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घुटना-घूघट घुटना-अ० क्रि० घोंटा जाना; पीसा जाना; घुल-मिल घुमरना-अ0 क्रि० दे० 'घुमड़ना'; गड़गड़ाना, बहुत जाना, एक हो जानारगड़से चिकना होना; (सिर) मूंडा जोरसे बजना। जाना; साँस रुकना, अटकना । मु० घुट-घुटकर मरना घुमराना-अ० क्रि० दे० 'घुमरना' । -घुल-घुलकर, असह्य कष्ट सहते हुए मरना । घुटा घुमरी। -स्त्री० दे० 'घुमड़ी'; पानीका भँवर; पशुओंका एक हुआ-मुँडा हुआ; बहुत चालाक, काइयाँ। .
रोग, घुमनी। घुटना-पु० जाँघ और टाँगके बीचका जोड़ । म०- घुमाना-सक्रि०फिराना, चक्कर देना मोड़ना ऐठना । टेकना-घुटने जमीनसे लगानाअधीनता स्वीकार करना, । घुमाव-पु० घूमने, घुमानेका भाव; चक्कर, फेरा; रास्तेका पराजय स्वीकार कर लेना। -(नी)के बल चलना- मोड़ । -दार-वि० पेचदार, चकरदार । बच्चेका वैयाँ-बयाँ चलना। -में सिर देना-सोचमें | घुम्मरना*-अ० क्रि० दे० 'घुमरना'। बैटना, चिंतित, उदास होना; लज्जित होना। -से घुरकना*-स० क्रि० दे० 'घुड़कना'। लगकर बैठना-हरदम पास रहना, सटे रहना। घुर-घुर-पु० गलेमें कफसंचय होनेसे साँस लेनेमें निकलनेघुटना-पु० घुटनेतकका पाजामा, निकर ।
वाली आवाज; बिल्ली, सुअर आदिके गलेकी आवाज । घुट(टु)रू-पु० घुटना ।।
घुरघुराना-अ० क्रि० गलेसे 'घुर-धुर' आवाज निकालना । घुटवाना-स० क्रि०पिसवाना; रगड़वाना सिर मुंडाना। घुरघुराहट-स्त्री० घुर-धुर आवाज निकालनेकी क्रिया घुटाई-स्त्री० धोंटनेकी क्रिया या भाव; घोंटनेकी उजरत । | या भाव। घुटाना-स० कि० 'घोंटने का प्रेरणार्थक ।
घरना*-अ० कि० बजना-'घुरत निसान मृदंग संख धुनि घुटी*-स्त्री० दे० 'धुट्टी'; घूट ।
भेरि झाँझ सहनाई'-सू० दे० 'घुलना' । घुटुरुअ(व)न, घुटुरुन-अ० घुटनोंके बल (चलना)। घुरबिनिया-स्त्री० घूरपर फेंके हुए दाने या सड़क-गलीमें घुट्टी-स्त्री० शिशुको पिलायी जानेवाली रेचक-पाचक दवा। टूटी-फूटी चीजें इकट्टी करना; पु० यह काम करनेवाला । घुड़-पु० 'घोड़ा'का समासमें व्यवहृत रूप । -चढा-वि० | घुमित*-वि० दे० 'घूर्णित'। घोड़सवार । पु० घोड़सवारीका एक स्वाँग । -चढ़ी-स्त्री०
घलनशीलता-स्त्री० (साल्यूबिलिटी) किसी द्रव पदार्थमें ब्याहकी एक रीति,वरका घोड़ेपर चढ़कर वधुके घर जाना किसी स्थूल (या अन्य द्रव) पदार्थके घुलमिल जानेका गुण । देहाती या छोटे-मोटे बाजार में रहनेवाली वेश्या जो प्रायः घुलना-अ० कि किसी तरल वस्तुमें हल हो जाना, गलजाड़ेके दिनोंमें घोड़ेपर चढ़कर गाँव-गाँव घूमकर नावती
कर मिल जाना, गलना; पिघलना, पककर नरम होना; गाती है; घुड़नाल । -दौड़-स्त्री० घोड़ोंकी दौड़ घोड़ोंकी (रोगादिसे) सूखना, क्षीण होना; व्यतीत होना। मु० वह दौड़ जो शर्त या बाजी बदकर की जाय; उछल-कूद ।
घुलकर काँटा होना-बहुत दुबला हो जाना । घुल-नाल-स्त्री० धोड़ेपर ढोयी जानेवाली हलकी तोप । घुलकर जान देना, मरना-रोग-शोकसे क्रमशः छीजकर, -सवार-पु० अश्वारोही । -सार-साल-स्त्री० सूखकर, बहुत दिनोंतक कष्ट उठाकर मरना। हल-मिलअस्तबल, अश्वशाला ।
कर-प्यार, मुहब्बतके साथ, हिल-मिलकर । घुला हुआघुड़कना-स० कि० धमकीके स्वर में डॉटना, डपटना। खूब पका हुआ पिलपिला; बूढ़ा। घुड़की-स्त्री० घुड़कनेको क्रिया या भाव; धमकी भरी डाँट । | धुलवाना-स० कि० 'घुलाना' या 'घोलना'का प्रेरणार्थक । घुड़ला-पु० छोटा घोड़ा; घोड़ेकी शकलका खिलौना ।। धुलाना-स० क्रि० गलाना, पिघलाना; पिलपिला करना घुड़िया-स्त्री० दे० 'घोड़िया'।।
चुभलाना; (सुरमा, काजल) लगाना, रचाना; बिताना। घुणाक्षर-पु० [सं०] धुनोंके खानेसे लकड़ीमें या दीमकके |घुलावट-स्त्री० नरमी, पिलपिलापन काजल, सुरमेकी शोभा। चाटनेसे पुस्तक में बनी हुई लकीर । -न्याय-पु० किसी घुल्य-पु० (साल्यूट) वह स्थूल (या द्रव) पदार्थ जो किसी बातका बिना प्रयत्नके, संयोगवशात हो जाना।
द्रव पदार्थ में डालनेसे उसमें बिलकुल घुलमिल जाय, जैसे धुन-पु० अनाज, लकड़ी आदिमें लगनेवाला छोटा कीड़ा। नमक जो पानी में डालनेसे घुल जाता है । मु०-झड़ना-घुन लगी हुई लकड़ीके चूरका छन-छनकर घुवा-पु० दे० 'घूआ'। गिरना । -लगना-अनाज आदिका घुन द्वारा खाया घसना-अ० कि० भीतर जाना, दाखिल होना; बलपूर्वक जाना ऐसा रोग लगना जोभीतर-भीतर देहको खा जाय । प्रवेश करना; फँसना; किसी काममें दखल देना; दूर हो घुनघुना-पु० लकड़ी, टीन आदिका बजनेवाला खिलौना। जाना; ध्यान देना । [घुस-पैठ-स्त्री० पहुँच, रसाई ।] घुनना-अ० क्रि० लकड़ी, अनाज आदिको घुन लगना। घुसवाना-सक्रि० घुसानेका काम कराना। घुमा-वि० चुप्पा, अपने मनके भावोंको गुप्त रखनेवाला। घुसाना-सक्रि० भीतर पहुँचाना, दाखिल करना; धंसाना। घुमकड़-वि० बहुत घूमनेवाला, सैरसपाटेका शौकीन । घुसेड़ना-स० कि० भीतर पहुँचाना; फँसाना ढूँसना । धुमटा-पु० सिरका चक्कर ।
घुघट-पु० साड़ी, दुपट्टे या चादरका किनारा जो स्त्री धुमड़ना-अ० क्रि० बादलोंका इधर-उधरसे आकर जमा लज्जावश परदेके लिए मुँहपर खींच लेती है, अवगुंठन; होना, छाना।
बाहरी दरवाजेके पीछेकी दीवार जो आँगनके परदे के लिए घुमड़ाना*-अ० क्रि० दे० 'धुमड़ना' ।
बनायी जाती है, गुलाम-गदिश; घोड़ेकी आँखपर डालनेका घुमड़ी-स्त्री० सिरका चकर खाना; चक्कर; परिक्रमा। परदा, अँधेरी । मु०-उठाना,-उलटना-मुँह खोलनेके घुमनी --स्त्री० पशुओंका एक रोग; घुमड़ी।
| लिए घूघटको ऊपर उठाना, परदा हटाना। -करना,
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