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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गदहरा-गम्य २०२ गदहरा*-पु० गधा; गद्दा । करना, बकवास करना । -लड़ाना-गपशप करना। गदहिला-पु. वह गधा जिसपर ईट आदि लादते हैं। गपकना-स० क्रि० निगल लेना, शटसे खा लेना; * झूठ गदा-स्त्री० [सं०] लोहेका बना एक पुराना हथियार जिसके | कहना।। एक सिरेपर नोकदार बड़ा लट्ठ लगा होता था, गुर्ज; | गपड़चीथ-पु० गड़बड़, गोलमाल; बेकारकी बकवास, डंडेमें पहनाया हुआ पत्थरका गोला जिसे मुद्गरकी तरह गप । वि० ऊटपटाँग, अंडबंड । भाँजते है ।-धर-वि० गदा धारण करनेवाला। पु० विष्णु। गपना*-स० क्रि० गप मारना । गदाई-स्त्री० [फा०] भिक्षावृत्ति । । वि० तुच्छ, निकम्मा।| गपिया-वि० गप मारनेवाला। गदेला-पु० गद्दा; * लड़का, बालक-'फिरे मुलकमें मुगल-गपिहा*-वि० गप्पी । गदेले'-छत्र। गपोड़, गपोडिया-वि० गप भारनेवाला। गदाद-वि० [सं०] हर्ष, प्रेम आदिके अतिरेकसे जिसका गपोड़ेबाज़ी-स्त्री० झूठी बकवास । गला भर आया हो, जिसके मुँहसे स्पष्ट शब्द न निकलते गप्प-स्त्री० दे० 'गप'। हों, पुलकित; आनंदित । गप्पी-वि० गप हाँकनेवाला। गहा-पु० भारी, मोटा तोशका टाटकी बनी मोटी गद्दी। गफ-वि० ठस, घना (बुना हुआ), 'शीना'का उलटा। गद्दी-स्त्री० छोटा गद्दा जिसपर दुकानदार, साहूकार बैठता ग़फ़लत-स्त्री० [अ०] भूल; असावधानता, बेखबरी । है; अधिक सम्मानित व्यक्तिके बैठनेके लिए लगाया हुआ गफिलाई*-स्त्री० गफलत । आसन; राजा, मठाधीश आदिका पद: कई तह किया | ग़फ़र-वि० [अ०] क्षमा करनेवाला, दयालु । हुआ कपड़ा जो पाव आदिपर रखते है ।-नशीनी-स्त्री० गबडी*, गबडी-स्त्री० कबड़ी। गद्दीपर बैठना । मु०-चलना-वंशपरंपरा या शिष्यपरं-ग़बन-पु० [अ०] अमानतकी रकम खा जाना, खयानत । पराका जारी रहना ।-पर बैठना-राजगद्दीपर बैठना। | गबरा*-वि० धनी हठी-'धनी भये निधन, निधन भये गद्य-पु० [सं०] वह रचना जो छंदोबद्ध न हो, वातिक, गवरे'-कको० दे० 'गब्बर'।। पद्यका उलटा । -काव्य-पु० गद्यमें की गयी काव्यके | गबरू-वि० नौजवान, जिसकी रेख भिन रही हो; भोलागुणोंसे युक्त रचना। भाल।।+ पु० दूल्हा । गधा-पु० घोड़ेकी जाति का एक चौपाया जो अधिकतर बोझ गब्बर-वि० घमंडी; मट्टर, सुस्त हठी; धनी । लादनेके लिए पाला जाता है, खर, रासभ। वि० नासमझ, गभस्तिमान(मत्)-वि० [सं०] चमकवाला । पु० सूर्य । मूर्ख, अहमक (ला०)। -पन-पु० मूर्खता, नासमझी। गभीर-वि० [सं०] दे० 'गंभीर' । मु० गधेको बाप बनाना-काम निकालनेके लिए मूर्खकी गभआ(वार-वि० पेटका, पैदाइशी (केश); जिसका खुशामद करना । पर चढ़ाना-जलील,बेइज्जत करना । दाना जलालाबइज्जत करना। मुडन न हुआ हो; छोटा (बालक) । गन*-पु० दे० 'गण' । -नायक,-प,-पति-पु० दे० 'गणनायक', 'गणपति' । -राय-पु० गणेश । ग़म-पु० [अ०] दुःख, शोक चिंता, परवा । -खोर,गनक*-पु० दे० 'गणक'। स्वार-वि० दुःख बटानेवाला, हमदर्द सहनशील । गनगनाना-अ० त्रि. जाड़ेसे काँपना; रोमांच होना । -स्वारी-स्त्री० मददी; सहनशीलता। -गीनगनगौर-स्त्री० चैत-शुक्ला तृतीया। वि०खिन्न, उदास । -नाक-वि० दुःखभरा; दुःखद । गनती*-स्त्री० गिनती। मु०-खाना-क्षमा करना, सह लेना; दूसरेके दुःखसे गनना*-स० क्रि० गिनना । स्त्री० दे० 'गणना'। दुःखी होना। गनाना*-स० क्रि० दे० 'गिनाना'। अ० बि.० गिना | गमक-स्त्री० वास, महक; गूंजनेकीसी आवाज। वि० जाना। [सं०] बोधक, सूचक । पु० गानेमें एक श्रुतिसे दूसरी गनाल*-स्त्री० एक तरहकी तोप । श्रति पर जानेकी एक रीति ।। गनिका*-स्त्री० दे० 'गणिका' । गमकना -अ० क्रि० महँकना; गूंजनेकीसी आवाज होना। गनियारी-स्त्री० एक झाड़ जिसकी लकड़ी रगड़नेसे आग गमन-पु० [सं०] जाना; पास जाना; चढ़ाई, विजययात्रा निकलती है, छोटी अरनी। करना; संभोग करना। ग़नीम-पु० [अ०] डाकू, लुटेरा; दुश्मन । गमनना*-अ० क्रि० जाना। गनीमत-स्त्री० [अ०] लूटका माल; मुफ्तका माल; बड़ी गमना*-अ० क्रि० जाना; चलना; दे० 'गमिना' । बात; संतोष करने योग्य बात । गमनागमन-पु० [सं०] आना-जाना, यातायात । गन्ना-पु० ईख । गमला-पु० बालटी जैसा मिट्टीका बरतन जिसमें फूलों के गप-पु० निगलने, गपकने की क्रिया या उसका शब्द । पौधे लगाये जाते हैं। कमोड । स्त्री० इधर-उधर की बातें, निष्प्रयोजन बाते; मन- गमाना*-स० क्रि० दे० 'गँवाना' । बहलावके लिए की जानेवाली बात-चीत; झूठी बात; झूठी गमार*-वि०, पु० दे० 'गँवार' । खबर: डींग। -शप-स्त्री० इधर-उधरकी बातचीत, मन-गमिना*-अ० क्रि० राम करना, ध्यान देना। बहलावकी बातचीत । मु०-उड़ना-झूठी खबर फैलना। ग़मी-स्त्री० [अ०] मृत्युशोक, मातम मृत्यु । -मारना, हाँकना-डींग भारना; लंबी-चौड़ी बातें गम्य-वि० [सं०] जाने योग्य; जिसके पास जाया जा For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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