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इच्छित - इनसानियत.
- निवृत्ति - स्त्री० इच्छाका दमन; विरक्ति । - पत्र - पु० (बिल) मृत्युके पहले लिखा गया वह पत्र या प्रलेख जिसमें कोई व्यक्ति यह इच्छा प्रकट करता है कि मेरी संपत्ति इस इस प्रकारसे इन-इन व्यक्तियोंको दी जाय, मेरी दाहक्रिया इस स्थानपर, इस ढंगसे की जाय इत्यादि, वसीयतनामा । - भेदी (दिन) - वि० जितने चाहे उतने दस्त लानेवाला ( रेचक) । - भोजन-पु० अपनी रुचि, पसंदका भोजन |
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इजाज़त - स्त्री० [अ०] अनुमति, परवानगी । इज़ाफ़ा - पु० [अ०] वृद्धि, बढ़ती । - लगान - पु० लगान | का बढ़ना, बढ़ती ।
इच्छित - वि० [सं०] चाहा हुआ, अभिलषित । इच्छु - वि० [सं०] चाहनेवाला (समासांतमें), * पु० ईख । इताति* - स्त्री० दे० ' इताअत' | इच्छुक - वि० [सं०] चाहनेवाला ।
इजमाल - पु० [अ०] इकट्टा करना; थोड़े में कहना; साझा । इजमाली - वि० [अ०] साझेका, शिरकती । इजरा - स्त्री० उर्वरता बढ़ाने के लिए परती छोड़ी हुई जमीन । इजराय - पु० [अ०] जारी करना, होना; काममें लाना या लाया जाना। - डिगरी- पु० डिगरीका जारी किया जाना या अमल में लाया जाना ।
इजलास - पु० [अ०] बैठक; हाकिम या अधिकारीका (विचार के लिए) बैठना; उसके बैठनेका स्थान, कचहरी । इज़हार - पु० [अ०] जाहिर करना, प्रकट करना; अदालत - में दिया हुआ बयान या गवाही । - (३) तहरीरी - पु० लिखित बयान या गवाही ।
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इजार - पु० [अ०] पाजामा, सुथना । - बंद-पु० पाजामा या लहँगा बाँधनेका बंद या फीता, नारा । इजारा - पु० [अ०] ठेका, पट्टा; एकाधिकार, किसी वस्तुके बनाने, बेचने, भोगने आदिका अकेले अधिकारी होना । इज्ज़त - स्त्री० [अ०] मान, प्रतिष्ठा, बड़ाई; आदर । - दार - वि० प्रतिष्ठित । मु० - उतारना, - बिगाड़ना, -लेनाआवरू करना, अपमानित करना । - खोना, - गँवानामर्यादा खोना । - देना - मर्यादा खोना; गौरवान्वित करना । इठलाना - अ० क्रि० गर्वसूचक चेष्टाएँ करना, ठसक, ऐंठ दिखाना, इतराना; नखरा करना; बनना । इठलाहट - स्त्री० इठलानेका भाव, ऐंठ । इठाई* - स्त्री० मित्रता, प्रीति रुचि ।
इडा, इला - स्त्री० [सं०] धरती; वाणी; आहुति, हवि; धारावाहिक स्तुति; अन्न; गाय; स्वर्ग; एक नाडी जो रौढ़की हड्डीसे होकर मस्तकतक पहुँचती है; मनुकी पुत्री जो बुधकी पत्नी और पुरूरवाकी माता थी; दुर्गा ।
इत* - अ० इधर, यहाँ । उत - अ० यहाँ वहाँ ।
इतक्राद- पु० दे० 'एतकाद' ।
इतना - अ० इस मात्रा, मिकदारमें। इतनेमें- इसी बीच या अरसे में तबतक ।
इतर - ५० दे० ' इत्र' | वि० [सं०] दूसरा, और; भिन्न । इतराजी* - स्त्री० दे० 'एतराज़' ।
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इतराना - अ० क्रि० गर्वसे ऐंठना, गर्वका इतना बढ़ जाना कि वचन, व्यवहारसे प्रकट होने लगे; इठलाना । इतरेतर - अ० [सं०] परस्पर, एक दूसरेको या से । इतरेतराश्रय- पु० [सं०] एक तर्कदोष, दो वस्तुओंकी सिद्धिका एक दूसरीकी सिद्धिपर अवलंबित होना । इतरौहा* - वि० जिससे इतराना प्रकट हो, गर्वसूचक । इतवार - पु० रविवार ।
इतस्तत: -, अ० [सं०] यहाँ-वहाँ ।
इताअत- स्त्री० [अ०] अधीनता, ताबेदारी; आशापालन ।
इति - अ० [सं०] समाप्ति सूचक शब्द । स्त्री० समाप्ति; अंत; पूर्णता । - कर्तव्यता - स्त्री० (किसी कार्यका) आवश्यक या कर्तव्य होना । वृत्त-पु० घटना; कहानी; पुरानी (राजाओं, ऋषियों आदिकी) कहानियाँ । -हासपु० अबतक घटित घटनाओं या उससे संबंध रखनेवाले व्यक्तियोंका कालक्रमानुसार वर्णन इस प्रकार के वर्णनवाली पुस्तक । - ०कार - पु० इतिहास लेखक | इतेक+ वि० इतना |
इतो, इत्तो* - वि० इतना |
इत्ति (त) फ़ाक़ - पु० [अ०] मेल, एकता; सहमति; संयोग । इत्ति (त) फ़ाक़न् - अ० [अ०] संयोगवश, अचानक । इत्ति (त) फ़ाक़िया, इत्ति (त्त) फ़ाक़ी - वि० [अ०] अचानक होनेवाला, आकस्मिक |
इन्ति (त्त) ला - स्त्री० [अ०] सूचना, खबर, जानकारी ।
-नामा - पु० सूचनापत्र !
| इत्तिहाद - पु० [अ०] एका, मेल; संयोग । इत्थम् - अ० [सं०] इस प्रकार, यों । इत्यादि, इत्यादिक - अ० [सं०] इसी प्रकार और, वगैरह । इत्र- पु० [अ०] सुगंध; सुगंधसार; चंदनके तेलपर उतारा हुआ पुष्पसार, इतर; सार । दान-पु० इत्र रखनेका पात्र या संदूकची । -फ़रोश - पु० इत्र बेचनेवाला, गंधी । - साज़ - पु० इत्र बनानेवाला ।
इधर - अ० इस ओर; यहाँ । -उधर - अ० यहाँ-वहाँ; जहाँ-तहाँ आस-पास अगल-बगल; सब ओर । मु०उधर करना - इधरका उधर, कहींका कहीं कर देना; टालमट्टूल करना । - उधरकी- जहाँ तहाँकी, सुनीसुनायी, बाजारी, अप्रामाणिक (बात, खबर ) ।-उधरकी हाँकना - गप मारना । - उधरसे - जहाँ-तहाँ से; दूसरोंसे । - उधर होना - अव्यवस्थित हो जाना; टाल-मटूल होना । - का उधर होना - कहींका कहीं हो जाना, उलट-पुलट जाना। - की उधर करना या लगाना-झगड़ा लगाना, चुगली खाना | - की दुनिया उधर हो जाना - असंभवका संभव होना । - या उधर - अनुकूल या प्रतिकूल, पक्ष या विपक्षमें; जीत या हार ।
इनक़लाब - पु० [अ०] उलट-पलट; भारी उलट-फेर; क्रांति । - जिंदाबाद - क्रांति जीती रहे ! क्रांतिकी जय !
इतमाम* - पु० दे० 'इहतिमाम' |
इतमीनान - पु० [अ०] भरोसा, विश्वास; तसल्ली; शांति | इनकार - पु० [अ०] मुकरना, अस्वीकृति; न मानना । इतमीनानी - वि० [अ०] विश्वासी, भरोसेका ।
इनसान - पु० [अ०] मनुष्य, आदमी ।
इनसानि ( नीयत - स्त्री० [अ०] मनुष्यता; मनुष्योचित गुण, सहानुभूति; सौजन्य ।
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