________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
शाताधर्मकथात्र सार:=श्रेष्ठः, इत्यादि । 'वष्णओ' वर्णकः भूपवर्णनप्रकरणमौपपातिकमूत्राद् विज्ञेयम्, तस्य खलु श्रेणिकस्य राज्ञः नन्दानाम्नी देव्यासीत् । सा कीदृशी ? इत्यत्राह-'सुकुमालपाणिपाया' सुकुमारपाणिपादा-पाणी च पादौ च पाणिपादकरचरणं, सुकुमारम् अतिकोमलं पाणिपादं यस्याः सा तथोक्ता अतिकोमलकरचरणवतीत्यर्थः, 'वष्णभो' वर्णकः राज्ञीवर्णन औषपातिकमूत्रादवसेयम् । ___ तस्य खलु श्रेणिकस्य पुत्रः 'नंदाए देवीए अत्तए' नन्दाया देव्या आत्मजः= तद्गर्भज इत्यर्थः अभयनामा कुमारऽआसीत् । स कीदृशः ? इत्याह-'अहीण जाव मुरूवे' अहीन यावत्सुरूपः, अत्रत्ययावच्छब्देन-'अहीणपडिपुण्णपंचिंदियसरीरे, गया है। राजाओं के समूह में दिव्यऋद्धि, दिव्यधुति, तथा दिव्यप्रभाव आदिद्वारा वह महेन्द्रकी तरह उत्तम प्रकट किया गया है। यहां पर भी जो यह "वण्णओ" शब्द आया है वह यह प्रकट करता है कि इस राजा. के विषय में और भी अधिक वर्णन अन्य ग्रन्थों में किया गया है, सो वह वर्णन औपपात्तिक मूत्र से जाना जा सकता है।
(तस्स णं सेणियस्स रन्नो नंदा नाम देवी होन्था सुकुमार पाणिपाया वण्णओ) उस श्रेणिक राजा की रानी का नाम नंदा था। इसके हाथ पाव बहुत ही सुकुमार थे। यह कितनी-अधिक सुन्दर थी-और किस स्वभाव आदि की थी यह सब विषय का वर्णन औषपातिक सूत्र में दिया गया है। (तस्सणं सेणियस्सरन्नो पुत्ते नंदाए अत्तए अभयनोम कुमारे होत्था) उस श्रेणिक राजा के एक पुत्र था जिसका नाम अभयकुमार था। यह नंदा देवी की कुक्षि से अवतरित हुआ था । (अहीण जाव सुरूवे) यहां यावत् शब्द से यह पाठ-ग्रहीत हुआ है-इसका शरीर लक्षण से अन्यून સમૂહમાં દિવ્યત્રદ્ધિ, દિવ્યદ્યતિ તેમજ દિવ્યપ્રભાવ વગેરેથી તેને મહેન્દ્રની જેમ ઉત્તમ मतावामा सा-या छ. गाडी परे 'वण्णओ' श४ माव्यो छे, ते मामतावे છે કે આ રાજાના વિષે એના કરતાં બીજું વધુ વર્ણન બીજા શાસ્ત્રોમાં કરવામાં આવ્યું છે. માટે તે વર્ણન ઔપપાતિક સૂત્રવડે સમજી શકાય છે.
तस्स णं सेणियस्स रन्नो नंदा नामं देवी होत्थासुकुमार पाणिपाया वण्णओ) ते श्रेणुि २०नी रानु नाम नहा तु. तेना थप गई सुમળ હતા. તે કેટલી બધી રૂપવતી હતી તેનો સ્વભાવ વગેરે કે હતો, આ જાતના onा पियोनु वाणुन मोपपातिसूत्रमा मा५वामां आव्यु छ. (तस्स णं सेणियम्स रन्नो पुत्ते नंदाए देवीए अत्तए अभयनामं कुमारे होत्था) ते श्री રાજાના એક પુત્ર હતા. તેનું નામ અભયકુમાર હતું. તે નંદાદેવીની કુખમાંથી આવतया हता. (अहीण जाव सुरूवे) 4डी यावत् २४थी ये पाई अड४२वामा
For Private and Personal Use Only