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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शाताध कथासत्रे 'मज्ज्ञे णयगंभीरे' मध्ये नतगम्भीरे-मध्ये मध्यभागे नतं-किश्चिन्नम्रीभूतं गम्भीर निम्नं च तस्मिन् । 'गंगापुलिणवालुयाउद्दालसालिसए' गङ्गापुलिनवालुकावदालसदृश के-गङ्गानदीतटस्य या वालुकास्तासाम् अवदाल:=पादन्यासेऽधोगमनं, तत्सदृश के तदुपमे, यथा वालुकायां तथा तूलगर्भ शयनीयेऽपि पादन्या से निम्नोन्नतत्वं भवतीत्याशयः। 'उवचियायोमदुगुल्लपट्टपडिच्छण्णे' उपचितक्षोमदुकूलपट्ट प्रतिच्छन्ने-उपचितं नानारागरञ्जितविविधचित्रालङ्कृतं यत् क्षौम साम्प्रतिक. जनस्यैक केशेन तन्तुशतं जायते तादृशमक्ष्मकापासतन्तुविनिर्मितं वस्त्रम्, दुकूलमअतसीमयं विशिष्टं वस्त्रं, ताभ्यां सञ्जातः पट्टः शिल्पकलया सीवनेन युगलापेक्ष. यैकीकृतं शय्यापरिमितं वस्त्रं 'खोल' इति भाषायां, तेन प्रतिच्छन्ने उपर्यंध आवृते। 'अत्थरय-मलय-नवतय-कुसत्त-लिम्बसीह केसरपच्चुत्थए' अस्तरजस्कदोनों ओर से कुछ २ ऊँची बनी हुई है। तथा (मज्झेयणगंभीरे) मध्य भाग में जो कुछ २ गहराई लिये हुए हैं (गंगापुलिणवालुया उद्दालसालसए) गंगा नदी की वालुका की तरह पैर रखते ही जो नीचे की और कुछ थोडी २ घस जाती है (उबचियखोमदुगुल्लपट्टपडिच्छण्णे) अनेक रंगो से बनाये गये नाना प्रकार के चित्रों से अलंकृत क्षौम और दु कूल के पट्ट से ऊपर से लेकर नीचे तक जो ढकी हुई है। इस समय के मनुष्य के एक बाल से १०० तन्तु बनते है-ऐसे मूक्ष्म कापासिक तन्तु से बने हुए वस्त्र का नाम-क्षोम है। अलसी आदि से बने हुए वस्त्र का नाम दुकूल हैं। इन दोनों वस्त्रों को सीकर जो एक वस्त्र बना लिया जाता है उसका नाम पट्ट है। हिन्दी में उसे खोल कहते हैं। यह शय्या पर ऊपर से नीचे तक लटकती हुई बिछी रहती है । (अस्थ. रय, मलय, नव तय-कुसत्ति-लिम्बसीह केसरपच्चुत्थए) धूली विहीन यण गंभीरे) यसो मा था31 11 छ. (गंगापुलिणबालया उद्दालसालसए) ગંગા નદીની રેતીની જેમ પગ મૂકતાંની સાથે જ તે ડી નીચે દબાઈ જાય છે. આ प्रमाणे सेना ५२ ५॥ भूवाथी पy on यछ. (उबचिय खोम दुगुल्ल पपडिच्छण्णे) ५२थी नीये सुधीर तनतना गोथी पानाववामी यापेक्षा અનેક પ્રકારના ચિત્રોથી શણગારેલાં ક્ષૌમ અને ફુલના પટ્ટ (કપડા)થી ઢાંકેલી છે અત્યારના માણસની એક વાળથી સો (૧૦૦) તખ્ત બને છે, એવા ઝીણું રૂના તખ્તવડે બનાવવામાં આવેલા વસ્ત્રનું નામ “ક્ષૌમ છે. અળસી વગેરેથી બનાવવામાં આવેલા વસ્ત્રનું નામ દુક્લ છે, આ બન્ને વોને સાથે સીવીને જે એક જાતનું વસ્ત્ર તૈયાર કર માં આવે છે, તેનું નામ “પટ્ટી છે. ગુજરાતી ભાષામાં એને मणियु' ४ छ. मा (अत्थरय, मलय, नवतय, कुसत्त, लिम्बसीह For Private and Personal Use Only
SR No.020352
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalalji Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages762
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size24 MB
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