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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ૪ ज्ञाताधर्मकथासूत्रे राम उन्मुक्तः परित्यक्तः करो यस्यां तां सर्वथा कररहितां कुरुत, गृहक्षेत्राद्युपभोगे राज्ञेदेयं द्रव्यं 'कर' इत्युच्यते ' दशदिवसपर्यन्तं युष्माभिः सर्वैः करो न देयः' इति भावः । एवमन्यन्त्रापि बोध्यम् । 'अभडप्पवेस' अभटप्रवेशां - अविद्यमानः भटानां राजाज्ञा निवेदकानां राजपुरुषाणां प्रवेशः कुटुं· म्बि गृहेषु यस्यां सा तथोक्ता ताम् दशदिवसपर्यन्तं नूतना नृपाज्ञा न भविष्यतीति भावः 'अदंडिमकुडंडिमं' अदंडिमकुदण्डिमां, दण्डेन निर्वृत्तं लभ्यं द्रव्यं दण्डिमं, कुदण्डेन निवृत्तं द्रव्यं कुदण्डिमं तत् नास्ति यस्यां सा, तथा, ताम्, तत्र - दण्डोऽपराधानुसारेण राजग्राद्यं द्रव्यं, कुदंडस्तु येन केनापि कारणेन जाते महापरावे स्वल्पं राजग्राद्यं द्रव्यम्, अत्र कु शब्दः अल्पार्थवाचकः नतुरखने वाली जितनी बाते हैं उन सबकी व्यवस्था करो जैसे- (उस्सुकं उक्करं ) बेचने के लिये जो वस्तु बाजार में आती है उस पर राजा के लिये जो द्रव्य देय होता है वह अब १० दिन तक तक भोग नहीं देना । इसी तरह गृह, क्षेत्र आदि रूप उपभोग वस्तु पर जो राज्य की तरफ से टेक्स नियत रहा करता है वह अब १० दिन तक तुम सब पर माफ किया जाता है। (भडप्पत्रे) राजा की क्या नवीन आज्ञा जारी हुई है इस बात को घर२ में पहुँचाने के लिये राज्य की ओर से भट नियुक्त रहा करते हैं। सो अब १० दिवस पर्यन्त कोई नवीन आज्ञा राज्य की तरफ से नहीं की जावेगी अतः तुम सब १० दिन तक की छुट्टी मनाओ । ( अदंडिम कुदंडिमं ) अपराधियों के अपराधानुसार जो जुर्माना राज्य में लिया जाता है उसका नाम दंड है तथा जिस किसी कारण से जो मनुष्यों द्वारा अपराध बन जाता है उस पर जो राज्य की और से थोडा सा जुर्माना लिया जाता है उसका नाम कुदंड है। यहाँ " कु" शब्द (उरसुकं उक्करं) जन्नरमा वेथाणु भाटे ने वस्तु तभे सावो ते वस्तुना उपरनों કર (ટેકસ) દસ દિવસ સુધી તમારે નિહ આપવા. આ પ્રમાણે જ ઘર, ખેતર વગેરેની જે ઉપભાગમાં આવનારી વસ્તુએ છે તેમના ઉપર રાજ્ય કર નિયત કરેલા છે ते इस हिवस सुधी जघाने भाटे भाई वामां आवे छे. (अभडप वेस) शन्ननी નવીન આજ્ઞા શરુ થાય ત્યારે તેને દરેક ઘરમાં પહેાંચાડવા માટે રાજ્ય તરફથી ભેટ નિયુકત કરવામાં આવે છે, તે હવે દસ દિવસ સુધી કાઈ પણ નવી આજ્ઞા રાજ્ય तरइथी महार पडशे नहि, मेथी तमे मधा इस दिवसनी रन्नमेो गाणो. (अदंडिमकुदं डिम) गुनेगारोनी पासेथी गुना महल ने डंडे राज्यमा सेवाय छे ते ''ड' તેમજ ગમે તે કા ણુ દ્વા। માંણસોથી મોટો અપરાધ થઈ જાય છે તે બદલ રાજ્ય તરથી તેની પાસેથી આછે દંડ લેવાય છે તેનુ નામ ‘કુદડ' છે. અહીં કુ' શબ્દ For Private and Personal Use Only
SR No.020352
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalalji Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages762
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size24 MB
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