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पंचवर्षीय योजना
जैन दर्शन रत्नाकर की तरह प्रथाह है, पर हिन्दी भाषा में इसकी दुर्बल सलिला ही प्राप्त होती है । श्राज अशान्ति की धधकती ज्वाला में जलने वाले मानव को परम पुनित जैन संस्कृति का पियूष शान्ति प्रदान कर, आत्मोन्नति के मार्ग पर अग्रसर करने में सक्षम है । इसके अमूल्य ग्रन्थ रत्नों का मुद्रापण कर जनता के सामने प्रस्तुत करने का हमारा मुख्य लक्ष्य है । इसी उद्देश्य से प्रेरित होकर 'जैन साहित्य प्रकाशन मंडल' की स्थापना की गई है । जिसके अन्तर्गत 'दिव्य दर्शन - प्रकाशन' भाग में तत्वज्ञान, नैतिक-धार्मिक जीवन, मोक्षमार्ग, रसपूर्ण बोध कथायें, मनोरम चित्रावलियां आदि साहित्य - प्रकाशित करेंगी | साहित्य के ज्यादा से ज्यादा प्रचार हेतु पंचवर्षीय योजना का आयोजन किया गया है । जो निम्न प्रकार है ।
जो महानुभाव रु. ३१) संस्था को प्रदान करेगा उन्हें पांच साल तक कुल ४०) के मूल्य की पुस्तकें दी जायेंगी । पुस्तक का वितरण संस्था के कई केन्द्रों से होगा । मानव जीवन की सफलता सम्यक्ज्ञान का निर्मल प्रकाश प्राप्त कर ग्रात्मोन्नति करने में है । श्राज की नई पीढ़ी धर्म - संस्कृति से प्रायः वंचित ही रहती है, क्योंकि स्कूल कालेज आदि में यह शिक्षण नहीं मिलता है । प्राज की इस दुःखद परिस्थिति को देखते हुए धार्मिक तत्त्वज्ञान की पुस्तकों का प्रकाशन करना प्रत्यावश्यक हो रहा है, जिससे भारत की भावी पीढ़ी प्रात्मिक ज्ञान के आलोक से वंचित न रहे और चरित्रवान एवं आत्मोन्नति में अग्रसर हो । अतः आप सब महानुभावों से हमारा नम्र निवेदन है कि पंच वर्षीय योजना के सदस्य बन कर हमारे उत्साह में अभिवृद्धि करें ।
श्रात्मानन्द भवन
जयपुर
विजयादशमी वि.सं. २०२६
जतनमल लुणावत, उदयचन्द मेहता, धनरूपमल नागोरी, रणजीतसिंह भंडारी सुशीलकुमार छजलानी, मन्त्रीगण, जैनसाहित्य प्रकाशन, भण्डार जयपुर ।
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