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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ६७० ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रे नादि निवेदयति, एवं निवेदितेसत्याचार्याः परितुष्टा भवन्ति साधवः संगमयात्रा निर्वाहार्थमे महारं कुर्वन्तीति समग्राध्ययनस्य निष्कृष्टोऽर्थः । " एवं खलु हे जम्बूः ! श्रमणेन भगवता यावत् मोक्षं सम्प्राप्तेन द्वितीयस्य= सं'घाटाख्यस्य ज्ञाताध्ययनस्यायमर्थः प्रज्ञप्तः 'चिबेमि' इति ब्रवीमि पूर्ववत् । सू. १४ । इति श्री विश्वविख्यात - जगद्वल्लभ - प्रसिद्धवाचकपञ्चदशा भाषाकलितललितकला पालापक- प्रविशुद्ध गद्यपद्यनैकग्रन्थ निर्मापकवादिमानमर्दक श्री शाहूच्छत्रपति कोल्हापुर राजप्रदन्त - 'जैनशास्त्राचार्यपद भूषित - कोल्हापुरराजगुरु - बालह्मब्र चारी - जैनाचार्य - जैन धर्मे दिवाकरपूज्यश्रीघामीलालवतिविरचितायां 'ज्ञाताधर्मकथाङ्ग सूत्रख्यानगारधर्मामृतवर्षिण्याख्यांव्याख्यायां द्वितीयमध्ययनं सम्पूर्णम् । २ । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्षुधा वेदना आदि हैं ऐसा जब कह देते हैं तो वे संतुष्ट हो जाते है । संयम यात्रा के निर्वाह के लिये ही साधुजन आहार करते हैं । प्रकार उस समग्र अध्ययन का यह निष्कर्षार्थ निकलता है | इस इस तरह हे जनू ! मोक्षमे संप्राप्त हुए श्रमण भगवान महावीरने संघाटाख्य ज्ञाताध्ययन का यह अर्थ प्ररूपित किया है ऐसा मैं कहता हूँ । "त्तिबेमि" इन पदों की व्याख्या पहिले अध्ययनमें की ही जा चुकी है अतः यहाँ नही की गई है । सूत्र १४” 46 जैनाचार्य - जैनधर्मदिवाकर पूज्यश्री - घासीलालजी महाराजकृत 'ज्ञाताघ मकथाङ्ग सूत्र की अनगारधर्मामृतवर्षिणी व्याख्यका दूसरा अध्ययन समाप्त ॥ २ ॥ કરવામાં આવ્યે છે. આ રીતે હે જમ્મૂ! મેક્ષમાં સ’પ્રાપ્ત થયેલા શ્રમણ ભગવાન મહાવીરે સંઘાટા-ખ્ય ज्ञाताध्ययनन। उपर सभ्या मुल्य अर्थ मताव्यो छे. आ हु' तने उडु' छ. 'त्तिबेमि' આ પદેની વ્યાખ્યા પ્રથમ અધ્યયનમાં કરવામાં આવી છે. ાસૂત્ર ૧૪ા જૈનાચાય –જૈનધમ દિવાકર પૂજ્યશ્રી—ઘાસીલાલજી મહારાજ કૃત જ્ઞાતાધર્મકથા સૂત્ર ની અનગાર ધર્મામૃત વર્ષિણી વ્યાખ્યા નું ખીજું અધ્યયન સમાપ્ત ॥ ૨ ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020352
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalalji Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages762
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size24 MB
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