड़ेमें रंग न चढ़ने देनेके लिए चुआना-स्त्री० नहर सोता; गड्ढा ।
दी गयी गाँठ; पेचकश; कागज आदिको पकड़ रखनेका चुआना-स० क्रि० टपकाना; भबकेसे अर्क खींचना * आला, 'विप'; पाँवकी उँगलियों में पहननेका एक गहना चुपड़ना।
दरीके तानेका सूत । -बजाते-अ० दमभर में, बातकी चुआव-पु० चुआनेकी क्रिया या भाव। ।
बातमें। -भर-वि० चुंगलभर, थोड़ासा । मु०-देनाचुकंदर-पु० [फा०] गाजर या शलजमकी शकलका एक | चुटकी बजाना; भीख देना । -बजाना-बीचकी उँगलीपर मूल जी साग-भाजीके रूपमें खाया जाता है और जिसके अँगूठेको दबा और छटकाकर आवाज निकालना। रससे चीनी भी बनती है।
-भरना-चुटकी काटना; चुटकी लेना।-माँगना-भीख चुक-पु० दे० 'चूक'।
माँगना ।-लगाना-चुटकीसे पकड़ना; मसलना; कपड़ेको चुकचुकाना-अ० कि० रिसकर बाहर आना, पसीजन।। दो उँगलियोंमें फँसाकर फाड़ना; (रुपया-पैसा चुरानेके चुकट*-पु० दे० 'चुकटा'।
लिए ) उँगलियोंसे जेब फाड़ना । -लेना-हँसी उड़ाना, चुकटा-पु० चुटकी; चुटकीभर वस्तु ।
व्यंग्य, तानाजनी करना । (चुटकियों)में-चुटकी बजाते, चुकता-वि० जो चुका दिया गया हो, अदा, बेबाक।
दमभरमें। -में उड़ाना-बातकी बातमें कर डालना; चुकना-अ० क्रि० समाप्त होना, बाकी न रहना; निबटना, । खेल समझना।
तै होना; अदा, बेबाक होना; * चूकना, खाली जाना। चटकला-पु० छोटीसी, पर मनोरंजक उक्ति, लतीफा, चकवाना-स० क्रि० अदा कराना; दिलवाना।
अनूठी बात; छोटासा, सस्ता पर काम करनेवाला नुस्खा, चुकाई-स्त्री० चुकता होनेका भाव ।
दवा। मु०-छोड़ना-मनोरंजक, कुतूहलजनक बात कहना। चुकाना-स० क्रि० अदा करना, चुकता करना; निबटाना, चुटिया-स्त्री० सिरके बीचोबीच छोड़ रखे हुए लंबे बाल, ते करना। * अ० क्रि० चूकना-'तेउ न पाइ अस समय । चोटी, शिखा। चुकाहीं'-रामा०।
चुटियाना-स० क्रि०चुटीला करना । चुक्कड़-पु० पुरवा, कुल्हड़ ।
चुटीला-वि० जो चोट खाये हो, घायल, जख्मी; चोट चुक्रिका-स्त्री० [सं०] नोनिया; इमली।
करनेवाला; चोटीका, सबसे बढ़िया । पु० छोटी चोटी । चुखानाt-स० क्रि० चखाना; गायके पेन्हानेके लिए चटकी*-स्त्री० दे० 'चुटकी। दुहते समय बछड़ेको दूध पिलाना ।
चुटैल-वि० चोट खाया हुआ, जख्मी; चोट करनेवाला। चुग़द-पु० [फा०] उल्लूकी एक छोटी किस्म; मूर्ख व्यक्ति। | चुडिहारा-पु० चूड़ियाँ बनाने, बेचने, पहनानेवाला।। चुगना-स० क्रि०चिड़ियोंका चोंचसे चुन-चुनकर दाना खाना। चुडैल-स्त्री० भूतनी, डायन; काली, कुरूप स्त्री; कर चुगल-पु०दे० 'चुगल' । -खोर-पु० दे० 'चुगलखोर'।। स्वभाववाली स्त्री। चुगली-स्त्री० परोक्षों की हुई निंदा, बुराई (खाना)। चुन-पु० चूर, पूर्ण (लोहचुन); आटा, चुगनेकी चीज। चुगा-पु० चिड़ियोंके चुगनेके लिए डाली गयी चीज चनचुना-वि० चुनचुनाहट पैदा करनेवाला, लगनेवाला; दे० 'चोगा।
चिड़चिड़ा । पु० मलाशयमें पैदा होनेवाला सफेद, सूत चुगाई-स्त्री० चुगनेकी क्रिया या भाव; चुगानेकी क्रिया। जैसा कीड़ा जो मलके साथ निकलता है, चुन्ना।। चुगाना-स० कि. चिड़ियोंको दाना खिलाना ।
चनचनाना-अ० कि० जलनके साथ खुजली पैदा होना च.गुल-पु० [फा०] पीठ पीछे निंदा-बुराई करनेवाला, | या चुभना, लगना; (बच्चोंका) ठिनकना।। चुगली खानेवाला । -खोर-पु० चुगली खानेवाला, पीठ चनचनाहट-स्त्री० जलनके साथ होनेवाली खुजली। पीछे निदा-बुराई करनेवाला।-खोरी-स्त्री०चुगलीखाना। चनट(त)-स्त्री० कपड़े, कागज आदिमें दाबसे पड़नेवाली
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