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ऋणादि चुका देना । उन्हानि* - स्त्री० बराबरी । उन्हारि* - स्त्री० दे० ' उनहारि' ।
उपंग * - पु० एक तरहका बाजा; उद्धवके पिता । उपंत* - वि० उत्पन्न |
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उप-उप० [सं०] यह शब्दोंके पूर्व आकर समीपता (उप नयन, उपकूल), आरंभ ( उपक्रम ), सामर्थ्य (उपकार), छुटाई, गौणता ( उपमंत्री, उपपुराण) इत्यादिका द्योतन करता है ।
उपकर - पु० [सं०] ( सेस ) एक तरहका छोटा कर जो विविध वस्तुओं पर विभिन्न स्थितियों में लगाया जाता है । उपकरण - पु० [सं०] उपकार करना; साधन; औजार; सामग्री; राजाओं के छत्र, चँवर आदि । उपकरना * - स० क्रि० उपकार करना । उपकर्ता () - वि० [सं०] उपकार करनेवाला | उपकल्पना - स्त्री० [सं०] ( हाइपोथेसिस ) कोई बात सिद्ध करने के लिए पहले से ही कुछ मान लेना, जो बात प्रमाणित की जा सकती हो या जिसके सत्य होनेकी संभावना हो उसकी कल्पना पहलेसे कर लेना । उपकार - पु० [सं०] भलाई; हित-साधन; सहायता; लाभ ।
[ - मानना - एहसान मानना; कृतज्ञता प्रकाश करना।] उपकारक - वि० [सं०] भलाई करनेवाला; लाभदायक । उपकारी (रिन्) - वि० [सं०] उपकारक; लाभदायक । उपकुलपति - पु० [सं०] (प्रो वाइस चांसलर) किसी विश्वविद्यालयका वह अधिकारी जो कुलपतिका मातहत होता है और जो व्यवस्था संबंधी तथा अन्य कायोंमें उसकी सहायता करता है।
उपकृत - वि० [सं०] जिसका उपकार किया गया हो,
एहसानमंद |
उपकंठ - वि० [सं०] पास, समीप । पु० सामीप्य; ग्रामकी सीमा के भीतरका स्थान ।
उपकथा - स्त्री० [सं०] छोटी कहानी | उपकनिष्ठिका - स्त्री० [सं०] कानी उँगली के पासकी उँगली, उपचर्या - स्त्री० [सं०] सेवा; उपचार, इलाज । अनामिका ।
उपकृति - स्त्री० [सं०] उपकार, भलाई ।
उपक्रम - पु० [सं०] निकट जाना; आरंभ; लेख या भाषणका उठान, प्रस्तावना; योजना; साहस । - और जननिर्देश- - पु० ( इनीशियेटिव एंड रेफरेंडम ) कोई विधि या अधिनियम बनानेके लिए जनता द्वारा स्वयं उपक्रमण किया जाना तथा किसी महत्त्वपूर्ण प्रश्नके संबंध में समस्त जनताका मत लिया जाना - जनताका वास्तविक मत जाननेके ये दो उपाय ।
उपक्रमणिका - स्त्री० [सं०] प्रस्तावना; विषय-सूची । उपक्रमी (मिन) - पु० [सं०] (एण्टरप्रेन्यूर) किसी कारखाने या उद्योगका वास्तविक नियंत्रण करनेवाला व्यक्ति । उपक्षेप - पु० [सं०] किसीकी ओर फेंकना; चर्चा; संकेत;
आक्षेप; अभिनयके आरंभ में कथावस्तुका संक्षेपमें कथन । उपखंड - पु० [सं०] (विधानकी) किसी धारा या उपधाराके खंडका कोई विभाग ( सबक्लॉज ) । उपखान* - पु० दे० 'उपाख्यान' |
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उन्हानि - उपदिशा
उपगत- वि० [सं०] पास आया या गया हुआ; घटितः प्राप्त; जाना हुआ; स्वीकृत; प्रतिज्ञातः गत; मृत । उपगति - स्त्री० [सं०] जानना; प्राप्ति; अंगीकार करना । उपगार* - पु० दे० 'उपकार' |
उपगारी* - वि० दे० 'उपकारी' ।
उपग्रह - पु० [सं०] बड़े ग्रहकी परिक्रमा करनेवाला छोटा ग्रह; गिरफ्तारी; कैद; कैदी; पराजय । -संधि-स्त्री० विजेताको सब कुछ देकर की जानेवाली संधि ।
उपघात - पु० [सं०] आघात; नाश; इंद्रियोंकी असमर्थताः आक्रमण; रोग; पाप ।
उपचय - पु० [सं०] इकट्ठा होना; चयन; वृद्धि; उन्नति; लग्नसे तीसरा, छठा, दसवाँ या ग्यारहवाँ स्थान ।
उपचार - पु० [सं०] सेवा; इलाज, चिकित्सा; विधान; पूजानुष्ठान; पूजाके अंग या द्रव्य ( षोडशोपचार पूजा); शिष्टाचार; चापलूसी; रस्मी व्यवहार । उपचारक - वि० [सं०] इलाज करनेवाला; सेवा, टहल करनेवाला; विधान करनेवाला । उपचारना* - स० क्रि० व्यवहार करना; विधान करना । उपचारी (रि) - वि० [सं०] दे० 'उपचारक' | उपचेतना - स्त्री० [सं०] अर्द्ध चेतनावस्था |
उपज - स्त्री० उत्पत्ति, पैदावार; सूझ; मनगढ़ंत बात; गाने में कोई नयी तान लगाना । उपजत* - स्त्री० पैदावार ।
उपजना - अ० क्रि० उत्पन्न होना; उगना; सूझना । उपजाऊ - वि० जिसमें अधिक उपजे, जरखेज; सूझवाला । उपजाति - स्त्री० [सं०] इंद्रवज्रा और उपेंद्रवज्रा तथा इंद्रवंशा और वंशस्थके मेलसे बननेवाले वर्णवृत्त; जातिका कोई उपभेद ।
उपजाना - सु० क्रि० उत्पन्न करना । उपजिह्वा, उपजिह्निका - स्त्री० [सं०] जीभके मूल में स्थित छोटी जीभ, घंटिका; एक कीट । उपजीवक, उपजीवी (विन्) - वि० [सं०] ......से जीविका करनेवाला, जीविका के लिए दूसरेपर आश्रित । उपजीविका - स्त्री० [सं०] जीवननिर्वाहका साधन; वृत्ति,
व्यवसाय ।
उपज्ञा स्त्री० [सं०] अन्तःकरणमें अपने आप उपजा हुआ, अनुपदिष्ट ज्ञान; आद्य ज्ञान; दे० उद्भाव (इनवेंशन) । उपज्ञात - वि० [सं०] बिना किसीके बताये जाना हुआ, मनमें उपजा हुआ; अज्ञातपूर्व; आविष्कृत । उपटन - पु० आघात आदिका चिह्न; उबटन |
उपटना- अ० क्रि० निशान पड़ना; उभरना; उखड़ना । उपटाना* - स० क्रि० उखाड़ना; उखड़वाना; उबटन लगाना या लगवाना ।
उपटारना * - स० क्रि० उचाटना - 'मधुबनतें उपटारि स्याम कह... सू०; उठाना; हटाना । उपत्यका - स्त्री० [सं०] पहाड़के पासको जमीन, तराई,
घाटी ।
उपदंश - पु० [सं०] चाट; गरमीको बीमारी, आतशक । उपदिशा - स्त्री० [सं०] अंतदिशा, कोण |
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