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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चिरकना-चींटी वि० बहुत दिनों तक याद रखने लायक । चिलड़ा। - पु० एक पकवान, उलटा, चीला | चिरकना - अ० क्रि० थोड़ासा पाखाना करना; कई बार चिलता- पु० [फा०] एक तरहका कवच । थोड़ा-थोड़ा पाखाना करना । चिरकुट - पु० बहुत फटा हुआ कपड़ा, चिथड़ा । चिरचना * - अ० क्रि० क्रुद्ध होना, चिड़चिड़ाना । चिरचिटा - पु० चिचड़ा । चिरना - अ० क्रि० फटना; सीधा कट जाना । चिरम, चिरमि* - स्त्री० धुँधची । चिरमिटी * - स्त्री० घुंघची । चिरवाई - स्त्री० चिरवानेका काम या उजरत । चिरवाना - स० क्रि० चीरनेका काम दूसरेसे कराना । चिरहँदा - पु० चिड़ीमार । चिराई - स्त्री० चीरनेकी क्रिया; चीरनेकी मजदूरी। चिराक* - पु० दे० 'चिराग' । चिराग़- पु० [फा०] पु० दिया, दीपक, लंप; (ला०) बेटा । - गुल - पु० (ब्लैक आउट) दे० 'अंधाकुप्प' । -जलेअ० दिया जलनेके समय, अँधेरा होनेपर । -दानपु० दीवट, दीपाधार । बत्तीका वक्त दिया जलानेका वक्त, झुटपुटा । मु०का हँसना-चिरागसे फूल झड़ना । - गुल करना, ठंढा करना - दिया बुझाना। -गुल, पगड़ी गायब - निगाह झपते ही मालका गायब कर दिया जाना। - गुल होना - दिया बुझना । -तले अँधेरारखवालेके सामने चोरी; ज्ञानी, पंडित के घर में घोर मूर्खताका या अशास्त्रीय आचरण होना । - बदानादिया बुझाना | -बत्ती करना-दिया जलाना । लेकर हूँढ़ना - बहुत कोशिश से ढूँढ़ना, तलाश करना । चिराग़ी - स्त्री० [फा०] दिया-बत्तीका खर्च; मजारपर दी जानेवाली भेंट जो प्रायः चिरागके नीचे रख दी जाती है; किसी मजार पर दिया बत्ती करनेका खर्च । चिरातन* - वि० पुराना; फटा-पुराना । चिराना-स० क्रि० 'चिरवाना' । अ० क्रि० बीचसे चिर जाना - 'मकु गोहूँ कर हिया चिराना' - प० । * वि० पुराना, बहुत दिनोंका | चिरायँध - स्त्री० चमड़े, मांस आदिके जलनेकी दुर्गंध । चिरायता - पु० कड़वे स्वादका एक छोटा पौधा जो दवाकै काम आता है । चिरायु (स्) - वि० [सं०] बहुत दिन जीनेवाला, चिरजीवी । चिराव- पु० चीरनेका भाव; चीरनेका घाव, चीरा । चिरिया * - स्त्री० दे० 'चिड़िया' । चिरिहार* - पु० चिड़ीमार, बहेलिया । चिरी* - स्त्री० 'चिड़िया' । -खाना - पु० चिड़ियाघर । चिरौंजी - खी० पियालके बीजकी गिरी । चिरौरी - स्त्री० दीनतापूर्वक की जानेवाली प्रार्थना । चिलक- स्त्री० चमक, झलक; टीस; हिलने आदिसे एक बारगी होनेवाली तीव्र पीड़ा; रुक-रुककर होनेवाली पीड़ा । चिलकना - अ० क्रि० चमकना; चिलक मारना; टीसना । चिलकाना - स० क्रि० चमकाना; उज्ज्वल करना । चिलगोजा - पु० [फा०] एक मेवा जिसकी गिरी खायी जाती है । चिलचिलाना - अ० क्रि० चमकना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४८ चिलबिला (ला) - वि० चंचल, शरारती, नटखट । चिलम स्त्री० [फा०] मिट्टी या धातुका कटोरीनुमा पात्र जिसपर तंबाकू- गाँजा आदि रखकर पीते हैं । - चटवि० बहुत तंबाकू पीनेवाला ।-बरदार - पु० हुक्का पिलाने या लेकर साथ चलनेवाला नौकर । चिलमची - स्त्री० एक बरतन जिसका किनारा थाल जैसा और बीचका भाग देगची जैसा होता है और जो हाथमुँह धोने, कुली आदि करनेके काम आता है; हुक्केका वह भाग जिसपर चिलम रखी जाय । चिलमन - पु० [फा०] बाँसकी तीलियोंका पर्दा, चिक । चिलवाँस * - पु० चीलका मांस (जिसे खानेसे विक्षिप्त हो जानेकी बात कही जाती है); चिड़िया फँसानेका फंदा । चिलड़-पु० जूँ जैसा कीड़ा जो पसीना मरनेवाले गंदे कपड़ों में पड़ा करता है । चिल्लपों-स्त्री० चीख-पुकार, शोर-गुल । चिल्लवाना-स० क्रि० चिल्लानेको प्रेरित, विवश करना । चिल्ला - पु० धनुष्की डोरी, कमानकी ताँत; चीला; पगड़ीका छोर (जिसमें कलाबत्तूका काम रहता है); [फा०] चालीस दिनोंका काल; चालीस दिनोंका व्रत, अनुष्ठान; प्रसूताका चालीस दिनका स्नान ( मुसल० ) । मु० चिलेका जाड़ा-कड़ी सरदी । चिल्लाना-अ० क्रि० जोर से बोलना, चीखना, शोर करना । चिल्लाहट - स्त्री० चिल्लानेकी क्रिया, शोर, हल्ला; पुकार । चिलिका - स्त्री० [सं०] भ्रुकुटी; झींगुर; * वज्र, बिजली । चिल्ली- स्त्री० [सं०] झींगुर; * बिजली । चिल्ही* - स्त्री० चील । . चिवुक - पु० [सं०] ठुड्डी । चिक* - स्त्री० दे० 'चहक' | चिहकार* - स्त्री० चहचही । चिहुँकना - अ० क्रि० चौंकना । चिटना* - - स० क्रि० चुटकी काटना । अ०क्रि० लिपटना । चिहु (हु) टनी * - स्त्री० घुंघची । चिहुँटी* - स्त्री० चुटकी | चिर- पु० [सं०] दे० 'चिकुर' | चिह्न - पु० [सं०] लक्षण, पहचान, निशान, छाप (पदचिह्न); लकीर; पद आदिकी सूचक वस्तु; ध्वजा; लक्ष्य; निशानी । चिह्नांकन - पु० [सं०] [पंक्चुएशन) किसी रचना, वाक्य, प्रस्तर आदि में विराम चिह्न लगाना ( जहाँ आवश्यक हो वहाँ उन्हें लिख देना ) | चिह्नांकित - वि० [सं०] ( ग्रेजुएडेट) ( वह गिलास, आदि ) जिसपर नापके लिए चिह्न लगे हुए हों । चिह्नित - वि० [सं०] जिसपर चिह्न हो, चिह्नयुक्त, अंकित । चीं -स्त्री० छोटी चिड़ियों या चिड़ियोंके बच्चोंकी बारीक आवाज । - चपड़ - स्त्री० कार्य या शब्द द्वारा विरोधका प्रदर्शन । For Private and Personal Use Only चींटा - पु० ची टीसे मिलता-जुलता, पर उससे बड़े आकार का कीड़ा, चिउँटा । चींटी-स्त्री० एक छोटा कीड़ा जो मीठेकी गंधसे उसके पास
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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