________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
1001
यंत्रतोप-रेडियो य
संपर्क-स्थापनकी प्रवृत्तिः आत्मा-परमात्माके अभेदकी यंत्रतीप-स्त्री० दे० 'मशीनगन'।
अनुभूति और अव्यक्तके प्रति आत्मनिवेदन ।
रॉकव-वि० रंक-'रॉकव कौन सुदामा हृते आप समान यज्ञवेदिका-स्त्री० [सं०] यज्ञकी वेदी ।
करे'-सूर। यथाशीघ्र-अ० [सं०] जितनी जल्दी संभव हो उतनी
राँध-वि० परिपक्व बुद्धिवाला (प०); दे० मूल में । जल्दी ।
राखदानी-स्त्री० सिगरेट, चुरुट आदिकी राख गिरानेका यन। *-सर्व० इनको।
तश्तरीनुमा पात्र। युद्धपरिषद-स्त्री० युद्धका संचालन करनेके लिए स्थापित
राचना*-वि० रचनेवाला । [स्त्री० राचनी।] राजनेताओंकी परिषद।
राजतंत्र-पु० [सं०] वह शासनप्रणाली जिसमें राजयुवराजी-स्त्री० [सं०] युवराजकी पत्नी ।
(स्टेट)का अधिपति राजा हो। युवराज्ञी-स्त्री० [सं०] वह युवती (ज्येष्ठ कन्या) जो युव
| राजभत्ता-पु०, राजवृत्ति-स्त्री० (प्रिवीपर्स) दे० 'राजाराजका पद ग्रहण करे (जैसे ब्रिटेनमें प्रिंसेज ऑफ वेल्स)।
घिदेय'। युवरानी*-स्त्री० दे० 'युवराज्ञी'।
राजसात्करण-पु० (कानफिस्केशन) दे० 'समपहरण' । यौगिक-वि० [सं०] योग-संबंधी; दे० मूलमें ।
रानना -स० क्रि० स्वीकार करना, कबूलना।
रामलड्डू-पु० प्याज (साधुओंकी भाषा)। रंगना-स० क्रि० दे० मूलमें । रंगा सियार-पु० सज्जन | रायसा-पु० किसी वीर पुरुष या सती नारीका यशोगीत बना हुआ व्यक्ति, पाखडी ।
दे० मूलमें। रखीसर-पु० ऋषीश्वर (कबीर)।
रारिश-स्त्री० दे० 'रार'-'रारि-सी मची है त्रिपुरारिके रगमगा*-वि० रंजित ।
तबेलामें-भूधर । रज-पु० राजत्व, महत्त्व-'अंजन यहै सूझहू यहै। रावल*-पु० राधाका ममियौरा । ब्रजरज-सरन गहै रज रहै।-घन ।
राष्ट्रध्वज-पु०, राष्ट्रपताका-स्त्री० [सं०] किसी देशका रतौहाँ-वि० रागमय, रक्ताक्त-'नाहर आय बसंत भयो राष्ट्रीय झंडा। नखकेसू रतौह किये हिये खौंपनि'-घन ।
रिंगावना*-स० क्रि० दे० 'रिगाना'। रत्नकार-पु० जौहरी- मारवाड़ी रत्नकारोंको लूटा'- रिक्शा -पु० दे० 'रिकशा'। भा० वै० विकास ।
रिगाना -स० क्रि० चिढ़ाना। रफ*-पु० सुंदर ढंग-'पियके अनुराग मुहाग भरी रतिहेरें। रिझोना-वि० रोझनेवाला। न पावति रूप-रफै'-घन।
रिणवास*-पु. रनिवास । रमड़ना*-अ० क्रि० बरसना-'धमड़ि सुर-रस रमडि रितीना-स० क्रि० दे० 'रितवना'। नित आनंद घन-आसार'।
रिपटना -अ० कि०:रपटना, फिसलना, खिसलना-'चंद्ररमतूला-पु० सिंगा नामक बाजा, धुधका ।
माकी रिपटती हुइ झिलमिल'-मृग। रमेना*-अ० क्रि० रमना ।
रियायती-वि० दे० 'रिआयती'। -छुट्टी-स्त्री० दे० रम्मट-पु० युद्ध के समय बजाया जानेवाला बाजा-'ये 'रिआयती रुखसत'। तुरही, रम्मट, धौसे'-मृग।
रिलना-अ० क्रि० भरभराकर एक औरको गिर पड़ना; रवानी*-वि० स्त्री० आनंद प्रवाहमें मग्न-'आज देखौं । दे० मूलमें। भाँति भाँति रावल रवानी है'-धन।
रीगना -अ० कि० चिढ़ना। रसम-स्त्री. रश्मि, किरण-'छूटी छबि-रसमैं चटक चोखे रीतिग्रंथ-पु० [सं०] नायिकाभेद, नखशिख, बारहबसमैं'-धन।
मासा, अलंकार आदिका विवेचन करने तथा उनके उदा. रसमसाना-अ० कि० रममसा होना, रस बरसना- हरण प्रस्तुत करनेवाली रचना । 'सता स्यामधन इत रसमसै'-घन।
रुचता*-वि० दे० 'रुचित'। रसाना-स० कि० आनंदित करना-'तिन्है रुचै सोई | रुरना-अ० क्रि० शोभित होना, छा जाना-'दसननि
करौं रसियानि रसाऊँ'-घन । अ० क्रि० दे० मूल में। - जोतिजाल मोतीमाल-सी रुरै'-धन। रसायनिक-पु० कीमियागर दे० मूलमें।।
रूम-पु० रोम, लोम (मीरा) । रसिया-पु. एक तरहका गीत (जो बुंदेलखंडमें प्रायः | रूमानी-वि० दे० 'रोमानी'। होलीके समय गाया जाता है)।
रूहिर-पु० रुधिर, रक्त । रसोत*-स्त्री. रसमयता-'कौन घरी रूपके रसोत जग- | वजा, वझा-पु. एक पेड़ जो कुछ-कुछ बबूलके पेड़से मगौगे' ?-घन० दे० मूलमें।
मिलता है। रह*-पु० रथ (रासो)।
रेडियो-पु० [अं॰] एक तरहका विद्युद्-यंत्र जिसकी सहारहठानि*-स्त्री० रहनेका स्थान-'जामै चलि जायबे यतासे बिना तारके ही वार्ता, संगीत, समाचार आदि बनाई रहठानि है'-घन ।
बहुत दूर-दूरतक प्रसारित किया जा सकता है। वह यंत्र रहस्यवाद-पु० [सं०] चिंतन, मनन द्वारा ईश्वरसे प्रत्यक्ष जिससे आकाशवाणी केंद्र द्वारा प्रसारित ऐसा समाचार,
For Private and Personal Use Only