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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनगार धर्मामृतवर्षिणी टीका अ.स.४६ मेघ तुने प्रतिमादितपः स्त्रीकरणम् ५२१ आयावणभूमिए आयावेमाणे राई बीरासणेणं अवाउडएणं पंचमं मास दुवालसम दुवालसमेणं अणि कवलेणं तबोकम्मेणं दिया ठोकडुए सुराभिमुहे आयावणमूमीए आयावेमाणे राई वीरासणेणं अवाउडएणं एवं खलु एएणं अभिलावेणं छठे चोइसमं चोदसमेणं, सत्तमे सोल. समं सोलसमेणं, अमे अटारसमं अपारसमेणं, नवमे वीसइमं विसइ. मेणं, दसमे बावीसइमं बाबीसइमेणं, एक्कारस मेचउव्वीइमेणं, वारसा छठवीसइमं छव्वीसइमेणं, तेरसमे अट्ठावीसइमं अट्ठावीसइमेणं, चोदसा तीसइमं, तीसइमणं. पन्नरसमे बत्तीसइमं बत्तीसइमणं, सोलसम चउत्तीसइमं च उत्तीसइमेणं अणिश्वित्तेणं तवोकम्मेणं दिया ठाणुकडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे राई वीरा सणेण य अवाउडएण य । तएणं से मेहे अणगारे गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्भं अहासुतं जाव सम्मं कारणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ किट्टई अहासुतं अहाकप्पं जाव किट्टित्ता समणं भगवां महावीर वंदइ नमसइ नंदित्ता नमंसित्ता बहहिं छट्टमदसमदुवालसेहि मासद्धमासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥सू० ४६॥ टीका--'ताणं से मेहे अणगारे' इत्यादि। ततः खलु स मेघोऽन गारः अन्यदा कदाचिन श्रमणं भगरन्तं महावीरं वन्दते नमस्यति, वन्दित्वा 'नएणं से मेहे अणगारे' इत्यादि। टीकार्थ--(एणं) इसके बाद (से मेहे अणगारे) उन मेघकुमार मुनिराजने (अन्नया कयाई) किसी एक समय (सम भगवं महावीरं वंदइ 'तपणं से मेहे अगगारे' इत्यादि ।। टीकार्थ-(जएग) त्या२ मा (ने मेहे अनगा) मुनि ॥ मेघमारे ( अन्नया कयाई) 5 : मते (समां भगवं महावी वंदइ नमसड) श्रमामा For Private and Personal Use Only
SR No.020352
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalalji Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages762
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size24 MB
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