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कीकट - पु० [सं०] मगध देश; घोड़ा ।
कीकना - अ० क्रि० 'की की' की आवाज के साथ चीखना । कीकर- पु० बबूलका पेड़ ।
कीच - स्त्री० पंक, कीचड़ ।
कीचक - पु० [सं०] पोला बाँस ।
कीचड़ - पु० पैरों में चिपकनेवाली गीली मिट्टी, पंक; आँखसे निकलनेवाला मैल |
कीट - पु० जमा हुआ मैल। [सं०] कीड़ा; -नाशक - पु० ( इनसेक्टिसाइड) कीटाणुओंको नष्ट करनेवाली दवा । - विज्ञान - पु० (एंटोमॉलॉजी ) कीड़े-मकोड़ोंकी उत्पत्ति, स्वरूप, विशेषताओं आदिका विवेचन करनेवाला विज्ञान। कीटाणु - पु० [सं०] वे छोटे-छोटे कीड़े जो अनेक रोगोंके मूल कारण माने जाते हैं ।
कीड़ा - पु० रेंगने या उड़नेवाले क्षुद्र जंतु, कीट ( भिड़, गुबरैला, खटमल आदि ); किसी चीजके सड़नेसे पैदा होनेवाले क्षुद्र कोट, कृमि; साँप थोड़े दिनका बच्चा । मु० - पढ़ना - ( किसी चीज में ) सड़ने से कीड़ा पैद हो जाना । लगना - कीड़ोंका किसी चीज ( कपड़ा, किताब आदि ) को खा जाना या उसमें घर करना । कीड़ी - स्त्री० छोटा और बारीक कीड़ा; चींटी । कीदॐ * * - अ० दे० 'किधौं ' ।
कीनखाब- पु० दे० 'कमख्वाब' |
कीनना। - स० क्रि० खरीदना, क्रय करना । कीना - पु० [फा०] द्व ेष, वैर, । कीप-स्त्री० अर्क, तेल आदिको आसानी से बोतल में ढालनेके लिए काम में लायी जानेवाली धातु आदिकी चोंगी। -स्तंभ - पु० ( फनेल स्टैंड ) वह स्तंभ जैसा आला जिसमें कीप फँसायी जाती है ।
कीमत- स्त्री० [अ०] मूल्य, दामः गुणः योग्यता | कीमती - वि० [अ०] बहुमूल्य, दामी |
कीमा पु० [अ०] छोटे-छोटे टुकड़ों में कटा हुआ मांस । कीमिया - स्त्री० [अ०] रसायन-विद्या; सोने-चाँदी बनानेकी विद्या; अकसीर रसायन; कार्य साधक युक्ति । -गर साज़ - पु० रसायनविद्, सोना-चाँदी बनानेवाला; कारंधमी । - गरी - स्त्री० सोना चाँदी बनाना । कीर - पु० [सं०] तोता; मांस; कश्मीर देश; * व्याधा; सर्प । कीरति * - स्त्री० दे० 'कीति' ।
कीरी - स्त्री० दे० 'कोड़ी' ।
कीर्ण - वि० [सं०] बिखरा हुआ; ढका हुआ; धृत । कीर्तन - पु० [सं०] कीर्ति-वर्णन, यशोगान राम, कृष्ण आदिकी कथा गाते बजाते हुए कहना । - कार - पु० कीर्तन करनेवाला ।
कीर्तनिया - पु० कीर्तन करनेवाला | कीर्ति स्त्री० [सं०] यशः ख्याति, नामवरी; दीप्ति । -शाली (लिन् ) - वि० [सं०] यशस्वी, नामवर - शेष - वि० जिसकी कीर्तिमात्र इस दुनियामें रह गयी हो, नामशेष, मृत । -स्तंभ - पु० (किसी के) स्मारकरूपमें बनाया गया स्तंभ |
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कीकट - कुंड
गहना, लौंग, मुँहासे, फुंसी आदिको दबाने से निकलनेवाली कड़ी पीब; चक्की के बीचोबीच गड़ी खूँटी; खूँटी; वह खूँटी जिसपर चाक घूमता है। -काँटा पु० औजार, साज समान, हरबा - हथियार ।
कीलक- पु० [सं०] खूँटी; यंत्रका मध्य भाग; अन्य मंत्रका प्रभाव नष्ट कर देनेवाला मंत्र ।
कीलना - स० क्रि० कील ठोंकना, खूंटी गाड़ना; तोपकी नली में सामने की ओर से लकड़ी ठोंक देना; बाँधना; मंत्रको प्रभावहीन कर देना; साँपको मंत्र प्रभाव से हिलने-डोलने से असमर्थ कर देना; वश में करना ।
कीला - पु० बड़ी खूँटी; जाँतेका खूँटा; चाककी खूँटी; मूढगर्भ । कीलाल- पु० [सं०] देवताओंका अमृत जैसा एक पेय; मधुः पशुः जल; सीना; रुधिर । कीलित - वि० [ सं ] कीला हुआ; बद्ध; निरुद्ध । कीली - स्त्री० खूँटी; धुरा; कुश्तीका एक दाँव । कीश- पु० [सं०] बंदर । -केतु,- ध्वज-पु० अर्जुन । कीस * - पु० बंदर |
कीसा - पु० [फा०] जेब, खरीता, थैली ।
कुँअर - पु० कुमार, लड़का; राजकुमार । विरास* - पु० दे० 'कुँअरविलास' । - विलास-पु० एक तरहका बढ़िया धान या चावल ।
कुँअरि * - स्त्री० कुमारी; राजकुमारी । कुँअरेटा * - पु० छोटा बालक । कुँआ - पु० दे० 'कुआँ' । कुँआरा - पु० अविवाहित व्यक्ति । कुँआरी - स्त्री० कुमारी, अविवाहिता कन्या । कुँइयाँ+ - स्त्री० छोटा कुँआ ।
कुँई' - स्त्री० दे० 'कुई' |
कुंकुम - पु० [सं०] केसर; रोली; कुंकुमा । कुकुमा - पु० लाखका पोला गोला जिसमें गुलाल भरकर मारते हैं ।
कुंज - पु० [सं०] लता आदिसे घिरा या ढका हुआ स्थान; हाथीका दाँत दाँत नीचेका जबड़ा; गुफा । -कुटीरपु० लतागृह । - गली - स्त्री० [ हि० ] लताओंसे ढका हुआ पथ; तंग गली ।
कुंजक * - पु० अंतःपुर में जा सकनेवाला डेवढ़ीदार, कंचुकी । कुँजड़ा - पु० एक जाति जो तरकारी बेचनेका धंधा करती है । कुंजर- पु० [सं० ] हाथी; पीपल; बाल; आठकी संख्या । वि० [श्रेष्ठ ( कपिकुंजर ) ।
कुंजराराति, कुंजरारि - पु० [सं०] सिंह; शरभ । कुंजरी - स्त्री० [सं०] हथिनी । कुंजल- पु० [सं०] काँजी; * हाथी । कुंजित - वि० कूजित ।
कुंजी - स्त्री० ताली; अर्थ खोलनेवाली पुस्तक ।
कुंठ- वि० [सं० ] भोथरा; मंदबुद्धि; सुस्त कमजोर । कुंठित - वि० [सं०] कुंद या भोथरा किया हुआ; मूर्ख ।
कीर्तिमान् ( मत्) - वि० [सं०] दे० 'कीर्तिशाली' । कील - स्त्री० छायाघड़ीका काँटा; नाकमें पहननेका एक | कुंड -- पु० [सं०] पानी रखनेका कुंडा; मटका; छोटा
कुंचन-पु० [सं०] सिकुड़ना, सिमटना; टेढ़ा होना । कुंचित-वि० [सं०] सिकुड़ा हुआ; टेढ़ा, घुँघराले । कुंची * - स्त्री० कुंजी ।
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