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गगनापगा-गट्टा -चुंबी भवन-पु० (स्काई स्कपर) बहुत ऊँचा मकान देहपर डाल लेता है)। जो आकाशको छूता हुआ-सा जान पड़े, अभ्रंकष । | गज़-पु० [फा०] लंबाईका एक मान, १६ गिरह, ३६ इंच; -पति-पु० इंद्र। -भेदी- (दिन)-वि० आकाशका सारंगी आदि बजानेकी कमानी; लोहेका छड़ या छड़ भेदन करनेवाला, बहुत ऊँचा, प्रचंड ।-विहारी(रिन जैसी लकड़ी जिससे बंदूक भरी जाती है। एक तरहका वि० आकाशमें विचरण करनेवाला । पु० प्रकाशपिंड, सूर्य; तीर । -इलाही-पु० अकबरी गज जो ४१ इंचका देवता ।
होता है। गगनापगा-स्त्री० [सं] आकाशगंगा ।
गज़क-पु० [फा०] वह चटपटी चीज जो शराबके साथ गगरा-पु० ताँबे, पीतल या लोहेका बना धड़ा, कलसा । या शराब पीनेके बाद तुरत खायी जाय, चाट; तिलगगरिया*-स्त्री० दे० 'गगरी' ।
शकरी; कलेवा । गगरी-स्त्री० मिट्टीका घड़ा; छोटा गगरा।
गज़ट-पु० [अं०] सरकारी अखबार , वह सामयिक पत्र गच-स्त्री० किसी नरम चीज में कड़ी-पैनी चीजके धंसने, जिसमें सरकारी सूचनाएँ प्रकाशित हों; समाचारपत्र । घुसनेकी आवाज; पक्का फर्शः पक्की छत; छत बनानेका ग़ज़नवी-पु० [फा०] गजनीका रहनेवाला; एक तुर्क वंश । मसाला । -कारी-स्त्री० पक्की छत या फर्श बनाना । गजना*-अ० क्रि० गर्जन करना ।
-गर-पु० गच बनानेवाला ।-गोरी*-स्त्री० गचकारी। ग़ज़ब-पु० [अ०] क्रोध; विपत्, आफत; अंधेर, जुल्म । गचना*-स० क्रि० गाँसना हँसकर भरना।
-का-वि० अतिशय, बेहद; बहुत बड़ा; अद्भुत, गचाका-पु० गचसे गिरनेकी आवाज । स्त्री० जवान स्त्री। विलक्षण । मु०-टूटना,-पड़ना-भारी विपत्तिमें आ गच्छना*-अ० क्रि० जाना।
पड़ना । - ढाना-आफत करना, जुल्म करना । गछना*-अ० क्रि० जाना । स० क्रि० निवाहना; अपने गजबीला*-वि० गजब करने, गजब ढानेवाला । ऊपर लेना; गूंथना-'हरवा गछत भइल साँझ रे'- गजर-पु० पहर-पहर बजनेवाला घंटा; भोरका घंटा; ग्रामगी०; बनाना।
जगानेकी घंटी। -दम-अ० तड़के, पौ फटते । गजंद(दा)*-पु० दे० 'गजेंद्र'।
गजरभत्ता,-भात-पु० गाजरके साथ पकाया हुआ भात । गज-पु०[सं०] हाथी; आटकी संख्या; लंबाईकी एक माप, गजरा-पु० फूलोंकी धनी गुथी हुई माला, हार; कलाईपर ३० अंगुल; गजासुर, ८ दिग्गजोंमेंसे एक; नीव, पुश्ता। पहननेका एक गहना; एक रेशमी कपड़ा। -असन*-पु० दे० 'गजाशन' । -कंद-पु० एक | ग़ज़ल-स्त्री० [अ०] फारसी-उर्दू में मुक्तक काव्यका एक भेद वनौषधि, हस्तिकंद । -कर्ण-पु० एक यक्षा दद्र रोग । जिसका प्रधान विषय प्रेम होता है; उर्दू का एक तरह-भ-पु० हाथीके मस्तकका उभरा हुआ भाग। का पद्य । -गति-स्त्री० हाथीकीसी मंद, गौरवभरी चाल; एक! गजा*-पु० नगाड़ा बनानेका डंडा । वर्णवृत्त ।-गामिनी-वि०,स्त्री० हाथीकीसी मंद, गौरवभरी गजानन-पु० [सं०] गणेश । चालवाली। -गाह*-पु० हाथीपर डाली जानेवाली गजायुर्वेद-पु० [सं०] हस्ति-चिकित्सा-शास्त्र। झूल, पाखर । -गौन* -पु० गजगमन । -गौनी- गजारि-पु० [सं०] शिव सिंह; एक विशेष वृक्ष । वि० स्त्री० गजगामिनी । -चर्म(न्)-पु० हाथीकी | गजाशन-पु० [सं०] पीपल; कमलकी जड़ । खाल; एक चर्मरोग। -दल-पु० हाथीका दाँत; गणेश; | गजी-स्त्री० [सं०] हथिनी। कपड़े टाँगनेके लिए दीवारमें गाड़ी हुई खूटी; एक | गजी-पु० हाथका बुना मोटा कपड़ा, गाढ़ा। तरहका घोड़ा; दाँतपर निकला हुआ दाँत; नृत्यका एक गजेंद्र-पु० [मं०] बड़ा हाथी, गजराज; ऐरावत; इंद्रद्युम्न भाव । -दंती-वि० [हिं०] हाथीदाँतका बना हुआ। नामक राजा जो अगस्त्यके शापसे हाथी हो गया और -दान-पु० हाथीका दान; हाथीके गंडस्थलसे बहनेवाला ग्राहग्रस्त होनेपर भगवान्को याद कर शापमुक्त हुआ। मद । -नाल-स्त्री० भारी तोप जिसे पहले हाथी खींचते गज्जूह-पु० हाथियोंका झुंड, गजयूथ । थे। -नासा-स्त्री० हाथीकी सूई। -पति-पु० हाथी गझिना-वि० धना, गाढ़ा । रखनेवाला; विशालकाय, गिल्लेका सरदार हाथी; विजय- गटकना-स० क्रि० निगलना, उदरस्थ करना; हड़पना। नगरके राजाओंकी उपाधि । -पाल-पु. हाथीवान, गटगट-अ० गटगटकी आवाजके साथ, जल्दी-जल्दी; महावत । -पिप्पली-स्त्री० गजपीपल । -पीप(रोल- लगातार (पीना, निगलना)। स्त्री० गटगटकी आवाज । स्त्री० [हिं०] एक पौधा जिसकी मंजरी दवाके काम आती गटना*-अ० क्रि० बँधना, जकड़ जाना। है। -बदन*-पु० गणेश। -मणि-पु० गजमुक्ता। गटपट-स्त्री० दो या अधिक वस्तुओं, व्यक्तियोंका बिलकुल -मद-पु० गजदान । -मुक्ता-स्त्री० कविसमय-सिद्ध मिल-जुल जाना; सहवास । मोती जिसका हाथीके मस्तकसे निकलना माना जाता है। गटरमाला-स्त्री० बड़े दानोंकी माला । -मुख,-वक्त्र,-वदन-पु० गणेश । -मौक्तिक-पु० गटागट-अ० दे० 'गटगट' । गजमुक्ता । -यूथ-पु० हाथियोंका झुंड । -राज-पु० | गटापारचा-पु० एक तरहका गाद । बहुत बड़ा हाथी, गजेंद्र । -वान-पु० [हिं०] महावत । गटी-स्त्री० गाँठ; समूह ।। -शाला-स्त्री० फीलखाना । -स्नान-पु० हाथीका गहा-पु० कलाई; धुट्टी, टखना; नैचेकी गाँठ जो फरशीके नहाना; निरर्थक कार्य ( हाथी नहानेके बाद कीचड़, धूल मुंहपर रहती है; गाँठ; बीज (कमलगट्टा); एक मिठाई ।
१३-क
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