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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खटापटी-खता १८४ काम लेना। सहायक होना; चुनावमें उम्मेदवार होना। खटापटी-स्त्री० झगड़ा, विरोध, अनबन । खड़ाऊँ-स्त्री० काठकी बनी खूटीदार, खुली पादुका । खटास-स्त्री० खट्टापन, तुशी । पु० गंधबिलाव, खट्टाश। | खड़ाका-पु० खड़कनेका शब्द । खटिक-पु०फल, तरकारी आदि बेचनेवाली एक हिंदू जाति । खड़ानन*-पु० कात्तिकेय । खटिका-स्त्री० [सं०] खड़िया मिट्टी कानका छेद । खड़िका-स्त्री० [सं०] खड़िया मिट्टी। खटिया-स्त्री० छोटी चारपाई । खड़िया-स्त्री० सफेद, मुलायम मिट्टी या एक तरहके चूनेका खटीक-पु० तरकारी बेचनेका काम करनेवाली एक हिं पत्थर जो लिखने और सफेदी आदिके काममें आता है। जाति; * कसाई। खड़ी-स्त्री० खड़िया मिट्टी। वि० स्त्री० दे० 'खड़ा'। खटोलना*-पु० दे० 'खटोला'। -चढ़ाई-स्त्री० सीधी, बहुत कम ढालवाली चढ़ाई । खटोला-पु० छोटी खाट; बुंदेलखंडके अंतर्गत एक प्रदेश ।। -तैराकी-स्त्री० खड़े रहकर, केवल पाँव चलाते हुए खट्टा-वि० जिसमें खटास हो, तुर्श, अम्ल । मु०- तैरना। -पाई-स्त्री० सीधी, छोटी रेखा; मात्राएँ खाना-नीचा देखना; विफल होना; दिल फिर जाना। लिखने में अक्षरके आगे या पीछे बनायी जानेवाली सीधी (जी)-होना-अप्रसन्न होना। लकीर; पूर्ण विरामका चिह्न । -बोली-स्त्री० दिल्लीखट्वांग-पु० [सं०] पाया जड़ी हुई पाटी जो शिवका मेरठ प्रदेशकी बोली जो आधुनिक हिंदीका मान्य रूप है। अस्त्र बतायी जाती है। प्रायश्चित्त करते समय भिक्षा -लकीर-स्त्री० लंबके रूपमें सीधी लकीर । -सवारीम.गनेका पात्र । -धर-पु० शिव । अ० तुरत, खड़े-खड़े (रुखसत करना)।-हुंडी-स्त्री० वह खटवा-स्त्री० [सं०] खाट, चारपाई झूला। हुंडी जिसका रुपया चुकाया न गया हो। मु०-पछाड़ें खञ्जा -पु० ईटोंकी खड़ी जोड़ाई ।। खाना-खड़े हो-होकर गिर पड़ना, पछाड़ें खाना । खड़कना-अ० कि.० 'खड़-खड़की आवाज होना; सूखे -सवारी आना-तुरत लौट जानेको तैयार होना। पत्तोंके परस्पर टकराने या दबनेकी आवाज होना, खाँड़े-खड़े-खड़े-अ० खड़ा रहते हुए; ( देरतक) खड़ा रहनेसे; तलवारके बक्तर आदिपर गिरनेकी आवाज होना; खटकना। | जल्दी, तुरत; थोड़ी देर, कुछ क्षणके लिए। खड़काना-स० कि० खटकाना । खड़ेघाट-अ० तुरत । मु०-धोना-घाटपर ही कपड़ा लेकर खडक्किका, खडक्की-स्त्री० [सं०] खिड़की। बिना भट्ठी दिये धो देना; कुछ घंटोंमें ही कपड़ा धो देना। खड़खड़ाना-अ० कि०'खड़-खड़'आवाज होना, निकलना। खड्ग-पु० [सं०] तलवारकी शकका एक प्राचीन अस्त्र, स० कि० किसी चीजको पीट, बजाकर खड़-खड़ आवाज खाँड़ा; तलवार; लोहा। गैंडेका सींग गैंड़ा।-कोश(ष)पैदा करना, खटखटाना। पु० खड्ग या तलवारका म्यान । -धर-वि०, पु०तलवार खड़खड़ाहट-स्त्री० खड़-खड़की आवाज; खड़खड़ आवाज धारण करनेवाला। -पुत्रिका-स्त्री० कटार। -फलहोना। पु० खगकी धार । -हस्त-वि० जिसके हाथमें खड्ग, खड़खड़िया-स्त्री० एक तरहकी (पटिया) पालकी; घोड़ोंको तलवार हो; मारनेको उद्यत । शिक्षा देनेके काम आनेवाली एक प्रकार की गाड़ी। खड्गी (गिन् )-वि० [सं०] खड्गधारी । पु० गैड़ा; शिव। . खड़ग-पु० दे० 'खग'। खडु-पु० गड्ढा । खड़गी-वि० खड्गधारी । पु० गैंड़ा। खड्डा-पु० दे० 'खड्डे' । खड़जी-पु० गैड़ा। खत*-पु०क्षत, घाव । -खोट-स्त्री० खुरंड, सूखते हुए खड़बड़-स्त्री० पत्थर, धातु आदिकी चीजोंके टकराने, घावके ऊपर जमी पपड़ी। गिरने आदिकी आवाज; गड़बड़, गोलमाल; खलबली। | खत(त्त)-पु० [अ०] लकीर, रेखा; चिह्न लिखावट पत्र, खड़बड़ाना-अ० क्रि० घबराना; क्रम बिगड़ जाना; अस्त- | चिट्ठी; लेख, तहरीर; नयी उगती दाढ़ी-मूंछोंके रोयें जैसे व्यस्त हो जाना । स० क्रि० खड़बड़ करना; क्रम उलट- बाल, रेख; सूरत-शकल, हुलिया। -किताबत-स्त्री० पुलट देना। पत्र-व्यवहार, चिट्ठी-पत्री। खड़बड़ाहट-स्त्री० खड़बड़ी। खतना-पु० [अ०] मुसलमान बच्चे के लिंगके अगले खड़बड़ी-स्त्री० बेतरतीबी; खलबली; घबराहट । हिस्सेकी त्वचा काट देनेकी रस्म या संस्कार, सुन्नत । खड़मंडल-पु० गड़बड़, गोलमोल । खतम-वि० [अ०] दे० 'खत्म'। खड़ा-वि० सीधा ऊपरको उठा हुआ, लंबरूप पाँवोंके खतमी-स्त्री० एक पौधा जिसकी जड़ और बीज दवाके सहारे स्थित, स्थिर, ठहरा हुआ; रुका हुआ तैयार; उप- | काम आते हैं। स्थित; उद्यत; बाकी; मौजूद; कच्चा, अपक्का जारी; जो खतर, खतरा-पु० [अ०] डर, भय, आशंका; जोखिम । काटा न गया हो, खेतमें मौजूद (खड़ी फसल ); समूचा, -(र)नाक-वि० खतरेवाला, खतरेसे भरा हुआ। साबित; प्रतीक्षामें ठहरा हुआ। -खेत-पु० वह खेत भयजनक । जिसमें फसल मौजूद हो। मु०-करना-तैयार करना | खतरानी-स्त्री० खत्री स्त्री। बनाना; ढाँचा बनाना; कच्ची सिलाई करना; गाड़ना खतरेटा-पु० खत्रीका बेटा; खत्री। (खंभा आदि); चुनाबमें ( मेंबरी आदिका) उम्मेदवार | खता*-पु० क्षत, घाव + फोड़ा। बनाना । -होना-तैयार होना; बनना ढाँचा बननाखता-स्त्री० [अ०] चूक दोष, अपराध; धोखा-'जाहु जनि For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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