SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 243
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चकवड़ - चटखना -मारना - चक्कर लगाना; भटकना । में आना - में पड़ना - हैरान होना, भौंचक होना; चालमें फँसना । चक्क * - वि, पु० दे० 'चक्रवर्ती | चक्कवत* - पु० चक्रवतीं राजा । चक्कत्रै* - वि०, पु० दे० 'चक्रवती' । चक्का - पु० पहिया; थक्का; ढेला; बड़ा, जमा हुआ टुकड़ा; गिनती के लिए क्रमसे लगाये हुए पत्थरों या ईटोंका ढेर । - ब्यूह - पु० चक्रव्यूह | चक्की - स्त्री० पत्थरका बना आटा पीसने या दाल दलनेका यंत्र, जाँता; घुटनेकी गोल हड्डी; ऊँटके बदनपरका गोल घट्टा | मु० - पीसना - चक्की चलाना; कड़ी मेहनत करना । चक्र - पु० [सं०] चाका, पहिया; तेल पेरनेका कोल्हू चक्की; पहिये के आकारका एक अस्त्र; भँवर; बवंडर; समूह; सेना; राज्य; सेनाका मंडलाकार व्यूहः एक समुद्र से दूसरे समुद्र तक फैला हुआ प्रदेश; रेखाओं से घिरे हुए खाने; ग्रामसमूह; भूमंडल; योगवर्णित देहके भीतरके ६ पद्म (मूलाधार, मणिपूर आदि); वृत्त, घेरा; हथेली, तलदेकी मंडलाकार रेखा; पक्षियोंका मंडलाकार उड़ना; भ्रमण, चक्कर (कालचक्र); वर्ष समूह; तगरका फूल; चित्रकाव्यका एक भेद; षड्यंत्र; छल; चकवा; एक वर्णवृत्त; * दिशा । - जीवक, -जीवी (विन्) - पु० कुम्हार । - घर - वि० चक्रधारण करनेवाला । पु० विष्णुः कृष्ण; राजा । -नाभि - स्त्री० चक्रकी नाभि, मध्य बिंदु । - नेमि-स्त्री० चक्रकी परिधि । - पाणि, - पानि * - पु० विष्णु । -मर्द, - मर्दक - पु० चकवड़ । - मुद्रा - स्त्री० तांत्रिक पूजनमें प्रयुक्त एक मुद्रा; शंख, चक्र आदिके चिह्न जो वैष्णव अपने शरीरपर छपाते हैं । यान- पु० पहियेसे चलनेवाला वाहन ( वेहिकल ) । लेखित्र - पु० (साइकोस्टाइल) लेखनीकी नोकपर लगे हुए छोटेसे चक्रसे लिखे गये विशेष प्रकारके कागजसे बहुत-सी प्रतियाँ छाप देनेवाली मशीन । -वर्ती (तिन) - वि० सार्वभौम । पु० सम्राट्, समुद्रपर्यंत पृथ्वीका अधिपति । - वाक-पु० चकवा -वात-पु० बवंडर, बगूला । - वृद्धि - स्त्री० वह ब्याज जिसमें संचित ब्याज भी मूलमें शामिल हो जाय, सूद-दर-सूद । - व्यूह - पु० चक्र के आकार में सेना की स्थापना । चांग-पु० [सं०] रथ, गाड़ी; चकवा; हंस; कुटकी । चक्रानुक्रमसे - अ० ( इन रोटेशन) चक्रकी तरह बारीबारीसे, एकके बाद दूसरेके समुचित अनुक्रमसे । चक्रायुध-पु० [सं०] विष्णु । चक्रित* - वि० दे० 'चकित' | चक्री (क्रिन्) - वि० [सं०] चक्रयुक्त; चक्रधारी; गोल | पु० चक्रवर्तीीं; कुम्हार; तेली; साँप; मुखबिर; षड्यंत्रकारी; विष्णु; शिव; मंडलाधीश, सम्राट् बाजीगर; चकवा; चकवड़ । चक्षु ( स ) - पु० [सं०] आँख; दृष्टि, देखनेकी शक्ति । चक्षुरिद्रिय - स्त्री० [सं०] आँख । चक्षुष्मान् ( मत्) - वि० [सं०] आँखवाला; सुलोचन । चख* - पु० आँख | चख - स्त्री० [फा०] झगड़ा, तकरार; वैर । - चख - स्त्री० झगड़ा, कहासुनी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३४ चखचौंध * - स्त्री० चकाचौंध । चखना- स० क्रि० स्वाद लेना, रसास्वादन करना । चखाचखी-स्त्री० विरोध, तनातनी; लाग-डाट । चखाना - स० क्रि० 'चखना' का प्रेरणार्थक । चखु * - पु० दे० 'चक्षु' । चखोड़ा * - पु० दिठौना | चगड़ा - वि० चंट, चालाक । चग़ताई - पु० [फा०] चंगेज खाँके बेटे चगताई खाँसे चला हुआ मंगोलवंश जिसमें बावर, अकबर आदि हिंदुस्तानके मुगल बादशाह हुए । चग़त्ता - पु० [तु०] दे० 'चराताई' । चचा- पु० बापका भाई । -जाद - वि० चचेरा । चचिया । - वि० चचेरा ( ससुर, सास ) । चचौड़ा - पु० दे० 'चिचिंडा' । चची - स्त्री० चचाकी स्त्री । चड़ा - पु० दे० 'चिचिंडा' । चचेरा - वि० चचासे उत्पन्न, चचाज़ाद | चचोड़ना - स० क्रि० दाँतोंसे दबाकर चूसना I चच्छु* - पु० दे० 'चक्षु' । चट-अ० झट, तुरत । पट-अ० झटपट, शीघ्र । चट - स्त्री० किसी चीजके टूटनेकी आवाज; उगलियाँ फोड़नेका शब्द | - चट-स्त्री० 'चट-चट' की आवाज । चट-स्त्री० चाटनेका भाव। वि० चाट-पोंछकर खाया हुआ । मु० - कर जाना - चाट - पोंछकर खा जाना; निगल जाना । चट -* पु० दाग, धब्बा, लांछन, कलंक; + पटसनका टाट । - कल - स्त्री० पटसनकी वस्तुएँ बनानेका कारखाना या मशीन । - शाला- स्त्री० बच्चोंकी पाठशाला । - सार* - साल - स्त्री० दे० 'चटशाला'; रंगभूमि । चटक - पु० [सं०] गौरवा । * वि० चटकीला; फुर्तीला; चटपटा । * अ० झटपट । स्त्री० [हिं०] चमक; रंगकी शोखी; भड़क; तेजी, फुरती; कलियोंके चटकनेकी क्रिया । - -दार - वि० चटकीला, शोख । -मटक- स्त्री० ठसक, नाजनखरा; सजधज । - वाह - वि० फुरतीला । चटकन - पु० तमाचा । चटकना - अ० क्रि० हलकी आवाजके साथ टूटना, फूटना, जलना; फटना; कलीका खिलना; कपास, सेमलकी बोड़ीका फटना; झुंझलाना; बिगाड़ होना । पु० तमाचा । चटकनी - स्त्री० किवाड़ बंद करनेकी कुंडी, सिटकिनी । चटकाना - स० क्रि० किसी नीजके चटकनेका कारण होना; 'चट' की आवाज पैदा करना; उँगलियाँ फोड़ना; तोड़ना; दूर करना; चिढ़ाना | मु० जूतियाँ चटकाना - मारा-मारा फिरना । चटकारा - वि० चटकीला; चपल । पु० दे० ' चटखारा' | चटकारी* - स्त्री० चुटकी । चटकाली - स्त्री० [सं०] गौरैयोंकी पंक्तिः चिड़ियोंका झुंड । चटकाहट - स्त्री० चटकनेका भाव; कलियोंके खिलनेकी For Private and Personal Use Only आवाज । चटकीला - वि० चटकदार, चमकीला, शोख; चटपटा । चटकोरा* - पु० बच्चों का एक खिलौना । चटखना - अ० क्रि०, ५० दे० 'चटकना ' I
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy