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'चतुरानन-चपवाना
चतुरानन - ५० [सं०] ब्रह्मा । चतुरापन - पु० चतुराई ।
चतुराश्रम - पु० [सं०] ब्रह्मचर्य, गार्हस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास - इन चार आश्रमोंका समाहार । चतुर् - वि० [सं०] चार । पु० चारकी संख्या (इस रूपमें यह शब्द केवल समास में व्यवहृत होता है) । -गुणवि० चौगुना; जिसमें चार बंद या बंधन हों ( बदनपर पहनने का कपड़ा) । - दंत - वि० चार दाँतोंवाला । पु० ऐरावत हाथी । - दश (नू ) - - वि० चौदह; चौदहवाँ । पु० १४की संख्या । - दश भुवन - पु० भूः भुवः स्वः, महः, जनः तपः, सत्यं - ये सात स्वर्ग और अतल, सुतल, वितल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल - ये सात अधोलोक । - दश विद्या स्त्री० ४ वेद, ६ वेदांग और धर्मशास्त्र, पुराण, मीमांसा और तर्क (न्याय) - ये १४ विद्याएँ । -दशी - स्त्री० पक्षविशेषकी चौदहवीं तिथि । - दिक् (श्) - 1- अ० चारों ओर, चौखूँट । स्त्री० चारों दिशाएँ । - धाम (न्) - पु० हिंदुओंके चार मुख्य तीर्थ, चारों धाम । - भुज- वि० चार भुजाओंवाला । पु० वह समक्षेत्र जो चार सरल रेखाओंसे घिरा हो (क्वाड्रिलेटरल) चतुष्कोण क्षेत्र; विष्णु । - भुजी ( जिन्) - पु० वैष्णवोंका एक संप्रदाय इस संप्रदायका अनुयायी । वि० चतुर्भुज । - मास-पु० बरसातका चौमासा; आषाढ़की पूर्णिमा या शुक्ला १२ से कार्त्तिक शुका १२तकका काल । - मुख - वि० चार मुँहोंवाला । पु० ब्रह्मा । अ० चारों ओर । - युग - पु०, - युगी - स्त्री० चारों युगों- सत्य, त्रेता, द्वापर और कलियुगका समाहार, चौकड़ी । वक्त्रपु० ब्रह्मा । वि० चार मुहोंवाला । - वर्ग - पु० चारों पुरुषार्थ - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष । - वर्ण - पु० चारों वर्ण-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र । -- वेद-पु० चारों वेद; परमेश्वर । वि० चारों वेदों का ज्ञाता । - वेदी (दिन) - वि० चारों वेदोंका ज्ञाता । पु०ब्राह्मणोंकी एक उपजाति । चतुर्थ - वि० [सं०] चौथा ।
चतुर्थांश - पु० [सं०] चौथा भाग, चौथाई । चतुर्थाश्रम - पु० [सं०] संन्यास ।
चतुर्थी - स्त्री० [सं०] पक्ष-विशेषकी चौथी तिथि, संप्रदान कारक ( व्या० ) ।
चतुष्कल - वि० [सं०] चार कलाओं, मात्राओंवाला । चतुष्कोण - वि० [सं०] चार कोनोंवाला, चौकोर । चतुष्टय - पु० [सं०] चारकी संख्या; चार वस्तुओं, व्यक्तियों
का समाहार ।
चतुष्पथ - पु० [सं०] चौराहा; ब्राह्मण ।
चतुष्पद - वि० [सं०] चार पैरोंवाला । पु० चौपाया जानवर। चतुष्पदी - स्त्री० [सं०] चार चरणोंवाला पद्य; चौपाई छंद । चतुस्सम- पु० [सं०] एक औषध जिसमें लौंग, जीरा, अजवायन और हड़के सम भाग होते हैं; एक गंधद्रव्य जो कस्तूरी, चंदन, कुंकुम और कपूरके योगसे बनता है । चतुस्सीमा - स्त्री० [सं०] चौहद्दी । चत्वर - पु० [सं०] चौकोर स्थान; चौराहा; चबूतरा; यशके लिए साफ किया हुआ मैदान । चदरा - पु० दे० 'चादर' |
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चदरिया* - स्त्री० दे० 'चादर' | चद्दर - स्त्री० दे० 'चादर' | चनक* - पु० चना । चनकट* - स्त्री० चपत, तमाचा । चनकना। - अ० क्रि० चिटकना, दरकना; नाराज होना । चनखना । - अ० क्रि० चिढ़ना; चनकना । चनन* - पु० दे० 'चंदन' |
चनवर* - ५० ग्रास, कौर - 'आपने हाथ लै देत हैं चनवर दूध दही घृत सानि' - अष्ट० ।
चना- पु० चैती फसलका एक प्रधान अन्न जो कई रूपों में खाया जाता है, रहिला | खार-पु० चनेके डंठल, पत्तियों आदिको जलाकर निकाला हुआ खार। मु०नाकों चने चबवाना-खूब हैरान करना । लोहेका चना-बहुत कठिन काम । चनाब - स्त्री० पंजाबकी एक नदी, चंद्रभागा । चनार - पु० एक ऊँचा सुंदर पेड़ जो कश्मीर में बहुत होता है।
चपकन - स्त्री० एक तरहका अँगरखा; ताला लगानेका लोहे या पीतलका दोहरा साज । चपकना - अ० क्रि० दे० 'चिपकना' । चपकाना - स० क्रि० दे० 'चिपकाना' | चपटना। अ० क्रि० दे० 'चिपकना' | चपटrt - वि० दे० 'चिपटा' । चपटाना - स० चिपकाना, चिमटाना । चपटी* - स्त्री० ताली; चुटकी; एक कीड़ा, किलनी ; योनि । + वि० स्त्री० चिपटी । चपड़-चपड़ - स्त्री० दे० 'चभड़-चभड़’। चपड़ा - पु० साफ की हुई लाख; पत्तर; एक कीड़ा । चपत - स्त्री० तमाचा; धौल; धक्का, नुकसान । - बाज़ी - स्त्री० मनोविनोद के लिए किसीको चपत लगाना । मु०बैठना, - लगना-नुकसान होना ।
चपना -- अ० क्रि० दबना, कुचला जाना; दाबमें पड़ना; लज्जित होना ।
चपनी - स्त्री० कटोरी; दरियाई नारियलका कमंडलुः घुटनेकी हड्डी इंडीका ढक्कन
चपरगट्टू - वि० अभागा, विपद्ग्रस्त; गुत्थमगुत्था । परना - स० क्रि० दे० 'चुपड़ना '; सानना । चपरा- ५० दे० 'चपड़ा' ।
। चपरास-स्त्री० सिपाही, अरदली आदिका धातुनिर्मित चिह्न जिसे पेटी या परतलेमें लगाकर पहनते हैं । चपरासी - पु० चपरास धारण करनेवाला, अरदली । चपरि* - अ० झपटकर, फुरतीसे ।
चपल - वि० [सं०] चंचल, अस्थिर; तेज; जल्दबाज; अविचारी; क्षणिक ।
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चपलता - स्त्री० [सं०] चंचलता, अस्थिरता; तेजी; जल्दबाजी । चपला - स्त्री० [सं०] लक्ष्मी; बिजली; पुंश्चली स्त्री; जीभ । चपलाई * - स्त्री० चपलता ।
चपलाना * - अ० क्रि० हिलना, चलना । स०क्रि० चलाना, हिलाना ।
चपवाना-स० क्रि० दबवाना ।